उत्तर प्रदेश में बढ़ रहा है इस्लामी उन्माद
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उत्तर प्रदेश में बढ़ रहा है इस्लामी उन्माद

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Oct 12, 2013, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 12 Oct 2013 17:40:07

अंक संदर्भ : 22 दिसम्बर
आवरण कथा 'सुलगता सूबा, बादशाह कागजी' से सिद्घ होता है कि उत्तर प्रदेश की सपा सरकार का एक ही लक्ष्य है मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करना। इसके लिए पूरी सरकार कट्टरवादियों को बढ़ाने,पुचकारने और पोसने में लगी है। मुजफ्फरनगर के दंगों से यह भी साफ हो गया कि यह सरकार ही इन दंगों को बढ़ावा दे रही थी। अखिलेश सरकार को अपने पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है।
-गणेश कुमार
कंकड़बाग, पटना (बिहार)
० उत्तर प्रदेश  में हिंदुओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है। यहां की सपा सरकार हिन्दुओं को दोयम दर्जे का नागरिक मानती है। यह किसी से छिपा नहीं है कि समाजवादी सरकार मुस्लिम आतंकवादियों की पैरवी कर प्रदेश की मुस्लिम जनता को यह बताने का प्रयास कर रही है तुम कुछ भी करो, तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगड़ेगा।
-शक्ति कुमार मिश्र
ग्राम व पोस्ट-बावन
जिला-हरदोई-241001 (उ.प्र.)
० समाजवादी पार्टी आज पूरी तरह से हिंदू विरोधी पार्टी बन गई है। हाल ही में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों में जिस प्रकार अखिलेश सरकार ने मुस्लिमों को संरक्षण दिया  एवं हिंदुओं को फंसाया उससे साफ हो गया कि यह सरकार कट्टरवादियों को बढ़ाने का काम कर रही है। समाजवादी सरकार के 17 माह के कार्यकाल में अब तक 107 दंगे हो चुके हैं।
-राममोहन चन्द्रवंशी
अभिलाषा निवास, विट्ठल नगर स्टेशन रोड, टिमरनी, जिला-हरदा (म.प्र.)
० मुजफ्फरनगर दंगों में सेकुलर मीडिया ने सत्य को दबाया और झूठ को जनता के समक्ष प्रस्तुत किया है। सेकुलर मीडिया के द्वारा मुस्लिमों को बेचारा और हिंदुओं को दोषी बना कर पेश किया जा रहा है। इससे आज मीडिया पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है, क्योंकि मीडिया का काम सत्यता को उजागर करना है न कि मुस्लिमों को खबर के माध्यम से संरक्षण देना। मीडिया का यह काम बहुत ही निंदनीय है।
-हरेन्द्र प्रसाद साहा
नया टोला, कटिहार-854105 (बिहार)
० उत्तर प्रदेश का एक वरिष्ठ मंत्री प्रदेश को इस्लामिक प्रदेश बनाने का जाल बुन रहा है। दंगाइयों को इसी मंत्री का संरक्षण प्राप्त है। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में आए दिन साम्प्रदायिक दंगे हो रहे हैं। आज उत्तर प्रदेश में पूरी तरह से तालिबानी कट्टरवादियों का कब्जा हो गया है।
-अमित कुमार त्रिपाठी
ए2-64बी, आया नगर, नई दिल्ली
० उत्तर प्रदेश में सपा के द्वारा प्रदेश को मुस्लिम राज्य बनाने का प्रयास चल रहा है ।  मुजफ्फरनगर के दंगों के पीछे राज्य सरकार का ही हाथ दिखता है। वहां के एक वरिष्ठ मंत्री के इशारे से दंगे हुए, फिर भी अखिलेश सरकार उस मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए उसे बचा रही है।
-परमानंद रेड्डी
डी-19 सेक्टर-1, देवेन्द्रनगर, रायपुर (छ.ग.) 
