स्वराज से पूर्ण स्वातंत्र्य तक की यात्रा
May 22, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

स्वराज से पूर्ण स्वातंत्र्य तक की यात्रा

by
Nov 2, 2013, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 02 Nov 2013 15:48:20

कांग्रेस और रा.स्व. संघ

कांग्रेस का लक्ष्य था स्वराज और स्वराज्य की परिभाषा की जाती थी कि भारत ब्रिटिश साम्राज्य का एक उपनिवेश बन कर रहेगा। डा़ हेडगेवार चाहते थे कि कांग्रेस अपना लक्ष्य स्वराज की बजाए ह्य पूर्ण स्वातंत्र्यह्ण निर्धारित करे। इसके लिए उन्होंने सन 1920  के नागपुर अधिवेशन से प्रयत्न आरंभ किया। उनके सतत प्रयत्न के फलस्वरूप 9 वर्ष के बाद लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस ने ह्य पूर्ण स्वातंत्र्यह्ण का लक्ष्य घोषित किया। प्रस्तुत है इन वर्षों की प्रयत्न यात्रा का विवरण।
यह सर्वविदित है कि कांग्रेस की स्थापना 1885 में  ए.ओ.हयूम ने भारत में अंग्रेजी राज को निष्कंटक बनाए रखने के लिए की थी।  ह्यूम 1857 की क्रांति के समय के उन चंद अंग्रेज अधिकारियों में से थे जो अपने मुंह पर कालिख पोतकर अथवा स्त्री वेश धारण करके ही क्रांतिकारियों के चंगुल से बच निकलने में सफल हो पाए थे। भारतीयों के रोष का तूफान उन्होंने प्रत्यक्ष देखा था। बाद में 1872 का पंजाब का कूका आंदोलन तथा 1879 का महाराष्ट्र में वासुदेव बलवंत फड़के का विद्रोह भी उनकी आंखों के सामने से गुजरा था। इसलिए उन्होंने भारतीयों को एक ऐसा मंच प्रदान करने की योजना बनाई, जहां आकर वे अपने मन के सब गुब्बार निकाल सकें, और इस प्रकार उनका असंतोष कभी विनाशकारी तूफान का रूप ले ही न पाए। अत: तत्कालीन अंग्रेज भक्त भारतीय बुद्धिजीवियों को लेकर ह्यूम ने ह्यइंडियन नेशनल कांग्रेसह्ण की स्थापना की।
आरंभिक वर्षों में कांग्रेस भारतीयों की कुछ सुविधाओं के लिए अंग्रेजों से याचना करने का मंच बनी रही। लेकिन बाद में लाल-बाल-पाल की तिकड़ी ने इसके स्वरूप को बदल दिया।
स्वराज अर्थात स्वशासी ब्रिटिश उपनिवेश
1906 की काशी कांग्रेस में प्रथम बार स्वराज शब्द का प्रयोग दादा भाई नौरोजी ने किया। लोकमान्य तिलक ने तो डंके की चोट पर कहा था-ह्यस्वराज' मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है।ह्ण
भले ही 1906 के कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस का लक्ष्य स्वराज घोषित किया गया, किंतु इस स्वराज या स्वराज्य की परिभाषा उस शासन प्रणाली के रूप में की गई जो स्वशासी ब्रिटिश उपनिवेश में है। जिसका अर्थ था-भारत ब्रिटिश साम्राज्य का एक अंग रहते हुए यहां का शासन भारतीयों के हाथ में रहे। दूसरे शब्दों में इसे स्वशासन या भारत को औपनिवेशिक दर्जा दिया जाना भी कहा जाता रहा है।
विशुद्ध स्वातंत्र्य
डा. हेडगेवार तथा उनके समान विचार करने वालों को यह कतई स्वीकार नहीं था कि भारत इंग्लैंड का एक उपनिवेश बन कर रहे। वे किसी भी प्रकार की विदेशी सत्ता से मुक्त सर्वतंत्र स्वतंत्र भारत की कल्पना करते थे। डा.हेडगेवार ने इसे नाम दिया विशुद्ध स्वातंत्र्य।
