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महाराष्ट्र और बिहार की कई बार तुलना की जाती है। इस तुलना में मुख्य रूप से कानून व सुरक्षा व्यवस्था, प्रशासन पद्धति तथा कथित विकास जैसे मुद्दे शामिल होते हैं। हर कोई अपनी अपनी नजर और नजरिए से इन मुद्दों को भुनाना चाहता है। इन दोनों राज्यों से संबंद्ध एक समान मुद्दा हाल ही में उभर कर आया है। यह मुद्दा है ह्यचारा घोटालाह्ण पिछले वर्ष राज्य में पड़े अकाल के दौरान अकाल पीडि़त इलाकों के पशुओं के चारे के लिए आवंटित राशि में से राज्य के पुणे संभाग में ही आठ करोड़ रुपए के चारा घोटाले का विवरण अब सार्वजनिक हो चुका है। प्राप्त विवरण के साथ बताया जाए तो विगत एक वर्ष में पुणे के अकालग्रस्त जिलों में पशुओं के चारा आवंटन के बहाने सतारा जिले में चार करोड़ शोलापुर में दो करोड़ 97 लाख व सांगली जिले में 97 लाख रुपयों का चारा घोटाला हो चुका है।
अकालग्रस्त जिलों में पशुओं को पेयजल एवं चारे का वितरण करने के लिए राज्य सरकार द्वारा बनाई गई योजना पहले से ही विवाद का मुद्दा बन गई थी। सरकारी तौर पर राज्य सरकार की तिजोरी से लागू इस योजना में सत्ता पक्ष से संबद्ध विधायकों एवं मंत्रियों के चुनाव क्षेत्रों के लिए कई गुणा अधिक राशि आवंटित की गई थी।
मामले की छानबीन करने पर पता चला है कि पुणे, सतारा, सांगली, कोल्हापुर और शोलापुर जिले से बने पुणे संभाग में विगत वर्ष के सूखे से निपटने एवं अकाल के हालात में पशुओं का भरण पोषण, देखभाल करने हेतु राज्य सरकार द्वारा विशेष प्रावधान के तहत 672 सहारा केंद्रों का गठन किया गया था। इस वर्ष अपेक्षा से अधिक बारिश होने के बावजूद भी इस जिलों में पशुओं की देखभाल करने वाले 215 केंद्र बनाए गए। पुणे के संभागीय आयुक्त प्रभाकर देशमुख के निर्देशों पर विशेष जांच विभाग द्वारा जानवरों की कथित रूप से देखभाल करने वाले इन केंद्रों का जायजा विगत महीने में लिए जाने पर राज्य के बड़े चारा घोटाले का पर्दाफाश हुआ, जिसमें दर्ज प्राथामिकी के अनुसार आठ करोड़ रुपए का चारा घोटाला अब तक स्पष्ट हुआ है। संभागीय आयुक्त द्वारा मामले की जांच कर पशुओं के चारा घोटाले की राशि छावनी ठेकेदार से वसूलने के जो आदेश दिए गए हैं। उन पर अभी तक कोई अमल नहीं हुआ है।
मध्य राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में चलाए गए व कथित रूप से चलाए जा रहे पशुओं के देखभाल केंद्र पर उन पशुओं के लिए खरीदे गए चारे में हुए घोटाले की राशि 150 करोड़ रुपयों की होने का स्पष्ट आरोप राज्य विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष, भाजपा के विनोद तावड़े ने लगाया है।
इस बारे में ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए श्री तावड़े ने कहा है कि विगत वर्ष राज्य सरकार द्वारा राज्य में सूखाग्रस्त जिलों के पशुओं की देखभाल करने व उसके लिए चारा खरीदने के लिए राज्य द्वारा 1300 करोड़ रुपयों की राशि आवंटित की गई थी। इस राशि को आवंटित करते समय यह विशेष तौर स्पष्ट किया गया था कि यह राशि राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्रों के मात्र उन्हीं जिलों के पशुओं की देखभाल करने हेतु तय की जाए जिन जिलों में पशुओं के चारे की उपज के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। इसके बाद भी इन सरकारी नियमों को पूरी तरह ताक पर रखते हुए जानवरों के पेयजल, चारे की राशि पुणे संभाग के जिलों में व्यय करने की चाल चलते हुए पशुओं के चारे की आड़ में सत्ता पक्ष के नेताओं ने उस में व्यापक भ्रष्टाचार करने हुए अपने करीबियों और परिजनों को मालामाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
विनोद तावड़े ने सदन में इस चारा घोटाले को विवरण के साथ सार्वजनिक किए जाने पर गृह मंत्रीह आरआर पाटिल ने इस मामले की जांच आठ दिनों में सीआईडी द्वारा किए जाने का सरकारी आश्वासन दिया था। गृहमंत्री के इस आश्वासन पर एक महीना होने के बावजूद भी इस पर कोई अमल नहीं हो पाया। इसके चलते विनोद तावड़े ने इस घोटाले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। द.बा.आंबुलकर
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