० समाजवादी सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगे में अपने मुस्लिम प्रेम का परिचय देकर देश के हिंदुओं का अपमान किया है। दंगों से सैकड़ों हिंदुओं की जान चली गई पर न तो मुलायम को और न तो अखिलेश को इसका कोई मलाल हुआ।  हिंदू पीडि़तों को इस सरकार ने मदद करने के बजाए प्रताडि़त ही किया है। सपा सरकार के इस कृत्य से अब पूरा हिंदू समाज कुपित है और आने वाले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की जनता इसका मुंहतोड़ जवाब दे
सकती है।
-उमेदुलाल
पट्टी धारमण्डल, पोस्ट-धारकोट जिला-टिहरी गढ़वाल (उत्तराखण्ड)
० मुजफ्फरनगर के दंगों में निर्दोष हिन्दुओं को फंसाया जा रहा है। पुलिस कहीं से भी किसी हिन्दू को गिरफ्तार कर लेती है। इससे पुलिस-प्रशासन की छवि तो घूमिल हुई ही है साथ ही उसके कार्य पर एक सवालिया निशान लगता है कि क्या वह सरकार के इशारों पर कुछ भी कर सकता है?  उसके लिए संविधान में कही चीज कोई मायने नही रखती? इसकी जितनी भी कडे़ शब्दों में आलोचना की जाए कम ही है, क्योंकि संविधान किसी भी सरकार को यह इजाजत नहीं देता कि वह किसी एक वर्ग विशेष को लाभ दे और दूसरे वर्ग को घृणा,नफरत और संविधान द्वारा दिए गये अधिकारों से वंचित करे।
-पंकज कुमार शुक्ला
निशातगंज, लखनऊ  (उ.प्र्र.)
सीबीआई से जांच हो
भारत सरकार से मांग है कि गत वर्ष लखनऊ  में हुए दंगों की सीबीआई से जांच कराये ताकि चुनाव से पहले अपराधियों को दंडित किया जा सके।  गत वर्ष रमजान के अन्तिम शुक्रवार को टीले वाली मस्जिद से एक बड़े जनसूह के साथ जुलूस पार्को व सड़कों से होता हुआ  महात्मा बुद्ध की मूर्ति के पास तक गया जहां अराजक तत्वों ने इस मूर्ति को तोड़ा साथ ही उत्पात भी मचाया था,पर सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस घटना की उच्चस्तरीय जांच करा कर अपराधियों को सजा देनी चाहिए जिससे प्रदेश में शान्ति स्थापित हो सके।
-जेड हुसैन
लखनऊ-226003 (उ.प्र.)
भ्रष्टाचार में डूबी केन्द्र सरकार
आज केन्द्र की संप्रग सरकार पूर्ण रूप से  भ्रष्टाचार के दलदल में डूब चुकी है। नित नए भ्रष्टाचार सामने आ रहे हैं, कभी कोयला घेाटाला, तो कभी राष्ट्रमंडल खेल घोटाला। देश का धन खुलेआम लूटा जा रहा है । दूसरी ओर देश की सीमाएं भी असुरक्षित हैं। आए दिन चीन के द्वारा हमारी सीमा में घुसपैठ करके हमारे क्षेत्र पर कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है।  उधर पाकिस्तान हमारे सैनिकों को मार रहा है और हमारी सरकार कुछ भी नहीं कर रही है। आज समय आ चुका है जब सभी देशवासियों को जागकर ऐसी सरकार का अन्त करना चाहिए ताकि हमारा देश सुरक्षित रह सके।
-कुमुद कुमार
ए-5 आदर्श नगर, नजीबाबाद बिजनौर, (उ.प्र्र.)