मध्य प्रांत की राजनीति के सोलह धुरंधर महारथियों ने मिलकर राष्ट्रीय मंडल नाम से एक संस्था बना रखी थी। इसमें डा.बा.शि.मुंजे, नीलकंठ राव उधोजी, नारायण राव अलेकर, नारायण राव वैद्य, बै.मोरुभाऊ अभ्यंकर, गोपालराव ओपले, बै.गोविंदराव देशमुख, डा.कोलकर, भवानी शंकर नियोगी, डा.ना.मा.खरे, विश्वनाथन केलकर, डा.ल.बा.परांजप  े आदि थे। राष्ट्रीय मंडल का मध्य प्रांत कांग्रेस पर बहुत प्रभाव था। अथवा यह भी कहा जा सकता है कि राष्ट्रीय मंडल जो भी निश्चित करता था, कांग्रेस उसे स्वीकार कर लेती थी।
राष्ट्रीय मंडल के सभी लोग प्रखर देशभक्त थे और लोकमान्य तिलक के अनुयायी थे। किंतु भाषा वे भी औपनिवेशिक स्वराज्य की ही बोलते थे। अत:डा.हेडगेवार राष्ट्रीय मंडल मेंे सहयोग तो करते रहे तथा आरंभ में उसकी सभा बैठकों आदि में भी भाग लेते रहे, किंतु मत भिन्नता के कारण वे उसके सदस्य नहीं बने।
नागपुर नेशनल यूनियन
आखिर में राष्ट्रीय मंडल के जो सदस्य विशुद्ध स्वातंत्र्य के विचार से सहमत हुए, उनके सहयोग से डा.हेडगेवार ने नागपुर नेशनल यूनियन नाम से एक नई राजनीतिक संस्था स्थापित की। इसमें विश्वनाथ राव केलकर, बलवंत राव मंडलेकर, भैया साहब बोबड़े तथा श्री चोरधड़े आदि उनके मित्र आ गए। कुछ दिनों बाद डा.ना.भा.खरे भी इसमें सम्मिलित हो गए।
नागपुर नेशनल यूनियन विशुद्ध स्वातंत्र्यवादियों की संस्था थी। युवा वर्ग को विशुद्ध स्वातंत्र्य का विचार प्रथम दृष्ट्या ही जंच जाता था, इसलिए अनेक नवयुवक इसके साथ जुड़ने लगे। लेकिन यह तो स्थानीय स्तर की संस्था थी। विशुद्ध स्वातंत्र्य सम्पूर्ण भारत के लिए था और इसके लिए अखिल भारतीय स्तर पर प्रयत्न करने की आवश्यकता थी।
कांग्रेस अखिल भारतीय संस्था थी। लेकिन उसका घोषित लक्ष्य स्वराज बहुत ही संकुचित और भारतीय स्वाभिमान के प्रतिकूल था। अत: 1920 में कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन के अवसर पर डा.हेडगेवार ने कांग्रेस को उचित दिशा देने के लिए दो प्रयास अधिवेशन से पूर्व ही दिये।
प्रथम प्रयास:गांधी जी से वार्ता
प्रथम प्रयास के रूप में उन्होंने बलवंत राव मण्डलेकर आदि के सहयोग से नागपुर के व्यंकटेश नाट्य गृह में एक सभा की और उसमें विशुद्ध स्वातंत्र्य ही हमारा उद्देश्य है, इस बात की घोषणा करने वाला एक प्रस्ताव पारित किया। कांग्रेस भी इसी प्रकार का प्रस्ताव पारित करे, यह आग्रह करने के लिए सभा की ओर से चार लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल गांधी जी से जाकर मिला। गांधी जी ने उनकी बात सुनकर केवल इतनी ही टिप्पणी की कि- स्वराज्य में ही विशुद्ध स्वातंत्र्य का समावेश हो जाता है।
डाक्टर जी को इस उत्तर से संतोष नहीं हुआ। एक ओर गांधी जी की उक्त टिप्पणी तथा दूसरी ओर गांधी जी   सहित कांग्रेस नेताओं द्वारा औपनिवेशिक दर्जा की मांग-ये दोनों बातें परस्पर विरोधी थीं।
