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संघे शक्ति: कलौयुगे

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Oct 26, 2013, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 26 Oct 2013 17:48:00

एकल परिवार के दौर में जहां आज भाई-भाई के साथ रहने को तैयार नहीं दिखते, वहीं फरीदाबाद में रहने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट दो मित्र 80 के दशक से साथ रह रहे हैं। खासबात यह है कि दोनों परिवारों की रसोई भी साझी है जिससे रिश्तेदार ही नहीं, बल्कि दोस्त भी उनकी मिसाल देते हैं। यहां तक की शहर से बाहर घूमने के लिए जाना हो तो दोनों परिवार साथ ही जाते हैं। इन दोनों मित्रों ने साबित कर दिया कि सिर्फ माता-पिता से ही विरासत में मिलने वाला खून का संबंध नहीं होता, बल्कि व्यक्ति स्वयं भी कभी न टूटने वाले रिश्ते बना लेता है।
ऐसे मिले थे
चार्टर्ड अकाउंटेंट डा. राज. के. अग्रवाल बताते हैं कि उनकी पहली बार मित्र राकेश गुप्ता से मुलाकात वर्ष 1978 में हुई थी। उस समय दोनों आगरा स्थित सेंट जॉन्स कॉलेज में पढ़ने गये थे। दोनों ही पढ़ाई में अव्वल थे जिससे उनकी निकटता बढ़ती चली गई। उसके बाद दोनों ने वर्ष 1980 में दिल्ली आकर चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्थान में दाखिला लिया और सीए बनने के बाद से फरीदाबाद में प्रैक्टिस शुरू कर दी। इसके बाद सीएस, आईसीडब्ल्यूए, एलएलबी, एमबीए और पीएचडी भी दोनों ने साथ-साथ की। राकेश गुप्ता ह्यआयकर अपीलीय अधिकरणह्ण में सदस्य के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
परिवार भी जुड़ गये
दोस्ती के बाद दोनों एक ही किराये के कमरे में रहते थे। वर्ष 1986 में राज. के. अग्रवाल की शादी हो गई। फिर उन्होंने साथ रहना नहीं छोड़ा। वर्ष 1989 में राकेश गुप्ता की शादी हुई और दोनों परिवार जुड़ गये। वर्ष 1997 से दोनों परिवारों ने सेक्टर-9 फ रीदाबाद में अपना घर बनाकर रहना शुरू कर दिया। आज देश के नामी चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में दोनों मित्रों ने अपनी पहचान कायम की और न केवल फरीदाबाद, बल्कि दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन और ईस्ट ऑफ कैलाश जैसे पॉश इलाकों में इनके दफ्तर चल रहे हैं। इन्हें राकेश राज एंड एसोसिएट्स के नाम से जाना जाता है। आयकर के मामले में तो राकेश जी को देशभर के लोग जानते हैं। दोनों की एक पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है।
परिवार में सदस्य
अग्रवाल परिवार में 80 वर्षीय श्रीनिवास अग्रवाल, पत्नी शकुंतला देवी, बेटा राज. के. अग्रवाल, बहू मीना अग्रवाल और पोता सोमिल है। पोती आंचल की शादी हो चुकी है। गुप्ता परिवार में 78 एम. एल. गुप्ता, पत्नी शांति गुप्ता, बेटा राकेश गुप्ता, बहू अनपूर्णा गुप्ता, पोता प्रखर और पोती राधिका रहते हैं। अग्रवाल परिवार मथुरा, जबकि गुप्ता परिवार कोसी का  है, लेकिन इन दोनों परिवार के 11 सदस्य अलग-अलग होने के बाद भी एक ही छत के नीचे रहकर दोस्ती के साथ-साथ संयुक्त परिवार की भी अनोखी मिसाल दे रहे हैं। अनपूर्णा गुप्ता भी चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और वह फरीदाबाद स्थित दफ्तर को संभालती हैं।
