ओडिशा में फैलिन
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विभीषिका के बाद स्वयंसेवकों ने संभाला पीडि़तों को
तूफान प्रभावित गांवों को गोद लेगी उत्कल विपन्न सहायता समिति
मयूरभंज जिले में बाढ़ में फंसे 5 हजार लोगों को निकाला बाहर
फैलिन तूफान के ओडिशा के तट पर टकराने के बाद हुए नुकसान तथा इसके बाद उत्तरी ओडिशा के 5 जिलों में भारी बारिश के कारण हुई बाढ़ की स्थिति के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने राहत व बचाव कार्य शुरु कर दिया । संघ के कार्यकर्ताओं ने तूफान से पूर्व लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के साथ साथ उन्हें भोजन उपलब्ध कराया। तूफान के कारण अनेक स्थानों पर पेड़ गिर जाने के कारण संघ के स्वयंसेवकों ने पेड़ों को काट कर अनेक स्थानों पर रास्ता साफ किया । राज्य के गंजाम जिले के अलावा बालेश्वर, भद्रक, पुरी, मयूरभंज जिले में संघ के स्वयंसेवकों द्वारा सेवा कार्य किया जा रहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत सेवा विभाग व उत्कल विपन्न सहायता समिति से प्राप्त जानकारी के अनुसार संघ के कार्यकर्ताओं द्वारा तूफान से पूर्व सर्वाधिक प्रभावित गंजाम जिले के गोपालपुर इलाके में 625 लोगों को सुरक्षित निकाल कर आश्रय स्थल तक पहुंचाया गया। फैलिन तूफान के तत्काल बाद उत्कल विपन्न सहायता समिति (युबीएसएस) द्वारा गोपालपुर में तूफान प्रभावित लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई। गंजाम जिले में गोपालपुर के अलावा आर्यपल्ली, ब्रह्मपुर शहर, मंत्रडी में तूफान में फंसे लोगों के भोजन की व्यवस्था की गई।
इसी तरह बाढ़ से प्रभावित बालेश्वर जिले के दुर्गादेवी, धवशीला में बाढ़ पीडि़तों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई। भद्रक जिले में भूंइवृत्ति, चांदबाली में भी बाढ़ पीडि़तों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई। पुरी के कणास में भी संघ के स्वयंसेवकों ने तूफान पीडि़तों के लिए भोजन की व्यवस्था की। बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित मयूरभंज जिले में पानी में फंसे 5 हजार लोगों को स्वयंसेवकों ने बाहर निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। मयूरभंज जिले के पाइकबसा, बहादुरपुर, तुंडुरा, मणिषमुंडिया, अनियापला, खडीबणि व बारिपदा में बाढ़ पीडि़तों के लिए भोजन की व्यवस्था स्वयंसेवकों के द्वारा की गई। तूफान से सर्वाधिक प्रभावित गंजाम जिले के ब्रह्मपुर में 4, गोपालपुर में 3 तथा छत्रपुर में 1 आपदा सहायता केंद्र चल रहे हैं।
उत्कल विपन्न सहायता समिति के अध्यक्ष प्रकाश बेताला ने बताया कि गंजाम जिले के कुछ गांवों के पुनर्निर्माण के लिए समिति उन्हें गोद लेगी। उन्होंने इस कार्य के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि पुनर्निर्माण के कार्य में सहयोग रखने वाली समिति को अपना सहयोग भुवनेश्वर के मंचेश्वर स्थित एक्सिस बैंक के खाते 024010100043982 में दे सकते हैं। इसका आईएफएसी कोड है यूटीआबी 0001973 है
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने पथ संचलन व शस्त्र पूजा कर विजयादशमी का पर्व मनाया। दिल्ली के करोलबाग में विजयादशमी कार्यक्रम में पूर्ण गणवेश में 350 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। स्वयंसेवकों ने करोलबाग क्षेत्र में घोषवादन और भारत माता की जय का जयघोष करते हुए पथ संचलन किया।
विजयादशमी के ही दिन वर्ष 1925 में नागपुर में परम पूज्य डॉ. हेडगेवार के द्वारा संघ की स्थापना की गई थी। इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भगवान ने आसुरी शक्ति को पराजित कर सत्य की स्थापना की थी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली नगर निगम के डीएचओ श्री एम एम भल्ला ने की। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के तौर पर आमंत्रित शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के अखिल भारतीय महामंत्री और पूर्व में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री रहे, अतुल कोठारी ने कहा कि विजयादशमी के दिन ही वर्ष 1925 में नागपुर में परम पूज्य केशवराव बलिराम हेडगेवार द्वारा संघ की स्थापना की गई थी। इस दिन को संघ स्थापना दिवस भी कहते हैं एवं इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भगवान ने आसुरी शक्ति को पराजित कर सत्य की स्थापना की। विजयादशमी के दिन दुर्गारात्रि की पूजा होती है और शक्ति का प्रदर्शन होता है। हमने देखा कि हमारे जितने भी देवी और देवता हैं उनके हाथ में शस्त्र होते हैं। वे शस्त्र किसी को मारने व डराने के लिए नहीं बल्कि दुराचारियों का प्रतिकार करने के लिए हैं। विजयादशमी के अवसर पर स्वयं सेवकों ने इलाहाबाद के कीडगंज में स्थित नेता नगर पार्क में शस्त्र पूजन कर पथ संचालन किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता विभाग प्रचारक मनोज ने कहा कि देश की जनता रक्तबीज जैसे राक्षस को खत्म करने के लिए काली की भूमिका निभाए।
उन्होंने कहा कि विजयादशमी के दिन ही मां दुर्गा का रक्तबीज से युद्ध हुआ था। जब भी वह उसे खत्म करने के लिए वार करती थीं तो जो रक्त जमीन पर गिरता था, उससे कई रक्तबीज उत्पन्न हो जाते थे। मां दुर्गा ने मां काली का आह्वान किया तो वह मानव जाति के कल्याण के लिए प्रकट हुईं। वह रक्तबीजों को मारती और उसके रक्त को अपनी जिह्वा से अन्दर ग्रहण कर लेती थीं। इस तरह उन्होंने सभी रक्तबीज खत्म कर दिए। देश में मौजूद रक्तबीज जैसे राक्षसों के खात्मे के लिए देश की जनता काली की भूमिका निभाए और सरकार मां दुर्गा की भूमिका में काम करे।
जनजातीय धर्म और संस्कृति को अक्षुण्ण रखने वाला करमा पर्व संपन्न
कल्याण आश्रम परिसर में 14 अक्तूबर, 2013 की रात करमा पर्व संपन्न हुआ। इस मौके पर सैकड़ों युवतियों ने उपवास रखा एवं करमा पूजा की व करमा-धरमा दोनों भाइयों की कहानी श्री गोपाल राम इंद्रवार पूर्व प्राचार्य कल्याण आश्रम ने सुनाई। इस अवसर पर कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय अध्यक्ष श्री जगदेवराम उरांव, उपाध्यक्ष श्री कृपा प्रसाद सिंह तथा आश्रम के प्रथम बैच के पूर्व छात्र श्री तेजू राम,श्री मोहन राम भगत, व्यवस्थापक श्री रामेश्वर भगत तथा संगठन मंत्री श्री देवनंदन सिंह, सह संगठन मंत्री श्री महेश्वर सिंह की गरिमामयी उपस्थिति रही। निवेदिता कन्या छात्रावास की अधीक्षिका श्रीमती कमली भगत छात्रावास की छात्राओं के साथ करमा पूजा में बैठी। करमा पूजा में करमा पेड़ की डाली काट कर देवता स्वरूप उसकी स्थापना की जाती है। करमा की कथा में भक्तों को कहानी के माध्यम से अच्छे और बुरे कर्मों का ज्ञान कराया जाता है। जब अच्छे कर्म की कहानी आती है तो सभी उपवासकर्त्ता करमा की डाली पर पुष्प अर्पित करते हैं। बुरे कर्म करने वाले व बुरे विचार रखने वाले को प्रकृति व करमा देवता का दण्ड भुगतना पड़ता है। भारत के जनजातीय क्षेत्रों में बैगा और पाहन (ग्राम पूजारी) इसी कहानी के माध्यम से धर्म-संस्कृति की रक्षा का ज्ञान कराते हैंं। करमा व सरहुल, ये दोनों पर्व सम्पूर्ण छोटा नागपुर क्षेत्र में सांस्कृतिक जागरण का प्रभावी माध्यम हैं। इन दोनों पर्वों को अपनी सुविधानुसार अपने-अपने ग्राम में मनाने की व्यवस्था पुजारियों ने कर रखी है। कोई एक निर्धारित तिथि व समय पर ही पूजा हो इसका आग्रह नहीं रखा जाता है।
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