कोच्चि में रा.स्व.संघ के अ.भा. कार्यकारी मण्डल की बैठक में पारित हुआ प्रस्ताव
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गत 25-27 अक्तूबर को कोच्चि (केरल) में रा. स्व. संघ के अ.भा. कार्यकारी मण्डल की बैठक सम्पन्न हुई। गत वर्ष के कार्यक्रमों और भविष्य के कार्यों की मीमांसा-चिंतन के अलावा बैठक में दो प्रस्ताव पारित किए गए। बैठक केअंतिम दिन सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी ने पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की संप्रग सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है। भ्रष्टाचार को लेकर संप्रग सरकार चौतरफा घिरी हुई है। देश में बदलाव होना बेहद जरूरी है। जनता आने वाले लोकसभा चुनावों में अपने मतदान का उपयोग कर इसका सटीक जवाब देगी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आगामी जनवरी से एक अभियान शुरू करेगा, जिसके तहत हर स्वयंसेवक क्षेत्र में रहने वाले हर मतदाता को अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वाने को कहेगा, ताकि शत-प्रतिशत लोगों के नाम मतदाता सूची में जुड़ें और वे अच्छी सरकार चुन सकें।
कोच्चि में हुई इस बैठक में देश भर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 375 वरिष्ठ कार्यकर्ता पहुंचे थे। बैठक में विचार विमर्श के दौरान सभी प्रतिनिधियों ने संप्रग सरकार के सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा (निवारण) विधेयक पर अपना विरोध प्रकट किया। श्री जोशी ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इसका पहले भी विरोध कर चुका है।
यहां हम बैठक में पारित प्रस्तावों के संपादित अंश प्रकाशित कर रहे हैं।
प्रस्ताव क्ऱ. 1
सर उठा रहे हैं कट्टरवादी संगठन
यद्यपि अलगाववादी तथा पृथकतावादी शक्तियां समूचे भारत में विद्यमान हैं परन्तु गत कुछ समय से विशेषकर दक्षिण भारत में, मुस्लिम युवाओं में इन तत्वों का बढ़ता प्रभाव; आतंकवाद का प्रशिक्षण देकर उन्हें अन्य राज्यों में फैलाने वाले गुट, हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के कार्यकर्ताओं पर हमले और राष्ट्रविरोधी माओवादी तथा अन्तरराष्ट्रीय जिहादी संगठनों से मिलीभगत से ये तत्व देश की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बन चुके हैं। अपने ढुलमुल रवैये के चलते अभी तक की सभी सरकारों के इन राष्ट्र विघातक तत्वों के प्रति आंखें मूंदना समस्त देशभक्तों के लिये अत्यंत चिन्ता का कारण बना है।
सिमी पर प्रतिबन्ध के उपरान्त ह्यपॉपुलर फ्रन्ट ऑफ इण्डियाह्ण एवं उसके सहयोगी संगठनों के प्रादुर्भाव को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिये। कर्नाटक फॉर डिग्निटी, तमिलनाडु के ह्यमनिथा नीति पासराईह्ण व केरल के ह्यनेशनल डेवलपमेंट फ्रंटह्ण जैसे संगठनों के समन्वय से बना यह संगठन ह्यलोकतंत्र व सामाजिक न्याय के प्रसारह्ण की आड़ में वस्तुत: कट्टटरपंथी विचारों के प्रसार का ही कार्य कर रहा है। बड़ी मात्रा में मुस्लिम युवकों को बरगलाना, उन्हें हथियारों का प्रशिक्षण, न्यायालय के ह्यकश्मीर में जिहाद भर्ती प्रकरणह्ण के निर्णय से उजागर हुई देश के अन्य राज्यों में आतंकवाद फैलाने की योजना, पुलिस तथा सरकारी तंत्र में घुसपैठ, लश्कर-ए-तोएबा, हिज्बुल मुजाहीद्दीन, अलकायदा जैसे संगठनों से इन तत्वों के संबंध की केरल सरकार द्वारा उच्च न्यायालय में दी गई स्वीकारोक्ति से इन संगठनों का असली चेहरा तथा उद्देश्य स्पष्ट होता है। इन संगठनों के द्वारा राजनीतिक मुखौटे की आड़ में देश के अन्यान्य भागों में विस्तार करने के प्रयासों को प्रारम्भ मेंे ही निर्मूल कर देना चाहिए।
ये कट्टरपंथी ताकतें केरल को असामाजिक एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का अखाड़ा बना रही हैं। जहां उत्तरी केरल आतंकवादियों की प्रशिक्षण-स्थली एवं छिपने का सुरक्षित क्षेत्र बन रहा है वहीं नकली मुद्रा व सोने की तस्करी के बल पर तटीय एवं सामरिक महत्व के अन्य क्षेत्रों में ये तत्व महंगे ऊंचे दामों पर जमीन की भारी खरीददारी कर रहे हैं। हिन्दू युवक-युवतियों को योजनापूर्वक बहकाने का कुचक्र, विद्वेषपूर्ण जिहादी साहित्य का बड़ी मात्रा में वितरण, कुछ प्रचार माध्यमों द्वारा किया जा रहा विषैला दुष्प्रचार और विशेषकर उत्तर केरल में मुस्लिम आबादी की विषम अनुपात में वृद्घि आदि से राज्य विस्फोट के कगार पर खड़ा है। 1998 के कोयम्बतूर बम विस्फोट प्रकरण सहित अनेकों आतंकवादी घटनाओं में अभियुक्त कुख्यात अपराधी अब्दुल नजीर मदनी के पारिवारिक कार्यक्रम में मंत्रियों सहित विभिन्न राजनेताओं का सम्मिलित होना एवं केरल सरकार द्वारा मराड नरसंहार मामले को सी़बी़आई. को जांच हेतु सौंपने से इनकार करना आदि घटनाओं ने उन्हें मिल रहे खुले राजनीतिक समर्थन को उजागर किया है।