एक ही रसोई
आमतौर पर स्कूल, कॉलेज में पढ़ाई करने के बाद दोस्त अलग-अलग राह पकड़ लेते हैं, लेकिन इन दोनों ने कॉलेज से ही एक राह पकड़ ली। पढ़ाई के बाद रोजगार भी मिलकर किया और घर भी ऐसा बनाया जिसमें एक साथ रहते हैं। राज. के. अग्रवाल बताते हैं कि फरीदाबाद में किराये के मकान में रहने के बावजूद दोनों परिवारों की रसोई एक ही थी।
रिश्तेदार भी हैरान होते हैं
दोनों परिवारों के साथ रहने को लेकर इनके रिश्तेदार भी खासे हैरान होते हैं। सभी का कहना रहता है कि जिस दौर में भाई-भाई के और बच्चे माता-पिता के साथ रहने को तैयार नहीं हैं, उस दौर में दोनों परिवारों का साथ रहना आज टूटते परिवारों के लिए आदर्श उदाहरण है।
घूमने भी साथ ही जाते हैं
इस परिवार के सदस्य देश-विदेश में घूमने के लिए भी साथ ही जाते हैं। दोनों परिवार सालभर में तीन-चार बार एक साथ घूमने के लिए निकलते हैं। इनकी टोली मंे तीन मित्रों के और परिवार शामिल रहते हैं। इनका कहना है कि अकेले घूमने के बारे में कभी सोच भी नहीं सकते हैं।
सुरक्षा की चिंता नहीं
दोनों परिवारों के साथ रहने से यहां रहने वाले बुजुर्ग दंपतियों या घर की सुरक्षा की चिंता भी नहीं सताती है। दरअसल हर समय घर में कोई न कोई रहता है जिससे घर से बाहर रहने वाले सदस्य संतुष्ट रहते हैं।
शिक्षा का प्रसार
राकेश गुप्ता ने बताया कि उनके पिता श्री एम. एल. गुप्ता ने एक संस्था बनाई है, जो कि गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने के लिए प्रयासरत है। शहर के कई स्कूलों में शाम की पाली में ये लोग बच्चों को पढ़ाते हैं और उनकी पूरी तरह से देखभाल करते हैं। राज. के. अग्रवाल बताते हैं कि उन्होंने और राकेश ने शुरुआती दिनों में कड़ी मेहनत कर आज अपने जीवन में नये आयाम स्थापित किये हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त करने से ही उन्हें यह सब प्राप्त हुआ है। इस लिए दोनों परिवारों का उद्देश्य है कि शिक्षा का खूब प्रचार-प्रसार कर जरूरतमंद लोगों को आगे बढ़ाया जाये।
जन्मदिन भी साथ मनाते हैं
घर में किसी सदस्य का जन्मदिन हो तो बाहर नहीं जाते, बल्कि दोनों परिवार मिलकर घर पर ही उसका आयोजन करते हैं। ऐसे में बाहर से आए लोगों को मिलाकर खूब मनोरंजन हो जाता है।
रात को साथ बैठते हैं
परिवार के सदस्य सुबह तो कार्य की वजह से भागदौड़ में रहते हैं, लेकिन रात में एक बार कम से कम सभी मिलकर एक-दूसरे से बातचीत करते हैं। अग्रवाल और गुप्ता परिवार के सदस्य खाली समय में ताश खेलकर अपना समय व्यतीत करते हैं। दोनों मित्रों के माता-पिता भी इनकी दोस्ती को देखकर फूले नहीं समाते हैं और ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं कि ये जोड़ी खूब आगे बढ़े। घर के बुजुर्ग अपने पोता-पोती को भी मिलजुल कर रहने की शिक्षा देते हैं। यही नहीं रिश्तेदारों के बच्चों को भी बुजुर्ग ह्यएकता में बलह्ण की शिक्षा    देते हैं।
 

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