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किसी मुद्दे पर जनता की राय जानने के लिए अनेक तरीके अपनाए जाते हैं। मीडिया या सम्बंधित पक्ष अपने-अपने स्तर से सर्वेक्षण कराते है और लोगों को जानकारी देते हैं। उसमें अब मुम्बई का सट्टा बाजार भी कूद गया है। मुम्बई के सट्टा बाजार में गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की जीत पर लोग सट्टा लगाने लगे हैं। इस बाजार में नरेन्द्र मोदी का भाव सबसे अधिक है। इसके बाद राहुल गांधी हैं। राहुल के बाद मनमोहन सिंह और उनके बाद सोनिया गांधी हैं।
नरेन्द्र मोदी सफल मुख्यमंत्री हैं और उनकी कार्य क्षमता को चुनौती देने वाला अन्य नेता नहीं है। इसलिए अब यह तय हो चुका है कि राहुल और मोदी के बीच स्पर्धा होने वाली है। कौन कितने पानी में है इसकी थाह लगाने के लिए मुम्बई का सट्टा बाजार भी मैदान में आ गया है। इसलिए दोनों की कीमतें कितनी हैं इसकी जानकारी मीडिया को मिलने लगी है। मुम्बई सट्टा बाजार ने इस दिशा में पहला धमाका किया है। मोल भाव के बाजार में घट रही घटनाओं पर दृष्टि डालें तो आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए कांटों भरी राह दिखाई पड़ रही है। यद्यपि अभी चुनाव की तिथि घोषित नहीं हुई है लेकिन सटोरियों के लिए यह स्वर्णिम अवसर है। इसलिए सम्भावित परिणामों पर मुम्बई के सट्टा बाजार में मोल भाव शुरू हो गया है। आज तक की परम्परा के अनुसार जब-तक चुनाव आयोग चुनाव की तिथि घोषित नहीं करता है तब तक मोल भाव नहीं होता है। लेकिन इस बार सट्टा बाजार को लगता है कि चुनाव में जबरदस्त टक्कर होगी। इसके लिए लोग पहले से ही अपना दाव खेलने के लिए तत्पर हैं। सट्टा बाजार के विश्वसनीय सूत्र बता रहे हैं कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी इस दौड़ में आगे रहने वाले हैं। वे सम्भवत: सबसे अधिक लोकप्रिय प्रतिनिधि बनकर सामने आएंगे।
सट्टा बाजार में नरेन्द्र मोदी की उम्मीदवारी को लेकर भारी उत्साह दिख रहा है। जहां मोदी के नाम पर ऊंचे दांव लग रहे हैं तो राहुल और सोनिया उनके आस-पास भी टिकते नहीं दिख रहे हैं।
मोदी के नाम पर तीन गुना पैसा लगाने वाले लोग तैयार हैं तो मां-बेटे के लिए कोई चौथाई भी नहीं निकालना चाहता। शेयर बाजरों के विशेषज्ञों का मत है कि उक्त भावों में परिवर्तन हो सकता है, लेकिन बहुत परिवर्तन की आशा नहीं की जा सकती है। कांग्रेस के अनेक धुरंधर राहुल गांधी के पक्ष में नहीं हैं। लेकिन उनकी मजबूरी है कि उनका उम्मीदवार तो नेहरू गांधी परिवार का ही होना चाहिए। इसलिए अनेक दिग्गज सोनिया को मनाने में लगे हुए हैं। सम्भवत: वे उन्हें तैयार भी कर लें तब भी उनको विजय मिलेगी या नहीं यह विश्वास से नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि मोल-भाव के आंकड़े बताते हैं कि उनकी लोकप्रियता तो संजय से भी पीछे है। मुम्बई के तेजतर्रार सटोरियों ने मनमोहन सिंह के नाम पर भी दाव खेला है लेकिन राहुल ने उन्हें मात दे दी है। लेकिन फिर भी मनमोहन को दिलासा दिलाने के लिए एक व्यक्ति और है। वे हैं सोनिया गांधी। उनके लिए निराशाजनक बात यह कि उनका मूल्य राहुल से भी कम है। सट्टा बाजार बंद होने तक मनमोहन और सोनिया पर बोली लगाने का साहस करने वाले मुट्ठी भर लोग ही निकले। इसलिए अब कांग्रेस यदि सट्टा बाजार की दिशा और दशा को समझ ले तो उसके पास राहुल गांधी के अतिरिक्त कोई उम्मीदवार नहीं दिखाई पड़ता है।
पिछले सप्ताह की समाप्ति तक मुम्बई, जयपुर, इन्दौर, करांची और दुबई में अब तक 90 करोड़ का मोल-भाव हो चुका है। भविष्य में यह आंकड़ा कितना और बढ़ेगा यह तो समय ही बताएगा। इस दौड़ को क्या कहा जाए लोकतंत्र का करिश्मा या फिर जनतंत्र का उपहास? मुजफ्फर हुसैन
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