तालिबानियों से सुलह-सफाई में पाकिस्तानी दखल
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शरीफ की ह्यशराफतह्ण की बानगी
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की ह्यशराफतह्णकी कलई खोलने वाली किताब ह्यमेग्निफीसेंट डेल्यूजन्सह्ण को लेकर इन दिनों खूब चर्चा है। कारण यह कि किताब पूर्व पाकिस्तानी राजनयिक हुसैन हक्कानी ने लिखी है, इसलिए उसमें कही बातों की सच्चाई पर शक की गुंजाइश नहीं है। हक्कानी ने लिखा है-मई,1992 में शरीफ ने आईएसआई को कश्मीर में गुप्त अभियान जारी रखने को कहा था। बावजूद इसके कि अमरीका ने धमकी दी हुई थी कि इससे पाकिस्तान पर आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देश का ठप्पा लगाया जा सकता है। लेकिन शरीफ का कहना था कि पाकिस्तान भारत में जारी आईएसआई और अपनी फौज के अभियानों को रोक नहीं सकता। अमरीकी मीडिया और कांग्रेस को अपने पाले में करने की गरज से शरीफ ने 20 लाख डालर भी सरकारी खजाने से दिए थे। जल्दी ही विमोचित होने जा रही इस किताब के लेखक हक्कानी खुद अमरीका में पाकिस्तान के राजदूत रह चुके हैं।
पोप के चुनाव के वक्त गत मार्च में वेटिकन में जो कार्डिनलों की बातचीत हुई थी उस पर और उसके साथ ही बाद में पोप की चर्चा-वार्ता पर अमरीकी खुफिया एजेंसी एनएसए के कान लगे हुए थे। वह सब टेप किया जा रहा था। यह खुलासा करने वाली है इटली की एक साप्ताहिक पत्रिका, पैनोरमा। पैनोरमा की मानें तो, अमरीका ने तब मार्च 2013 में पोप के चुनाव से पहले वेटिकन आने और वहां से जाने वाले लाखों फोन कॉलों पर कान लगाए हुए थे, वह सबकी बातें सुन रहा था और उन्हें रिकार्ड कर रहा था, यहां तक कि उन कार्डिनल जॉर्ज मारियो की भी जो आगे पापे बने। पत्रिका में जब यह छपा तो वेटिकन ने ऐसी किसी भी जानकारी के होने से इनकार कर दिया।
इटली में जो हुआ वह कोई नई बात नहीं है। फ्रांस, जर्मनी, ब्राजील, मैक्सिको और स्पेन तो पहले ही अमरीका की इस हरकत पर अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं, क्योंकि एनएसए ने इन सब देशों में भारी खुफियागिरी दिखाई थी। जर्मनी की राष्ट्राध्यक्ष एंजेला मेरकेल तो पिछले दिनों ब्रूसेल्स में हुए यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन में अपनी नाराजगी जता चुकी हैं। 2002 से 2012 तक, दस साल तक उनके फोन सुने गए थे और मेरकेल को यह बात बाद में पता चली थी। इस सबके बीच अमरीकी खुफिया एजेंसी के प्रमुख ने अमरीकी संसद के सामने अपनी पेशी में इस खुफियागिरी का पक्ष लिया। उधर संसद की समिति अमरीकी खुफिया अभियानों में फेरबदल का इरादा जता चुकी है।
अब न चलेंगे सीरिया के रासायनिक हथियार
रासायनिक हथियारों पर नजर रखने वाली संस्था आर्गेनाइजेशन फॉर प्रोहिबिशन ऑफ कैमिकल वेपन्स और संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी अभी पीछे सीरिया के 23 में से 21 रासायनिक हथियारों के ठिकानों पर मुआयना करने गए थे। मुआयने के बाद जारी उनके बयान में कहा गया है कि सीरिया ने तय वक्त से पहले ही अपने तमाम रासायनिक हथियार निष्क्रिय कर दिए हैं। वहां जारी घरेलू उथल पुथल और विद्रोह के चलते वे दो ठिकानों पर नहीं जा पाए। यह मुआयना रूस और अमरीका के बीच हुए एक करार के तहत हुआ था। अब सीरिया पर 2014 के मध्य तक अपने सारे रासायनिक हथियारों के भण्डार को तबाह करने की जिम्मेदारी है और लगता है, समय से पहले काम हो जाएगा।
दुबई का गुरुद्वारा बना आकर्षण का केन्द्र
दुबई के जाने-माने जेबेल अली इलाके में स्थित स्वर्ण मंडित गुरुद्वारा खासा आकर्षण का केन्द्र बन गया है। कंगूरों पर 24 कैरेट सोने के पत्तर और इटली के संगमरमर से सजा यह भव्य गुरुद्वारा बनाया है अल दोबोवी समूह के अध्यक्ष सुरिन्दर सिंह कंधारी ने। 6.5 करोड़ डरहम की लागत से बने, एक लाख वर्ग फुट में फैले इस चार मंजिला गुरुद्वारे को बनाने में छह साल लगे हैं। इसकी दीवारों पर नक्काशीदार काम और रंग बिरंगी सजावट मन मोह लेती है। यह दुबई के मुख्य आकर्षणों में से एक है। इसमें बेहद तेज चढ़ने वाली लिफ्ट है। रोजाना सैकड़ों देशी-विदेशी श्रद्धालु यहां दर्शनों के लिए आते हैं, चढ़ावा भी खूब चढ़ता है।
आलोक गोस्वामी
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