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मुजफ्फरनगर में मुस्लिमों की हिमायती सरकार और प्रशासन हिंसा रुकने का दावा करते हैं, लेकिन जिहादी हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। मुजफ्फरनगर के मुकुंदपुर गांव में 22 अक्तूबर को खेत में तारबंदी करने गए 50 वर्षीय बोहरम लाल की छाती पर गोली मार और गला रेतकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। ग्रामीणों ने तभी प्रशासन को चेताया था कि यह हत्या दंगों का ही हिस्सा है, लेकिन इस बात को एक सिरे से नकार दिया गया था। संबंधित समाचार पिछले अंक में प्रमुखता से प्रकाशित भी किया गया था।
फिर भड़की हिंसा, चार की मौत
मुजफ्फरनगर में बुधवार को एक बार फिर से हिंसा भड़कने से एक महिला सहित चार लोगों की हत्या कर दी गई। आरोप है कि महिला के साथ दुष्कर्म भी किया गया। हिंसा के प्रकरण में पुलिस ने अभी तक आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। जिले में फैली हिंसा के मद्देनजर सशस्त्र पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है। लखनऊ से भी आला पुलिस अधिकारी मौके का जायजा लेने पहंुच गए हैं। पुलिस स्थिति को फिलहाल तनावपूर्ण, लेकिन काबू में बता रही है।
पहली घटना बुढ़ाना क्षेत्र के मोहम्मपुर राय सिंह गांव की है। खेत में काम रहे पूर्व सैनिक राजेन्द्र पर बुधवार शाम तीन अज्ञात लोगों ने हमला बोल दिया। इस बीच शोर सुनकर राजेन्द्र की मदद को गांव वाले भी दौड़ पड़े और पुलिस भी मौके पर पहंुच गई। इस दौरान हुई मुठभेड़ में तीनों आरोपी मारे गये। पुलिस ने मुस्लिम नेताओं के दबाव में एकतरफा कार्रवाई करते हुए फौजी राजेन्द्र को ही गिरफ्तार कर लिया।
दूसरी घटना में मुजफ्फरनगर के लिसाढ़ निवासी राजेन्द्र कश्यप अपनी पत्नी के साथ बुधवार रात मोटरसाइकिल पर शामली से घर लौट रहे थे। हसनपुर इलाके में अचानक उन पर अज्ञात युवकों ने हमला बोल दिया। आरोप है कि राजेन्द्र की पत्नी का उन्मादियों ने खेतों में ले जाकर बलात्कार किया, फिर गोली मार दी। वहीं राजेन्द्र व उनके शिशु को भी बुरी तरह से घायल कर दिया जिनका अस्पताल में उपचार चल रहा है। सेकुलर पार्टियों की तरह सेकुलर अखबारों ने भी महिला से बलात्कार की घटना को दबा दिया। सिर्फ एक हिन्दी दैनिक समाचार पत्र ने न केवल उन्मादियों के दुस्साहस का पर्दाफाश किया, बल्कि महिला के शव और मोटरसाइकिल का फोटो भी प्रमुखता से प्रकाशित किया।
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