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नितिन और उसके साथी आज अनमोल का मजाक बना रहे थे। उस पर हंस रहे थे। भारी कदमों से अनमोल घर आ गया। उसके हाथ में 'आटोग्राफ बुक' थी वह उसने कॉपी किताबों के बीच छिपा दी, ताकि वह उसे दिखाई भी न दे। धप्प से वह बिस्तर पर लेट गया।
उसके मामा यह 'ऑटोग्राफ बुक' कनाडा से लाए थे। गाने का शौक होने के कारण अनमोल इसमें प्रसिद्घ गायकों के आटोग्राफ इक्ट्ठे करना चहता था। वह खुद भी एक बहुत बड़ा गायक बनना चाहता था। आज उसके पास मौका था अपने मनपसन्द गायक विजित के ऑटोग्राफ लेने का। विजित फिल्मों में गाता था और अनमोल उसका जबर्दस्त प्रशंसक था। विजित उसके स्कूल में वार्षिकोत्सव के अवसर पर अतिथि के रूप में आया था। अनमोल उनसे मिलना चाहता था। अपनी 'आटोग्राफ बुक' का शुभारम्भ वह विजित के ऑटोग्राफ से करना चहता था।
विजित एक ही गाना गाकर चलने लगा। उसे आज कई कार्यक्रमों में जाना था। इसीलिए वह जल्दी में था। अनमोल हड़बड़ा गया। उसकी आशाओं पर पानी फिरा जा रहा था। वह दौड़कर विजित तक पहुँच जाना चाहता था लेकिन लोगों ने उसे वहां तक पहुंचने नहीं दिया। वह मन मसोस कर रह गया। नितिन और उसके साथियों को मौका मिल गया। नितिन की खूब हंसाई हुई। सभी उसे चिढ़ाते रहे।
सपना टूट जाने से दु:खी अनमोल गुमसुम लेटा था। उसे मायूस देखकर मां ने पूछा, ह्यह्यक्या हुआ बेटा आज बड़े परेशान लग रहे हो?ह्णह्ण
मां के इतना पूछते ही अनमोल की आंखें सजल हो उठीं। वह एक ही सांस में सारी बात कह गया। मां को स्थिति समझते देर न लगी। उन्होंने अनमोल को गले लगा लिया और उसके आंसू पोंछते हुए बोलीं, ह्यह्यमेरे बच्चे सफलता-असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं। कभी सफलता हाथ लगती है तो कभी असफलता। असफलता मिलने पर कुछ लोग उपहास करते हैं। वे नासमझ हैं। उनकी बातांे की तरफ ध्यान न देकर तुम्हें अपने प्रयास पर विश्वास रखना चाहिए।ह्णह्ण
ह्यह्यलेकिन मां, क्या मुझे ऐसा अवसर दोबारा मिल सकेगा?ह्णह्ण
अनमोल ने कुछ चिन्तित होते हुए प्रश्न किया। मां अनमोल की बात सुनकर मुस्कराई। उन्होंने आज गाजर का हलुआ बनाया था। अनमोल को अपने हाथ से हलवा खिलाते हुए बोली, ह्यह्यअनमोल, अवसर की प्रतीक्षा मत करो बल्कि अवसर का निर्माण करो। सृजन करो अवसर का। इतनी उंचाई पर पहंुचो जो दूसरों के लिए आदर्श होह्णह्ण यह कहकर मां ने अनमोल की ओर देखा लेकिन उसका ध्यान तो कहीं और था। उसकी आंखें दूर कहीं कोई सपना संजो रही थीं। मानो मन ही मन वह कोई प्रण कर रहा था।
अगले दिन अनमोल स्कूल पहंुचा तो नितिन और उसके दोस्तों ने उसे चिढ़ाने का नया तरीका निकाला था। वे नोटबुक हाथों में लेकर अनमोल से ऑटोग्राफ मांगने लगे लेकिन आज अनमोल बिल्कुल नहीं खीजा। उनके उपहास की परवाह नहीं की। उसको मां की बात पर विश्वास था इसलिए वह जरा भी विचलित नहीं हुआ। उसने सभी को अनसुना कर दिया। उसकी मंजिल तो कहीं और थी।