द्वितीय प्रयास:विषय निर्धारण समिति में
अत:उन्होंने अब स्वागत समिति के माध्यम से दूसरा प्रयास किया। स्वागत समिति की ओर से एक प्रस्ताव अधिवेशन की विषय समिति के पास भेजा गया। प्रस्ताव में कहा गया था-कांग्रेस का ध्येय हिन्दुस्थान में प्रजातंत्र की स्थापना कर पूंजीवादी देशों के चंगुल से विश्व के देशों की मुक्ति है। विषय समिति ने विश्व के देशों की मुक्ति की कल्पना का उपहास करके उसे अमान्य कर दिया।
कलकत्ता के माडर्न रिव्यू ने मार्च 1929 के अंक में इस बारे में लिखा था-उस प्रस्ताव की ओर से विषय समिति द्वारा अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए था। पत्र ने आगे इस बात पर प्रसन्नता भी व्यक्त की थी कि नागपुर की स्वागत समिति में कुछ प्रजातंत्रवादी व्यक्ति हैं।
वह समय ऐसा था जब स्वातंत्र्य शब्द का उच्चारण करने में भी कुछ नेता घबराते थे। अत: इस प्रस्ताव में विशुद्ध स्वातंत्र्य शब्द का प्रयोग न करके, विशुद्ध स्वातंत्र्य को परिभाषित करने वाली शब्दावली का प्रयोग किया गया इसमें दो बातें साफ थीं-
1-हिन्दुस्थान में प्रजातंत्र की स्थापना-अर्थात् हिन्दुस्थान में हिन्दुस्थान के लोगों द्वारा ही चुनी हुई सरकार हो। किसी के द्वारा बलपूर्वक थोपी गई सरकार नहीं।
2-पूंजीवादी देशों के चंगुल से विश्व के देशों की मुक्ति-इंग्लैंड, फ्रांस, पुर्तगाल, हालैंड आदि पूंजीवादी देशों ने विश्व के आधे से अधिक देशों को गुलाम बना रखा था। उन गुलाम देशों को भी मुक्त कराने का काम कांग्रेस करेगी।
स्वाभाविक ही ये दोनों बातें तभी संभव थीं जबकि हिन्दुस्थान एक सार्वभौम सर्व प्रभुसत्ता सम्पन्न देश हो, जिसकी अपनी अर्थनीति, विदेश नीति और रक्षानीति हो। यानी जो किसी का उपनिवेश न हो। ऐसी स्थिति को ही उन्होंने प्रथम प्रस्ताव में विशुद्ध स्वातंत्र्य की संज्ञा दी थी।
यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि कांग्रेस आंदोलन केवल अंग्रेजों के ही विरुद्ध था जबकि इसी समय चन्द्रनगर एवं पाण्डिचेरी में फ्रांसीसी शासन था तथा गोवा, दमन व दीप में पुर्तगाली शासन था। अत: स्वागत समिति के उक्त प्रस्ताव में ह्यपूंजीवादी देशोंह्ण शब्दावली का प्रयोग करके डाक्टर हेडगेवार का उद्देश्य कांग्रेस का ध्यान इस ओर भी आकृष्ट करना था कि कालांतर में इन क्षेत्रों को फ्रांस व पुर्तगाल से मुक्त कराने का दायित्व भी कांग्रेस पर है।
डाक्टर जी के ये दोनों प्रयास सफल नहीं हुए। किंतु उन्होंने हार नहीं मानी। वे असहयोग आंदोलन में कूद पड़े। असहयोग के प्रचार लिए मध्य प्रांत के अनेक स्थानों का उन्होंने दौरा किया। सभी स्थानों पर अपने भाषणों में वे असहयोग का अंतिम लक्ष्य पूर्ण स्वातंत्र्य है, उसे वे अच्छी तरह प्रतिपादित करते थे। उसका परिणाम यह हुआ कि सरकार ने उनके भाषण करने पर पाबंदी लगा दी। परंतु डाक्टर जी उस पाबंदी को कहां स्वीकार करने वाले थे। अत: उन पर राजद्रोह का मुकदमा ठोक दिया गया।

