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पिछले दिनों बिहार के एक गांव में स्कूलों में मिलने वाले दोपहर के भोजन (मिड डे मील) खाकर 23 छात्रों की मौत हो गई थी। इसके बाद देश के विभिन्न स्थानों पर इस तरह की घटनाएं हुई थीं। जहां दोपहर का भोजन खाकर दर्जनों बच्चे बीमार हुए थे, लेकिन यदि आंकड़ों पर एक नजर डाली जाए तो देश में मिड डे मील खाकर बीमार होने वाले बच्चों की संख्या में दिल्ली का नंबर पहला है।
अंग्रेजी के एक राष्ट्रीय समाचार पत्र को सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2004 से अब तक दिल्ली में इस खाने से 525 बच्चे बीमार हो चुके हैं । दिल्ली में 1.1़8 लाख बच्चे एवं 3547 स्कूल हैं। यह आंकड़ा अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है। देश की राजधानी होने के बावजूद भी मिड डे मील खाकर स्कूली बच्चों के बीमार होने के यहां पर सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। बच्चों में छोछे-छोटे मामले गैस और उल्टी की शिकायत तो सामान्य रूप से पाई गई है।
उल्लेखनीय है कि सन् 2012 में श्रीराम औद्योगिक शोध संस्थान ने दिल्ली के स्कूलों का एक सर्वेक्षण किया था। जिसमें उसने 40 स्कूलों के 250 नमूने लिए थे। शोध के बाद संस्थान ने पाया कि पोषण के लिए बच्चों को जो चीजें मानक के अनुसार मिलनी चाहिए थीं वे उनकी थाली से नदारद थीं।
आंकड़े बताते हैं कि देश की राजधानी होने के बावजूद अनेक प्रकार की सुख-सुविधाओं और मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पूरी देख-रेख के बावजूद इस प्रकार की घटनाएं दिल्ली में सबसे ज्यादा हुई हैं। कोई भी स्पष्ट तौर पर इसका कारण बताने के लिए तैयार नहीं है। प्रतिनिधि
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