उत्तराखण्ड सरकार के आपदा प्रबंधन की खुली पोल
पिछले कुछ माह पूर्व जिस प्रकार उत्तराखण्ड के केदारनाथ धाम में कहर बरपा उससे सरकार के आपदा प्रबंधन की पोल खुल गयी है। सरकार के द्वारा समय रहते इसमें काम कर लिया जाता तो इतनी बड़ी धटना नहीं घटती और न ही हजारों लोगों की जान जाती। उत्तराखण्ड में सरकारी शह पर खनन माफियाओं ने अपने लाभ के लिए पूरे पहाड़ी क्षेत्र की प्राकृतिक संपदा का दोहन किया। इसके फलस्वरूप हमारे सामने यह समस्या उत्पंन्न हुई।
-हरिओम जोशी
चतुर्वेदी नगर, भिण्ड (म.प्र्र.) 
आजम बने आज के सुहरावर्दी?
सितम्बर के प्रथम सप्ताह में मुजफ्फरनगर में हुआ दंगा 1947 में मुस्लिम लीग द्वारा भारत विभाजन व दंगों की याद दिला गया। आज वही भूमिका शायद समाजवादी पार्टी द्वारा निभाई जा रही है। मुजफ्फरनगर के दंगों में आजम खान द्वारा प्रशासन को मुस्लिम दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई से रोक दिया गया था, जिसे बाद में केन्द्रीय खुफिया एजेंसी आईबी तथा मीडिया स्टिंग आपरेशनों ने भी सत्य सिद्ध कर दिया था। दंगों में आजम खान की भूमिका देखकर भारत विभाजन से पूर्व 1946 ई. में मुस्लिम लीग द्वारा 16 अगस्त को कलकत्ता में 'सीधी कार्रवाई' के नाम पर कराये गये दंगों की याद आ जाती है। इतिहास के अनुसार इस मुस्लिम लीगी दंगे में अविभाजित बंगाल का तत्कालीन प्रीमियर (मुख्यमंत्री) एचएस सोहरावर्दी मुख्य षड्यंत्रकारी की भूमिका में था।
 29 जुलाई 1946 ई. को जिन्ना ने बम्बई में मुस्लिम लीग की बैठक बुलाई। इसमें पाकिस्तान की मांग करते हुए जिन्ना ने 16 अगस्त 1946 को 'सीधी कार्रवाई' की घोषणा की। इसका स्पष्ट अर्थ बताया गया- 'संवैधानिक तरीकों की तिलांजलि'। गुप्त बैठकों के द्वारा मुस्लिम लीगी नेताओं द्वारा इसमें हिंसा की योजनाएं बनाई गईं। इसकी शुरुआत के लिए कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) को चुना गया, क्योंकि वहां हसन शहीद सुहरावर्दी के नेतृत्व में मुस्लिम लीग की सरकार थी। अविभाजित बंगाल के मुस्लिम बहुल (54.3 प्रतिशत) होने के बादवजूद कलकत्ता हिन्दू बहुल था। यहां सुहरावर्दी कानून-व्यवस्था मंत्रालय भी संभालता था। इसलिए 'सीधी कार्रवाई' से पहले सुहरावर्दी ने कलकत्ता के कुल 24 थानों में से 22 पर मुस्लिम पुलिस अधिकारियों को थाना प्रभारी बना दिया। जबकि शेष दो पर एंग्लो इण्डियन का नियंत्रण था। इस कार्रवाई के लिए मुस्लिम लीग द्वारा कलकत्ता के मेयर और मुस्लिम लीग के सचिव एसएम उस्मान के नाम से पत्रक छपवा कर बंटवाये गये। 