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दिल्ली/ आनन्द विहार
सुभाषचंद अग्रवाल और महेशचंद गुप्ता दोनों मित्र पहली बार वर्ष 1980 में चार्टर्ड अकाउंटेंट की पढ़ाई के दौरान सीए संस्थान के पुस्तकालय में मिले थे। वर्ष 1981 में दोनों सीए बन गए और दिल्ली में एसएमसी समूह का निर्माण किया। आज देशभर में इस समूह की करीब 2500 शाखाएं हैं और एक कार्यालय दुबई में भी है। दोनों पिछले 33 वर्षों से साझे कारोबार में एक-दूसरे के सहयोग से आगे बढ़ रहे हैं। दोनों ही संयुक्त परिवार में रहते हैं। श्री महेशचंद का परिवार दिल्ली में आनंद विहार में रहता है, जबकि श्री सुभाषचंद का परिवार दूसरे कोने सरस्वती विहार में रहता है। आवास भले 25-30 किलोमीटर दूर हों, पर परिवारों की समन्वयता और सौहार्द में कोई कमी नहीं है। दूर रहकर भी हर खुशी और गम में आपस में मिल-बैठना इन परिवारों की खासियत है। कारोबार साथ, परिवार साथ तो फिर क्या बात।
पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार इलाके में रहने वाला गुप्ता परिवार आज भी संयुक्त परिवार की परम्परा को निभा रहा है। परिवार क ी तीन पीढि़यां एक ही छत के नीचे जीवन बीता रही हैं। एकल परिवार से आईं बहुओं ने भी खुद को संयुक्त परिवार में ढाल लिया है।
महेन्द्रगढ़ से आया था परिवार
आनंद विहार में रहने वाले महेशचंद गुप्ता के पूर्वज हरियाणा स्थित जिला महेन्द्रगढ़ में गांव अटेली के रहने वाले थे। परिवार में कुल 17 सदस्य हैं जिसमें सबसे छोटा सदस्य चार माह का बच्चा है। यह परिवार 70 के दशक में पुरानी दिल्ली के दरियागंज इलाके में आकर बस गया था। महेशचंद ने दक्षिण दिल्ली के दयाल सिंह कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की। इसके बाद वर्ष 1981 में सीए बन गए। वर्तमान में श्री गुप्ता एसएमसी समूह के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं। इस परिवार में उनकी माता जी श्रीमती भगवती देवी 82 वर्ष की हैं। उनकी चाची श्रीमती लक्ष्मी देवी और उनका परिवार साथ रहता है। महेशचंद के परिवार में उनकी पत्नी सुषमा, बेटा हिमांशु, बहू आकांक्षा और पोता आदविक है। बेटी मीतू की शादी हो चुकी है, जो कि सिविल लाइंस इलाके में ही रहती है। इनकी दो नातिन अविशा और अनन्या हैं। चाचा के बेटे दिनेश गुप्ता, पत्नी कमलेश, उनका बेटा आदित्य, सौरव, बहू सोनल और पोती सान्वी हैं। इनकी बेटी नेहा की शादी हो चुकी है। दिनेश के छोटे भाई ओमकिशन, पत्नी मीनू और बेटी रितिका और तान्या हैं।
टीवी नहीं, साथ बैठना जरूरी
महेशचंद गुप्ता ने बताया कि परिवार के सभी सदस्य रात को एक घंटे साथ जरूर बैठते हैं। यहां तक की उस समय कोई सदस्य टीवी सीरियल भी नहीं देखता है। इसी समय परिवार के महत्वपूर्ण मामलों पर भी सभी की राय ली जाती है। परिवार के सभी लोग अपने दिनभर की बातें एक-दूसरे को बताते हैं। किसी जगह से आए निमंत्रण में जाने के लिए भी इसी समय बैठकर तय कर लिया जाता है कि घर से किस सदस्य को भेजना है। इससे कहीं आने-जाने की समस्या भी नहीं रहती है और परिवार का सामाजिक मेल-मिलाप भी जारी रहता है।
त्योहारों का विशेष महत्व
महेशचंद ने बताया कि घर में राखी, दशहरा और भैयादूज का विशेष महत्व है। इस दिन परिवार की बहन-बेटियां मायके आती हैं। इस दिन परिवार के सदस्यों की संख्या काफी रहती है। घर में लगी चहल-पहल से उत्सव का महत्व और भी बढ़ जाता है।
शादी से पूर्व बताया परिवार के बारे में
श्री गुप्ता बताते हैं कि आज के समय में संयुक्त परिवारों का विघटन होता जा रहा है। ऐसे में परिवार में जुड़ने वाले नये सदस्यों को पहले ही परिवार के बारे में बता दिया जाता है। उन्होंने बताया कि बेटे और भतीजे की शादी से पूर्व परिवार से जुड़ने वाली लड़की को बता दिया गया था कि यह संयुक्त परिवार है जिसमें सभी से मिलजुल कर रहना है। उनकी सहमति होने के बाद ही बेटों की शादी तय की गई। उन्होंने बताया कि एकल परिवार से आई बहुएं आज यहां काफी खुश हैं।
शिक्षा पर विशेष ध्यान
महेशचंद बताते हैं कि परिवार में आई बहू सोनल ब्रिटेन से एमबीए की पढ़ाई कर चुकी है। इसके अलावा दूसरी बहू आकांक्षा भी सीए और सीएफए की शिक्षा प्राप्त कर चुकी है। दोनों बहुएं घर में अपना काम बेहतरी से करती हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी वे संस्कारों का पूरा पालन कर अपनी मर्यादा में रहती हैं।
एक साथ भोजन करते हैं
इस परिवार के सदस्य रात को एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। महेशचंद बताते हैं कि सुबह के समय सभी को अपने-अपने काम पर जाने की जल्दी होती है, लेकिन रात के समय सभी एक साथ मिलकर भोजन करते हैं। कभी काम की व्यस्तता रहती है तो महिलाओं को पहले ही भोजन करने के लिए कह दिया जाता है। उन्होंने बताया कि पूरे परिवार के साथ बैठकर दिनभर की थकान एकदम से दूर हो जाती है।
बच्चों को समय देते हैं
परिवार में सबसे छोटे बच्चे आदविक को लेने के लिए सभी उत्सुक रहते हैं। महेशचंद सुबह काम पर जाने से पहले और रात को घर लौटने पर सबसे पहले उसके बारे में पूछते हैं। यदि वह जाग रहा होता है तो फिर उसे अपनी गोद में लेकर दुलारते हैं।
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