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चव्हाण की वोट राजनीति के लिए अब महमूदुर्रहमान समिति
महाराष्ट्र की सेकुलर कांग्रेसी सरकार अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति करने से बाज नहीं आ रही है। जिस तरह केंद्र की कांग्रेसनीत सरकार ने मुसलमानों को रिझाने व अपना वोट बैंक मजबूत करने के लिए सच्चर समिति बनाई थी उसी तरह महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार ने मुसलमानों के वोट बटोरने के लिए डॉ. महमूदुर्रहमान समिति बनाई, जिसने पिछले दिनों ही राज्य सरकार को अपनी सिफारिशें सौंपी हैं।
उल्लेखनीय है कि राज्य के मुसलमानों से संबंधित मुद्दों का अध्ययन करने के लिए वर्ष 2008 में डॉ. महमूदुर्रहमान समिति का गठन किया गया था। पांच वर्ष के बाद समिति ने अपनी रपट महाराष्ट्र सरकार को सौंपी है। अपनी रपट में समिति ने मुसलमानों को उच्च शिक्षा, सरकारी नौकरियों व पुलिस बल में आठ प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की बात कही है। समिति ने विभिन्न आपराधिक मामलों में बंद मुसलमान कैदियों पर गौर करने और बेकसूर पाए जाने पर छोड़ने के लिए कहा है। महाराष्ट्र की गृह निर्माण परियोजनाओं व सहकारी गृह निर्माण संस्थाओं में भी मुसलमानों के लिए कुछ आरक्षण प्रतिशत तय करने को कहा गया है। उल्लेखनीय है महाराष्ट्र सरकार ने मुसलमानों को लुभाने के लिए राज्य में अल्पसंख्यक छात्रों की आईटीआई से लेकर आईआईटी की शिक्षा तक छात्रवृत्ति परियोजना पहले से ही लागू कर रखी है। इसके अलावा केंद्रीय स्तर पर सच्चर समिति की सिफारिशों के अनुसार मुसलमानों से संबद्ध विविध योजनाओं का अमल राज्य में पहले से ही किया जा रहा है। प्रधानमंत्री के 15 सूत्रीय कार्यक्रमों के तहत भी राज्य के अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की तरह मुसलमानों को विशेष अवसर भी प्रदान किए जा रहे हैं, लेकिन महाराष्ट्र की सेकुलर कांग्रेस सरकार को तो चिंता एकजुट मुस्लिम वोटों की है। विदित हो कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस आर. रेड्डी के समय भी वहां की कांग्रेस सरकार ने मुसलमानों को नौकरियों में आरक्षण देने की सिफारिश की थी, जिसे आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। न्यायालय का कहना था कि इस प्रकार किसी वर्ग विशेष को आरक्षण देना तर्क संगत नहीं है। सूत्रों के मुताबिक डॉ. महमूदुर्रहमान समिति द्वारा अपनी रपट राज्य के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को सौंपे जाने के बाद उन्होंने उसे राज्य के मंत्रिमंडल के सामने रखते हुए उसके अमल में लाए जाने पर संबंद्ध गुटों को आश्वस्त किया है। गौर करने वाली बात है कि चव्हाण का यह आश्वासन एक चुनावी प्रचार है।
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