खानदान के आगे दूसरों की क्या बिसात?
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खानदान के आगे दूसरों की क्या बिसात?

by
Nov 2, 2013, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 02 Nov 2013 15:32:12

आवरण कथा 'पिट गए मोहरे,पलट गई बिसात ' कांग्रेस की असलियत को उजागर करती है। कंाग्रेस के मीडिया प्रभारी अजय माकन जिस प्रेस वार्ता में दागियों को बचाने वाले अध्यादेश की पैरवी कर रहे थे,उसी में अचानक राहुल गांधी पधारे और उन्होंने उस अध्यादेश को बकवास बताकर उसे फाड़ने की बात कह डाली। इसके बाद सभी कांग्रेसी उस अध्यादेश को फेंकने की बात कहने लगे। ऐसा कांग्रेस में ही हो सकता है। वहां गांधी खानदान के अलावा और किसी नेता की कुछ नहीं चलती है।
-गणेश कुमार
कंकड़बाग,पटना(बिहार)
० सम्पादकीय में बिल्कुल सही लिखा गया है कि प्रेस वार्ता की पटकथा पहले ही लिखी गई थी। लोगों की आंखों में धूल झोकने के लिए प्रेस वार्ता बुलाई गई थी। कांग्रेस के रणनीतिकारों की मंशा यह थी कि इस अध्यादेश के बहाने युवराज को नायक बनाना है। कांग्रेस यह मत भूले कि जनता सब कुछ जानती है। कांग्रेसी यह भी न भूले कि किसी को योग्यता का इंजेक्शन देकर योग्य नहीं बनाया जा सकता है।
-विशाल कुमार
शिवाजी नगर,वडा
जिला-थाणे(महाराष्ट्र)
० तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने अपने विरुद्घ आए इलाहबाद उच्च न्यायालय के निर्णय को बदलने के लिए अध्यादेश लाया था,संविधान में संशोधन भी किया था। 37 वर्ष बाद भी कांग्रेस वहीं खड़ी है। उसने इतिहास से सबक नहीं लिया है। राहुल गांधी के विरोध के बाद अध्यादेश को वापस लेना सिद्घ करता है कि संप्रग सरकार का मुखिया प्रधानमंत्री नहीं और कोई है।  
-मनोहर मंजुल
पिपल्या-बुजुर्ग
पश्चिम निमाड़(म. प्र.)
 ० दागियों को बचाने के लिए अध्यादेश लाने वालों की मंशा क्या थी,यह तो लोगों को पता चल ही गया है। कांग्रेस की चतुराई समझने की जरूरत भी है। अध्यादेश की वापसी का श्रेय राहुल को दिया जा रहा है। क्या यह कोई मान सकता है कि वह अध्यादेश राहुल की जानकारी के बिना तैयार हुआ होगा? बिल्कुल नहीं। जब लोग उस अध्यादेश के खिलाफ बोलने लगे तब जन भावना के भय से उसे वापस लिया गया।
-राममोहन चन्द्रवंशी
विट्ठल नगर,टिमरनी
जिला-हरदा(म. प्र.)
० उस अध्यादेश का विरोध राहुल ने तब किया जब उन्होंने देखा कि भाजपा के नेता राष्ट्रपति से मिल चुके हैं और राष्ट्रपति ने तीन मंत्रियों को बुलाकर इस पर चर्चा की। कांग्रेसी समझ गए थे कि राष्ट्रपति इस पर हस्ताक्षर नहीं  करने वाले हैं तो उन्होंने अपनी इस गलती के बहाने राहुल को चमकाने का निर्णय लिया। राहुल के लिए अजय माकन का अपमान किया गया।
-हरेन्द्र प्रसाद साहा
नया टोला,कटिहार(बिहार)
० राहुल गांधी ने अध्यादेश का विरोध करने के लिए बचकानी बातें कहीं। उन्होंने शब्दों का चयन ठीक  से नहीं किया था। बाद में एक जगह भाषण देते हुए कहा कि मेरी मां ने मुझसे कहा कि तुम्हारी भावना ठीक थी,तुम्हारे शब्द ठीक नहीं थे। इन बातों से यही लगता है कि अभी बच्चे को घर में रहकर बहुत कुछ सीखना चाहिए। जब राजनीति की पूरी समझ आ जाए तब राजनीति करे।
-अनूप कुमार शुक्ल
संस्कृ ति भवन,राजेन्द्र नगर
लखनऊ  (उ. प्र.)
घटिया राजनीति
 पिछले दिनों केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने राज्य सरकारों को पत्र लिखा कि निर्दोष मुस्लिमों की गिरफ्तारी पर सावधानी बरती जाए। राजनीति का स्तर बहुत ही घटिया हो चुका है। वोट के लिए ये नेता किस हद तक गिरेंगे यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। गिरफ्तारी से पहले यह कैसे सिद्घ हो सकता है कि कौन दोषी है और कौन निर्दोष? यह तो न्यायालय तय करेगा। शिंदे का पत्र पुलिस का मनोबल गिराने वाला है।
-हरिओम जोशी
चतुर्वेदी नगर,भिण्ड(म. प्र.)
०तुष्टीकरण की राजनीति ने देश में साम्प्रदायिक विभाजन की गहरी खाई पैदा कर दी है। सेकुलर नेता आंख बंद कर लगातार कट्टरवादियों का पालन-पोषण कर रहे हैं। इस कारण राष्ट्र विरोधी तत्वों का मनोबल तेजी से बढ़ता जा रहा है। असंवैधानिक और आधारहीन काम किये जा रहे हैं। शिंदे की चिट्ठी भी इसी दायरे में आती है।