डा.हेडगेवार का मुकदमा
उन दिनों कांग्रेस जनों की पद्धति यह थी कि मुकदमा चलने पर अपना बचाव न करना तथा सीधे अपराध स्वीकार कर लेना और जेल पहुंच जाना। किंतु डाक्टर जी ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने मुकदमे को भी लोक चेतना जागरण का माध्यम बनाने का निश्चय किया। उन्होंने अपने बचाव के माध्यम से अदालत में ही सरकार को नंगा करने की ठान ली। उनके चार वकील मित्र उनकी पैरवी करने के लिए खड़े हो गए। अंग्रेज न्यायाधीश इससे बहुत ही असहज स्थिति में आ गया और उसने वकीलों के काम में ही अड़चनें डालनी शुरू कर दीं। उससे वकील ने अदालत का बहिष्कार कर दिया। अब डाक्टर जी ने अपनी पैरवी स्वयं ही करने का निर्णय किया।
उन्होंने अदालत में जो अपना लिखित वक्तव्य दिया, उसका एक-एक वाक्य उनके अंदर जल रही पूर्ण स्वातंत्र्य की भावना का मानो स्फुलिंग था।           उन्होंने  कहा कि-
1-मेरे भाषण कायदे से प्रस्थापित ब्रिटिश राज्य के विरुद्ध असंतोष, द्वेष व द्रोह उत्पन्न करने वाले तथा हिन्दी और यूरोपीय लोगों के बीच शत्रुभाव पैदा करने वाले हैं। मेरे ऊपर लगाए गए इस अभियोग का स्पष्टीकरण मुझ से मांगा गया है। एक भारतीय के लिए भी जांच और न्यायदान के लिए एक परायी राजसत्ता बैठे, इसे मैं अपना तथा अपने महान देश का अपमान मानता हूं।
2-हिन्दुस्थान में न्यायाधिष्ठित कोई शासन है, ऐसा मुझे नहीं लगता तथा कोई यदि मुझे इस प्रकार की बात बताए तो मुझे आश्चर्य ही होगा। हमारे यहां आज जो कुछ है, वह तो पाशवी शक्ति के बल पर लादा हुआ भय और आतंक का साम्राज्य है। कानून उसका दास तथा न्यायालय उसके खिलौने मात्र हैं। विश्व के किसी भी भूभाग में यदि किसी शासन को रहने का अधिकार है तो वह जनता के द्वारा, जनता के लिए तथा जनता की सरकार को है। इसके अतिरिक्त अन्य सभी शासन राष्ट्रों को लूटने के लिए धूर्त्त लोगों द्वारा योजनापूर्वक चलाए हुए धोखेबाजी के नमूने हैं।
3-मैंने अपने देशबांधवों में अपनी दीन हीन मातृभूमि के प्रति उत्कट भक्तिभाव जगाने का प्रयत्न किया। मैंने उनके हृदय पर यह अंकित करने का प्रयत्न किया कि भारत भारतवासियों का ही है। यदि एक भारतीय राजद्रोह किये बिना राष्ट्रभक्ति के ये तत्व प्रतिपादित नहीं कर सकता तथा भारतीय एवं यूरोपीय लोगों में शत्रुभाव जगाए बिना वह साफ सत्य नहीं बोल सकता, यदि स्थिति इस कोटि तक पहुंच गई है तो यूरोपीय तथा वे, जो अपने को भारत सरकार कहते हैं, उन्हें सावधान हो जाना चाहिए कि अब उनके ससम्मान वापस चले जाने की घड़ी आ गई है।
4-मेरे भाषण की टिप्पणियां पूरी तरह तथा सही नहीं ली गईं, यह स्पष्ट दिख रहा है तथा जो मैंने कहा ऐसा बताया जा रहा है, वह मेरे भाषण का टूटा फूटा, कुछ का कुछ तथा विपर्यस्त विवरण है। किंतु मुझे इसकी चिंता नहीं। राष्ट्र-राष्ट्र के सम्बंध जिन मूलभूत तत्वों से निर्धारित होते हैं, उसी आधार पर ग्रेट ब्रिटेन तथा यूरोपीय लोगों के प्रति मेरा बर्ताव है। मैंने जो-जो कहा, वह अपने देश बंधुओं के अधिकार तथा स्वातंत्र्य की प्रस्थापना के लिए कहा तथा मैं अपने प्रत्येक शब्द का दायित्व लेने के लिए तैयार हूं। जो मेरे ऊपर आरोपित हैं, उसके संबंध में यदि मैं कुछ नहीं कर सकता तो मैं उसके एक-एक अक्षर का समर्थन करने के लिए तैयार हूं तथा कहता हूं कि यह सब न्यायोचित है।
-पालकर, डा.हेडगेवार चरित्र पृ.92-93
प्रतिपक्षी पर सिंह के समान झपटने वाले इन शब्दों को सुनकर न्यायाधीश महोदय बोल उठे-ह्यइनके मूल भाषण की अपेक्षा तो यह प्रतिवाद करने वाला वक्तव्य अधिक राजद्रोहात्मक है।ह्ण               शेष  अगले अंक में  