इन आतंकी लपटों ने अब पड़ोसी राज्यों, कर्नाटक व तमिलनाडु को भी घेर लिया है। तमिलनाडु में हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं तथा उनके कार्यालयों पर आक्रमण, हिन्दू समाज के धार्मिक आयोजनों पर आघात, अमरीकी वाणिज्य दूतावास पर उग्र प्रदर्शन, हाल ही में हुई हिन्दू मुन्नानी तथा भाजपा के राज्यस्तरीय नेताओं की हत्याएं व आन्ध्र प्रदेश के पुत्तूर में पुलिस के साथ हुई सशस्त्र मुठभेड़ इन तत्वों के राज्य में बढ़ते प्रभाव के परिचायक हैं। दुर्भाग्यवश राज्य के सत्तासीन एवं विपक्षी दल, दोनों ही अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की होड़ में इन तत्वों की पूर्णतया अनदेखी कर रहे हैं।
अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल केन्द्र एवं सम्बन्धित राज्य सरकारों से यह मांग करता है कि इन कट्टरपंथी समूहों की गुप्त गतिविधियों, उनके भारत तथा भारत से बाहर के सम्पर्क सूत्रों व आर्थिक स्रोतों के बारे में केन्द्रीय एजेन्सियों द्वारा सघन जांच एवं ऐसे संगठनों पर प्रतिबंध सहित अन्य कड़े उपायों द्वारा इन शक्तियों को निर्मूल करें। अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल प्रचार माध्यमों सहित सभी राष्ट्रभक्त शक्तियों का आह्वान करता है कि इन तत्वों के प्रति सजग रहते हुए विभिन्न राजनीतिक दलों व सरकारों को इनके विरुद्घ कठोर कदम उठाने के लिये बाध्य करें।
प्रस्ताव क्र.-2
सीमाओं की सुरक्षा हो
अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल भारत की भू-सीमाओं की वर्तमान स्थिति तथा सीमावर्ती गांवों के जनजीवन की परिस्थितियों की ओर राष्ट्र का ध्यान आकर्षित करना चाहता है। भारत की जमीनी सीमाएं आठ देशों के साथ मिलती हैं। यह खेद की बात है कि इन में से अधिकांश देशों के साथ भारत को सीमा विवाद का सामना करना पड़ रहा है।
4057 किलोमीटर लम्बी अति संवेदनशील भारत-तिब्बत सीमा ही सर्वाधिक उपेक्षित है। अनेक क्षेत्रों में पक्की सड़क के सीमा रेखा से 50-60 कि़ मी़ पहले ही समाप्त हो जाने के कारण सीमावर्ती गांवों के लोगों को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
अ़ भा.का़ मं. इस बात पर बल देना चाहता है कि सीमाओं की सुरक्षा करने वाले जवानों की तरह ही सीमावर्ती गांवों में रहने वाला समाज भी सीमाओं के रक्षक है। सीमावर्ती गांवों की दुर्दशा पर सरकारों की उदासीनता सीमाओं की सुरक्षा के लिए घातक है।
भारत-पाक सीमा तथा नियंत्रण रेखा के निकट बसने वाले भारतीय नागरिकों को पाकिस्तान सेना की लगातार हो रही गोलीबारी के कारण अपने प्राणों पर सतत खतरे का सामना करना पड़ रहा है। सम्पत्ति और पशुधन की हानि, यहां तक कि प्राणों की हानि भी उनके दैनंदिन जीवन का भाग बन गयी है। उन्हें प्रशासन से क्षतिपूर्ति या तो मिलती ही नहीं या बहुत अपर्याप्त मिलती है। सीमा पर तारबन्दी तथा सीमा सुरक्षा हेतु बिछाई गई बारूदी सुरंगों के कारण उनका अपने खेतों तक आना-जाना भी बाधित हो गया है।
भारत-नेपाल, भारत-म्यांमार और भारत-बंगलादेश की सीमाएं, अवैध व्यापार, जाली नोट, अवैध हथियारों की तस्करी तथा मानव व मादक पदाथोंर् की तस्करी आदि गतिविधियों के लिए सुरक्षित क्षेत्र बन गयी हैं। आतंकवादी तथा राष्ट्रविरोधी शक्तियों द्वारा इन सीमाओं का उपयोग पड़ोसी देशों में भागकर छिपने के लिये हो रहा है। भारत-बंगलादेश सीमा अभी भी सछिद्र होने के कारण वहां घुसपैठ तथा गोवंश सहित पशुधन की तस्करी बड़ी मात्रा में निरन्तर हो रही है।
अ़ भा.का़ मं. सरकार तथा उसके अधिकारियों से यह मांग करता है कि वे इस तोतारटन्त को बंद करें कि अपनी सीमाएं पूरी तरह से निर्धारित नहीं हैं। यह असत्य है। भारत की सीमाएं सुस्पष्ट हैं। अ़ भा.का़ मं़ देश की जनता का आह्वान करता है कि उन्हें यह नहीं मान लेना चाहिए कि सीमा सुरक्षा केवल सरकार तथा सुरक्षा बलों का ही दायित्व है अपितु देशभक्त जनता का कर्तव्य है कि वे अपनी सीमाओं के बारे में सजग रहते हुए उनकी सुरक्षा के लिए सदैव तत्पर रहे।
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