-रमेश कुमार सिंह
ग्राम-कंदीपुर,पत्रा-कटघरमूसा
जिला-अम्बेदकर नगर(उ. प्र.)
आतंक का काला रंग
केन्या की घटना का विश्लेषण 'ये आतंकी घटना नहीं,मजहबी पागलपन है' पढ़ा। जिहादियों को शान्ति अच्छी नहीं लगती,तभी तो वे मजहब के नाम पर आतंक का काला रंग पूरी दुनिया में भरना चाहते हैं। कोई भी धर्म या मजहब सम्बंधित समाज का दर्पण होता है। यदि उस दर्पण को तोड़ा जाएगा तो प्रतिबिम्ब में दुनिया बदरंग ही नजर आएगी।
-हरिहर सिंह चौहान
जंवरीबाग नसिया
इन्दौर-452001(म .प्र.)
भ्रमित राजनीति
पिछले दिनों दिल्ली की एक रैली में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा था कि वे सरदार तो हैं पर असरदार नहीं। उनके इस बयान की आड़ में कुछ लोग भ्रमित राजनीति कर रहे हैं। ये लोग उस बयान को  मजहब के साथ जोड़कर अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं। इन्ही लोगों ने कुछ दिन पहले भी कच्छ(गुजरात) के एक मामले(जो सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है) को भी मजहबी रंग देने का प्रयास किया था।
-बी एल सचदेवा
263,आई एन ए,मार्केट
नई दिल्ली-110023  
पाञ्चजन्य परिवार को धन्यवाद
 कुछ दिन पहले पाञ्चजन्य में एक समाचार आया था कि 'लोटे चोके पाई' में गो-मांस मिला हुआ है। इस समाचार के लिए पाञ्चजन्य परिवार को धन्यवाद। हमारे यहां सभी गुरुभाई बहुत ही चाव से पाञ्चजन्य पढ़ते हैं। यही नहीं है हम लोग अन्य लोगों को भी पाञ्चजन्य पढ़ने को प्रेरित करते हैं। आवश्यकता है पाञ्चजन्य को और अधिक प्रचारित करने की। यह हर हिन्दू घर में पहुुंचे,ऐसा प्रयास होना चाहिए।
-मुनि निर्मोह सुन्दर
अमदाबाद(गुजरात)
चरम पर तुष्टीकरण नीति
आज पूरे देश के सामने कांग्रेस का चाल-चरित्र और चेहरा सामने आ गया है कि वह सिर्फ और सिर्फ वोट के लिए मुस्लिमों का तुष्टीकरण कर रही है। हाल ही में कांग्रेस की अध्यक्षा और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुजफ्फरनगर दंगा क्षेत्र का दौरा किया था। लेकिन इन लोगों का पूरा ध्यान सिर्फ पीडि़त मुस्लिमों पर ही रहा। पीडि़त हिंदुओं से न तो कोई मिलने गया और न ही उन्हें कोई समुचित सहायता उपलब्ध करायी गई । कुछ हिंदू संगठनों के द्वारा दंगे में पीडि़त हिंदुओं की मदद भी करने का प्रयास किया गया लेकिन प्रदेश सरकार उनके मार्ग में बाधक बनी। आज यह सच्चाई पूरे देश के सामने आ गई है कि किस प्रकार राजनेता  मुस्लिमों की अंधभक्ति में लगे हुए हैं।
-अरुण मित्र
324, रामनगर, दिल्ली-110051
पाकिस्तान को मुंह तोड़   जवाब देना होगा
गत दिनों जम्मू-कश्मीर में जिस प्रकार आतंकियांे ने हमला करके हमारे वीर सैनिकों की जान ली है और हमारी सरकार ने सिर्फ इस घटना की निंदा करके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली । ऐसी सरकार से हम क्या अपेक्षा कर सकते हैं, जो देश की रक्षा करने वालों की नहीं है।  ऐसी सरकार आम जनमानस के विषय में क्या करेगी? केन्द्र सरकार की जितनी भी निंदा की जाए वह कम है। आज देश को एक क्रांतिकारी बदलाव की जरूरत है। हमंे ऐसी सरकार को लाना होगा जो हमारे देश, समाज, सेना, किसान, विद्यार्थी सभी के विषय में समान रूप से सोचे और देश पर हमला करने वाले पाकिस्तान को उसके घिनौने कार्य का मुंह तोड़ जवाब दे।
-कमलेश कुमार ओझा
दक्षिणपुरी, नई दिल्ली
उत्तराखण्ड सरकार के आपदा प्रबंधन की खुली पोल
पिछले कु छ माह पूर्व जिस प्रकार उत्तराखण्ड के  केदारनाथ धाम में कहर बरपा उससे सरकार के आपदा प्रबंधन की पोल खुल गयी है। सरकार के द्वारा  समय रहते इसमें काम कर लिया जाता तो इतनी बड़ी घटना नहीं घटती और न ही हजारों लोगों की जान जाती। उत्तराखण्ड में सरकारी शह पर खनन माफियाओं ने अपने लाभ के लिए पूरे पहाड़ी क्षेत्र में प्राकृतिक संपदा का दोहन किया । इसके फलस्वरूप हमारे सामने यह समस्या उत्पन्न हुई।
-गोपाल
गांधीग्राम,गोड्डा (झारखण्ड)

 
 

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