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Jyoti malhotra sent to 4 Day police remand

पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा को कोर्ट ने 4 दिन की पुलिस रिमांड में भेजा

Uttarakhand Pushkar Singh Dhami demography change

उत्तराखंड: सीएम धामी का सख्त फरमान, अतिक्रमण, भ्रष्टाचार और डेमोग्राफी नहीं करेंगे बर्दाश्त

S jaishankar

आतंकी पाकिस्तान में हैं तो उन्हें वहीं घुसकर मारेंगे: विदेश मंत्री एस जयशंकर बोले-ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी

pomegranate leaf tea

घर पर अनार के पत्तों की चाय कैसे बनाएं?

Pahalgam terror attack

BREAKING: जम्मू-कश्मीर: किश्तवाड़ में सेना की मुठभेड़ में दो आतंकी ढेर, दो की तलाश जारी

प्रतीकात्मक तस्वीर

ISI की बड़ी साजिश नाकाम: दो पाकिस्तानी एजेंट गिरफ्तार, दिल्ली में आतंकी हमले की थी तैयारी

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Jyoti malhotra sent to 4 Day police remand

पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा को कोर्ट ने 4 दिन की पुलिस रिमांड में भेजा

Uttarakhand Pushkar Singh Dhami demography change

उत्तराखंड: सीएम धामी का सख्त फरमान, अतिक्रमण, भ्रष्टाचार और डेमोग्राफी नहीं करेंगे बर्दाश्त

S jaishankar

आतंकी पाकिस्तान में हैं तो उन्हें वहीं घुसकर मारेंगे: विदेश मंत्री एस जयशंकर बोले-ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी

pomegranate leaf tea

घर पर अनार के पत्तों की चाय कैसे बनाएं?

Pahalgam terror attack

BREAKING: जम्मू-कश्मीर: किश्तवाड़ में सेना की मुठभेड़ में दो आतंकी ढेर, दो की तलाश जारी

प्रतीकात्मक तस्वीर

ISI की बड़ी साजिश नाकाम: दो पाकिस्तानी एजेंट गिरफ्तार, दिल्ली में आतंकी हमले की थी तैयारी

G Parmeshwar ED Raid Cooperate

अपने शैक्षणिक संस्थानों पर ED के छापे से नरम पड़े कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर, अब कहा- हम सहयोग करेंगे

Operation Sindoor BSF Pakistan infiltration

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने 8 मई को 45-50 आतंकियों की घुसपैठ कराने की कोशिश की, बीएसएफ ने किया नाकाम

करवाचौथ का व्रत केवल सुहागिनों के लिए ही क्यों, “तलाकशुदा और लिव के लिए भी हो”, SC ने खारिज की दलील

G Parmeshwara ED Raids Gold smuggling case

बुरे फंसे कर्नाटक के गृहमंत्री जी परमेश्वर, गोल्ड तस्करी के मामले में ED ने कई ठिकानों पर मारे छापे

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies