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Oct 12, 2013, 12:00 am IST
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विश्व की विषम परिस्थियों में भारत ही होगा निर्णायक

दिंनाक: 12 Oct 2013 15:28:12

अभिमन्यु के भीतर पलने वाली चक्रव्यूह भेदन कला आज भी हिंदू आवाल-वृद्ध में पलती है। आज हिंदू केवल चक्रव्यूह का भेदन नहीं जानता, बल्कि वह बाहर निकलने की कला में निपुण हो चुका है। विश्व में चल रहे युद्ध जैसे हालात और विषमताओं में भारत ही निर्णायक भूमिका निभाएगा। यह बातें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत ने वागड के प्रयाग बह्यणेश्वर धाम पर मानगढ़ धाम बलिदान शताब्दी समिति की ओर से आयोजित विराट हिंदू सम्मेलन में कही।
उन्होंने कहा कि विश्व में हिंदू धर्म का परचम फहराने वाले स्वामी विवेकानंद के सपनों का भारत आम आदमी के मन मस्तिष्क में कुलाचें मार रहा है। भारत का वही आदमी सशक्त भारत का निर्माण करेगा। जिसकी कल्पना विवेकानंद ने शिकागों के धर्म सम्मेलन में कही थी।
श्री भागवत ने कहा कि जोश की बातें तो बहुत हो गई है, मगर लड़ाई होश से लड़ी जाती है। वही हैं जीतते हैं, जो होश में रहते हैं, अहंकार सत्य से दूर रहता है। इसलिए अंहकार से बचना चाहिए।
इस अवसर पर बह्यणेश्वर पीठाधीश्वर अच्युतानंद महाराज ने कहा हमें योग निष्काम भाव से करना होगा और देश भर में जागो और जगाओ का काम करना होगा। हम प्रकृति से अलग नहीं हो सकते। इसलिए प्रकृति के साथ जुड़कर सब कर्म करने होंगे।
विराट हिन्दू धर्म सम्मेलन को सफ ल बनाने के लिए पोस्टर व बैनर के बदले कार्यकर्ताओं ने घर घर जाकर भाव प्रदान निमंत्रण देने से एक लाख लोगों के आने की संभवना को देखते हुए व्यापक इंतजाम किए थे। आगंतुक भक्तों के लिए बह्यणेश्वर धाम के तीनों मागों पर तोरण द्वार व चेक पोस्ट बना गए थे।

महिलाओं को करनी होगी शक्ति की उपासना: श्रीदेवी गोयल
 जहां महिलाओं का सम्मान होता है वहां देवता वास करते है
वर्तमान युग में महिलाओं को अपनी क्षमताएं बढ़ानी होगी
महिलाओं में अपार शक्ति होती है, बस आवश्यकता है कि वह अपने अंदर की शक्ति की को पहचान कर उसका विकास करें ताकि वे समाज में प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्त कर सकें। वर्तमान में महिलाओं को अपनी शक्ति और क्षमताओं को बढ़ाना अति आवश्यक है। ये बातें पूर्व पुलिस महासंचालक होमगार्ड एवं नागरी सुरक्षा (महाराष्ट्र) सुश्री श्रीदेवी गोयल ने राष्ट्र सेविका समिति के विजयादशमी एवं स्थापना दिवस समारोह के मौके पर अपने संबोधन में कही।
कार्यक्रम की शुरुआत शस्त्र पूजन के साथ हुई। पारंपरिक शस्त्रों के साथ आधुनिक अग्नि प्रक्षेपास्त्र व दूरसंचार उपग्रहों के मॉडलों की भी पूजा की गई। इसके बाद सेविकाओं ने पिरामिड, योगासन, दंड व सूर्यनमस्कार का प्रदर्शन किया। सुश्री गोयल ने कहा कि जहां पर महिलाओं का सम्मान होता है वहां पर देवता वास करते हैं। यदि इस युग में महिलाओं को ऐसा सम्मान प्राप्त करना है तो उन्हें शक्ति की उपासना करनी होगी और अपनी क्षमताओं का विकास करना होगा। कार्यक्रम में मुख्य कार्यवाहिका सुश्री सीताक्काजी ने अपने उदबोधन में कहा कि महिलाएं शक्ति का भंडार है। उसके अविष्कार भिन्न भिन्न रुपों में दिखाई देते हैं। महिलाएं उसी शक्ति की एक स्वरूप हैं और ऐसी शक्तिस्वरुपिणी महिलाओं का संगठन ही समाज में सभी बुराइयों को दूर कर सकता है। कार्यक्रम का संचालन सुश्री मेधा नांदेडकर ने किया और धन्यवाद, ज्ञापन करुणा साठे ने दिया। इस अवसर पर महिला कला निकेतन की अनुराधा मंडले, समिति की अखिल भारतीय शारीरिक शिक्षण प्रमुख मनीषा संत, देवी अहिल्या मंदिर की सुमन सरनाइक, शक्ति पीठ की डॉ. सप्रे, संस्कार भारती की डॉ. मंदाकिनी गुप्ता, अधिवक्ता मीरा खड्ड्कार व मुकुल कानिटककर के साथ अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।