16 अगस्त को सुहरावर्दी की लीगी सरकार द्वारा पूर्ण हड़ताल व सरकारी सार्वजनिक अवकाश कलकत्ता में घोषित किया गया। कलकत्ता में 16 अगस्त 1946 को दोपहर तीन बजे एक विशाल मुस्लिम सभा आच्टरलोनी स्मारक के पास बुलाई गयी। इसमें सुबह से ही मुस्लिम लीगी गुण्डे बदमाश समूह भाला, छुरे, गंडासे, लाठी, बंदूकें लेकर जाने लगे थे। हावड़ा के लीगी गुण्डों को लीगी विधायक शरीफ खान द्वारा हथियार दिलाये गये थे। मुस्लिम छात्रावासों में भी विशेष तैयारियां की गयी थीं। मुस्लिम लीगी मंत्रियों द्वारा व्यक्तिगत पूरक पेट्रोल कूपनों से पेट्रोल मुस्लिम लीगी गाडि़यों में भरवाया गया था। 16 अगस्त की दोपहर मुस्लिम लीग की इस सभा में हिन्दुओं के खिलाफ जहरीले भाषण दिये गये। सभा समाप्त होते ही लीगी गुण्डों ने दंगे प्रारंभ कर दिये। वे लूट का माल दिखाते हुए, आगजनी व हत्याएं करते हुए खुशी से दौड़ रहे थे। कहा जाता है कि दंगा प्रारंभ होते ही सुहरावर्दी पुलिस नियंत्रण कक्ष में घंटों बैठा रहा तथा पुलिस को कार्रवाई से रोकता रहा। कहीं-कहीं यदि कोई मुस्लिम लीगी हत्यारा-दंगाई पकड़ा भी गया तो सुहरावर्दी ने उसे अपनी जिम्मेदारी पर छोड़ने के आदेश पुलिस को दिये। सैकड़ों सहायता संदेशों को पुलिस द्वारा ठुकरा दिया गया। कुछ थानों पर तो पुलिस वाले थाना बंद करके भाग  गये। इस प्रकार मुस्लिम लीगी षड्यंत्रों द्वारा भड़काया गया यह 'सीधी कार्रवाई' नामक दंगा मुख्यमंत्री सुहरावर्दी द्वारा जानबूझकर फैलाया गया। पुलिस को कार्रवाई से रोका गया। इस दंगे में सरकारी आंकड़ों के अनुसार कुल 3,173 शवों का पता चला। वैसे मृतकों की संख्या का अनुमान दस हजार से अधिक था, इनमें अधिकतर हिन्दू थे। बाद में इस दंगे की जांच स्पेन्स आयोग द्वारा प्रारम्भ की गयी। परन्तु मुस्लिम लीगी मंत्रिमंडल के एक आदेश से इसकी जांच रोक दी गयी, क्योंकि इस जांच में मुख्यमंत्री सुहरावर्दी व अनेक लीगी मंत्रियों की भूमिका स्पष्ट रूप से सामने आने लगी थी।
इस प्रकार 'सीधी कार्रवाई' के नाम पर कलकत्ता में सामूहिक हिन्दू नरसंहार कराने वाला मुस्लिम लीगी सुहरावर्दी जिहादी होते हुए भी बाद में भारत विभाजन के समय नौआखाली दंगों के समय महात्मा गांधी का प्रिय हो गया था। गांधीजी ने उसे शरण दी और बाद में उसे 'शहीद साहब' के नाम से सम्मानित भी किया। वर्तमान समय में हैदराबाद के विधायक अकबरुद्दीन ओबैसी जैसे लोग पूरे भारत में सीधी कार्रवाई की धमकी देते नजर आ रहे हैं। मुजफ्फरनगर दंगों में सपा नेता आजम खान की भूमिका स्पष्ट रूप से 'सीधी कार्रवाई' में सुहरावर्दी के समान ही मानी जा सकती है। इसलिए इतिहास से सबक लेकर हमें ऐसे मुस्लिम लीगी नेताओं और उनके षड्यंत्रों को पहचानना होगा, क्योंकि आज सभी सेकुलर दल उसी मुस्लिम लीगी विचारधारा को उभारने के कार्य में खुलकर लगे हैं, ताकि कुछ मुस्लिम लीगी वोट उनको सत्ता दिला सके।
-डा. सुशील गुप्ता
शालीमार गार्डन कालोनी, बेहट बस स्टैण्ड, सहारनपुर (उ.प्र.)

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