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व्याकरण से मत घबराओ
व्याकरण के मर्म को समझो
व्याकरण का व्याप भाषा तक नहीं
पूरा जीवन व्याकरण के व्याप में है।
व्याकरण व्यवस्था को संभालता है
व्यवस्था अवस्था को संभालती है
कभी दीखता है-
जैसी अवस्था वैसी व्यवस्था
कभी यह भी दीखता है
जैसी व्यवस्था वैसी अवस्था
दोनों हालात में व्याकरण-बोध जरूरी
व्याकरण की चाहत है
सभी अंग-उपांग
संयुक्त भाव से साथ-साथ रहें
दूसरे की सुनें
और अपनी बात कहें,
सुख हो या दुख
संयुक्त मात्र से साथ-साथ सहें।
संयुक्त परिवार
सरल वाक्य नहीं,
मिश्रित वाक्य भी नहीं
संधि और समरस से युक्त
संयुक्त परिवार एक संयुक्त वाक्य है।
डा.देवेन्द्र दीपक
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