आज पहली जनवरी थी। हल्का-हल्का कोहरा छाया था। स्कूल में नए वर्ष पर कार्यक्रम होना था। अनमोल जल्दी-जल्दी तैयार हो रहा था। उसे गाने का शौक था लिहाजा उसने गाने लिए अपना नाम दिया था। तभी फोन की घंटी बजी। नितिन का फोन था। उसने अनमोल को सूचना दी कि ठण्ड अधिक होने के कारण स्कूल में कार्यक्रम स्थगित कर छुट्टी कर दी गई है। निश्चिन्त होकर अनमोल ने सारा दिन घर पर बिताया लेकिन अगले दिन जब वह स्कूल पहुंचा तो शिक्षक राजीव के प्रश्न पर वह स्तब्ध रह गया, ह्यह्यकल कार्यक्रम में क्यों नहीं आए थे?ह्णह्ण
कुछ देर तो वह समझ नहीं पाया कि राजीव सर को वह क्या उत्तर दे। उसने सारी बात सच-सच बता दी। अनमोल की सारी बात सुनकर राजीव सर गम्भीर हो गए और बोले, ह्यह्यनितिन शरारती लड़का है। तुम्हें उसकी बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। वैसे कल कार्यक्रम बहुत अच्छा हुआ था।ह्णह्ण
अनमोल निरुत्तर सा चिन्तन की मुद्रा में खड़ा रहा।
अनमोल कई दिनों से स्कूल नहीं आ रहा था। नितिन और उसके दोस्त समझ रहे थे कि उनकी शरारतों से तंग आकर उसने स्कूल छोड़ दिया है। यह सोचकर वे बहुत खुश भी थे। एक दिन राजीव सर ने कक्षा में सभी को बताया कि अनमोल का चयन गाना गाने के एक कार्यक्रम ह्यआवाजह्ण में हो गया है। यह सुनकर उसके सभी सहपाठी चकित रह गए। उन्हें विश्वास तो तब हुआ जब उन्होंने अनमोल को टेलीविजन पर गाना गाते देखा। नितिन व उसके दोस्तों को अपनी करनी पर बहुत पछतावा हुआ। अब वह अनमोल की प्रतिभा को समझ पाए थे एक दिन ऐसा भी आया कि अनमोल प्रतियोगिता में विजेता बना। उसे लाखों रुपए के पुरस्कार मिले। अब वह मुम्बई में ही रहने लगा था।
उस दिन स्कूल की सभा में बताया गया कि अनमोल अपने शहर आ रहा है। माडर्न ऑडिटोरियम में उसका गाने का कार्यक्रम तय था। यह सुनकर सब बहुत ही खुश हुए। स्कूल की तरफ से सब विद्यार्थियों को अनमोल का कार्यक्रम दिखाने माडर्न आडिटोरियम ले जाया गया। जब मंच पर अनमोल आया तो सारा ऑडिटोरियम तालियों से गूंज उठा। अनमोल के सहपाठी तो उसे देखकर दंग रह गए। अनमोल ने सबसे पहले स्कूल, दोस्तों और शहर का आभार व्यक्त किया। उसके बाद तो अपनी जादू भरी आवाज से उसने श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम समापन के बाद अनमोल से ऑटोग्राफ लेने के लिए बच्चों की लम्बी कतार लगी थी। वह सबको ऑटोग्राफ दे रहा था। किसी को भी निराश नहीं कर रहा था। इस कतार में अनमोल के पुराने सहपाठी शामिल थे। भीड़ बहुत थी। नितिन और उसके साथी अनमोल से मिलने को उत्सुक थे। वे उससे मिलकर माफी मांगना चाहते थे लेकिन आज उन्होंने महसूस किया कि उस तक पहुंचना इतना आसान नहीं था। आशीष शुक्ला
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