देशवासियों की सामूहिक शक्ति का द्योतक राष्ट्र

राष्ट्र मात्र भौगोलिक क्षेत्रफल या मन की कल्पना नहीं है। बल्कि देशवासियों की सामूहिक शक्ति का द्योतक है। जो प्रत्येक के हृदय में विद्यमान है। यह शक्ति मातृभूमि की आवाज है पृथ्वी का वह भाग जो समुद्र के उत्तर और हिमालय के दक्षिण में स्थित है, महान भारत कहलाता है। इसकी संतानों को भारतीय कहा जाता है। कालिदास हिमालय का वर्णन करते हुए कुमार संभव में कहते हैं कि उत्तर दिशा में देवात्मा हिमालय का नाम पर्वतराज है। जिसकी भुजाएं पूर्व और पश्चिमी में समुंद्र तक फैली हुई हैं। यह शब्द प्रसिद्ध लेखक डॉ. विवेकानंद तिवारी जनसंघ प्रदेश (बिहार) के संगठन मंत्री एवं जिला संघचालक रहे स्वर्गीय जवाहर तिवारी की स्मृति में आयोजित व्याख्यानमाला एवं सारस्वत सम्मान समारोह के आयोजन में कहे।
बिहार के भभुआ जिला में आयोजित इस कार्यक्रम में कई प्रसिद्ध लेखकों, शिक्षाविदों व विद्वान लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए क्षेत्र संघचालक श्री सिद्धनाथ जी ने कहा भारत हजारों वर्षों से एक राष्ट्र है। यह केवल 65 वर्षों में यह राष्ट्र नहीं बना है। जब अन्य देश के लोग पर्वत और कंदराओं में रहते थे और सभ्यता का प्रकाश भी वहां तक नहीं पहुंचा था। तब वैदिक ऋषियों ने मानव को अमृत पुत्र के नाम से संबोधित किया। आधुनिक पाश्चात्य राजनीति शास्त्र के विचारकों द्वारा दी गई राष्ट्र परिभाषा से पाश्चात्य देशों को परिभाषित किया जा सकता है, क्योंकि उनका जन्म ही कुछ सौ वर्षों का है। कार्यक्रम में प्रख्यात शिक्षाविद एवं वैदिक गणित के विद्वान श्रीयुत श्रीकृष्ण अग्रवाल, जगदगुरु शंकराचार्य पुरी के प्रधान पंचांगकार विनय झा ने भी अपने विचार रखे।

करोड़ों बहाए पर गंगा न हुई निर्मल

जिस गंगा को पांच वर्ष पूर्व राष्ट्र्र्रीय नदी का दर्जा केन्द्र सरकार के द्वारा दिया गया था उसके लिए वाकायदा गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण का भी गठन किया था,लेकिन इस प्राधिकरण की हकीकत कुछ अलग है। आंकड़ों पर गौर करें तो 5 वर्ष में इस प्राधिकरण की सिर्फ तीन बैठक ही हुई हैं। इस प्राधिकरण ने गंगा की निर्मलता को बनाने के लिए आंख मूंद कर राज्यों को सात हजार करोड़ रुपये दे दिये। लेकिन वास्तविकता पर गौर करे तो गंगा की स्थित में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। यद्यपि हिंदू समाज की मंाग पर चार नवंबर 2008 को गंगा नदी को राष्ट्रीय नदी केन्द्र सरकार के द्वारा घोषित किया गया था। तब से लेकर अब तक गंगा की निर्मलता पर कोई ठोस कदम न तो राज्य सरकारों ने उठाए  हैं, और न ही केन्द्र सरकार ने। सिर्फ और सिर्फ वोट बैंक के लालच में केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों को इतनी बड़ी राशि पानी की तरह बहाने के लिए दे दी, लेकिन प्रश्न यह है कि केन्द्र सरकार के द्वारा इतनी बड़ी राशि बिना कोई ठोस कार्ययोजना केकैसे और क्यों उपलब्ध करा दी गई? गंगा की निर्मलता पर केन्द्र सरकार कितनी चिंतनशील, इन अंाकड़ों को देखकर स्पष्ट हो जाता है। उल्लेखनीय है गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के अध्यक्ष प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हैं।

5000 हिन्दुओं की घर वापसी कराएगी विहिप

गत दिनों  विश्व हिंदू परिषद की पश्चिम आन्ध्र प्रदेश के कार्यकताओं की एक बैठक सम्पंन हुई। जिसमें विहिप के 50 वर्ष पूर्ण होने पर आगामी स्वर्ण जयंती वर्ष को लेकर चिंतंन किया गया। विहिप की पश्चिमी आन्ध्र प्रदेश इकाई ने स्वर्ण जयंती वर्ष को विशेष रूप से मनाने का निर्णय लिया है। इसके तहत वह प्रदेश के लगभग 5 हजार मतांतरित हिंदुओं  की घर वापसी की योजना बनाई जा रही है।
 इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री श्री गाम रेड्डी ने कहा कि आज मतांतरण का रोग फैलता ही जा रहा हैं। इसको रोकना अनिवार्य हैं क्योंकि इस रोग ने हिंदू समाज को गत 1200 वषोंर् से परेशान किया हुआ है। और यह रोग लगातार हमारे समाज में एक जहर की भांति फैल रहा है। इसके लिए हमें समाज में जनजागरण करके लोगों को इस रोग के प्रति सचेत करना होगा। जहां भी इस प्रकार की गतिविधि का चलते रहने कोई भी समाचार मिले  तो सारा हिंदू समाज एकजुट होकर इसका विरोध करे।
विहिप के केन्द्रीय सह मंत्री जीसत्यमाझी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज मतांतरण को रोकना एक महत्वपूर्ण कार्य है। विहिप, साधु-सन्तों एवं सभी प्रचार माध्यमों द्वारा किए गए प्रयास से हिंदू समाज को लाभ हुआ है, लेकिन यह प्रयास सतत रूप से चलते चाहिएं। इस अवसर पर विहिप के अनेक पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित थे।

 

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