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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मानना है कि देश के खुदरा व्यापार क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। गत दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने दिल्ली में प्रबुद्ध और गणमान्य नागरिकों के साथ अपने विजयादशमी भाषण पर एक परिचर्चा के दौरान अनेक प्रश्नों के उत्तर दिए। उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर संघ के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया। श्री भागवत ने कहा कि संघ का सदैव से यही मत रहा है कि ऐसा नया ज्ञान और तकनीक जो हमारे पास नहीं है, उसे हम अपनी शर्तों पर अन्य देशों से ले सकते हैं। देश को संतुलित और युक्तिसंगत अर्थ नीति की जरूरत है, जिसमें आम नागरिकों के पास रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य, शिक्षा और अतिथि-सत्कार का सामर्थ्य हो। साथ ही हमारे राष्ट्रीय मुद्रा कोष में भी कमी न आए।
पाकिस्तान के बारे में उन्होंने कहा कि हमें ऐसी व्यापक और दूरदृष्टि रखकर रणनीति बनानी होगी, जिससे वह भारत पर तरह-तरह से आक्रमण करने का दुस्साहस ही न जुटा पाए। इसके लिए उसे समर्थन-विहीन करना एक उपाय है, क्योंकि वह बाकी सभी देशों से वैर मोल लेकर हम पर हमला नहीं कर सकता। उनका कहना था कि यह उचित नहीं है कि पाकिस्तान लगातार हम पर हमले करता रहे और हम हमेशा उससे बात करने की बात ही करते रहें। उन्होंने देश को परमाणु शक्ति संपन्न करने के विचार का समर्थन करते हुए कहा कि चीन की तरह भारत को भी अपने पड़ोसी देशों को नियंत्रित रखने की शक्ति का परिचय देना चाहिये।
श्री भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ किसी मतवाद को न पकड़कर केवल सत्य जानने का प्रयास करता है। सरसंघचालक ने मूल्यपरक और व्यापारमुक्त शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि आमूलचूल परिवर्तन के बिना काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि हमें भारत में आने को उत्सुक उन विदेशी विश्वविद्यालयों को दूर रखना होगा जो केवल करोड़ों डॉलर के मुनाफे की बात सोचते हैं। सुसंस्कारी मनुष्य बनाने के लिये शिक्षा नीति की पुनर्रचना की आवश्यकता है। रेखांकित करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षक अपने उदाहरण से संस्कार दे सकते हैं, लेकिन उनको भी प्रशिक्षण की जरूरत है, क्योंकि वे भी इसी शिक्षा पद्धति से तैयार हुए हैं। अगले 25 वर्ष के कालखण्ड को उन्होंने राष्ट्र के सुंदर चित्र का निर्माणकाल बताते हुए कहा कि संघ स्वार्थ और भेदों से दूर रहकर प्रतिकूल परिस्थितियों में अपने कर्तव्य पर डटे रहने वाले देशभक्त तैयार करने में जुटा है। महिला सशक्तिकरण को लेकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर में उन्होंने कहा कि संघ महिला सशक्तीकरण का पूरी तरह पक्षधर है। हमारा महिलाओं के बारे में जो दृष्टिकोण है, वास्तव में वह शास्त्र शुद्ध और सबके कल्याण का दृष्टिकोण है।
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