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नेपाली कम्युनिस्टों के चीनी गुरू माओत्से तुंग द्वारा हजारों तिब्बतियों की हत्या कराकर, तिब्बत को हड़पे जाने तथा ¹हिन्दी-चीनी भाई-भाई¹ के ह्यचाऊ-नेहरूह्ण नारों के बीच, भारत पर हमलाकर हजारों वर्ग किलोमीटर की भारतीय भूमि हथिया लेने की चीनी कार्रवाई से स्थापित ह्यनेपाल के राजनैतिक उद्योगोंह्ण का विस्तार, इस वक्त चरम सीमा पर है। इसके साथ ही ह्यचीन-पाकिस्तान संयुक्त उद्यमह्ण से उत्पादित ह्यआतंकी गतिविधियांह्ण न केवल भारत की शांति एवं सुरक्षा व्यवस्था को सीधी चुनौती दे रही हैं, अपितु नेपाल को भी आतंकी गतिविधियों का केन्द्र बनाकर, उसे विश्व जनमत के समक्ष बदनाम कर रही हैं। हाल ही में नेपाल-भारत सीमा क्षेत्र से दो ऐसे कुख्यात आतंकवादी पकड़े गए हैं जिनकी गिरफ्तारी, न केवल भारत, अपितु अमेरिकी खुफिया एजेंसियांे एवं इन्टरपोल जैसी अन्तर्राष्ट्रीय खुफिया निकायों के लिए भी अनेक वषोंर् से भारी चुनौती बनी हुई थी।
नेपाल के निर्वाचन आयोग में दर्ज कराई गई लगभग सवा सौ से भी अधिक राजनीतिक पार्टियां इस बात का प्रमाण हैं कि नेपाल में पार्टी खोलना एक उद्योग बन चुका है। इनमें अधिकांश पार्टियां अपने को ह्यकम्युनिस्टह्ण होने का दाबा करती हैं तथा ह्यभारत विरोधी गीत गाकरह्ण, अपने उत्तरी पड़ोसी चीन से हर सहयोग की अपेक्षा रखती हैं। वर्तमान जनगणना के अनुसार नेपाल की आबादी लगभग 2 करोड़ 68 लाख है। आगामी नवम्बर महीने में दूसरी बार होने जा रहे ह्यसंविधान सभा चुनावह्ण की जोरदार तैयारी चल रही है और एक समाचार के अनुसार निर्वाचन आयोग ने इस चुनाव के लिए तीन करोड़ मतपत्र छापने का निर्णय किया है। लेकिन, कुकुरमुत्ते की तरह उत्पन्न हो रही पार्टियों के नेताओं की उठा-पटक को देखते हुए अभी भी नेपाल के जाने माने राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि ह्ययदि घोषित तिथि पर चुनाव सम्पन्न हो गया तो वह एक चमत्कार ही होगाह्ण।
यह तथ्य अब छिपा नहीं है कि पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कुमार दहल उर्फ प्रचण्ड ने, माओत्से तंुग की तरह नेपाल के प्रथम राष्ट्रपति बनने की ललक में, जनविद्रोह के नाम पर न केवल हजारों निर्दोष नेपालियों की हत्या करायी बल्कि, उन्हें अपंग बनाया अपितु भारत पर घात लगाकर हमला करने के मंसूबे तथा माओवादी लड़ाकुओं को छुपने के लिए नेपाल-भारत सीमा पर सैकड़ों खाइयां बनवा डालने से भी बाज नहीं आए। इससे उनकी भारत से दो-दो हाथ कर लेने की मंशा साफ होती है।
वैसे यह तथ्य भी सर्वविदित ही है कि राजा महेन्द्र द्वारा नेपाल में पहली बार स्थापित बहुदलीय संसदीय प्रजातंत्र की 1960 में हत्याकर, तानाशाही निर्दलीय पंचायती शासन की स्थापना के बाद से ही, नेपाल को भारत-विरोधी गतिविधियों का केन्द्र एवं आतंकवादियों का गढ़ बनाने की गतिविधियां शुरू हुई थी। और, जिसके परिणामस्वरूप नेपाल- कश्मीरी, नागा, उल्फा, बोडो आदि भारतीय अतिवादी गिरोहों से लेकर पाकिस्तान संचालित लश्कर-ए-तोएबा, तालिबान, दाउद एवं अल-कायदा जैसे कुख्यात उग्रवादी सिरफिरों का शरणास्थली बन गया। क्योंकि, ह्यविश्व के एकमात्र हिन्दू राष्ट्रह्ण एवं उसके ह्यहिन्दू राजा महेन्द्र से लेकर राजा वीरेन्द्र और ज्ञानेन्द्र तकह्ण के हिन्दू राजाओं तथा तत्कालीन शासकों का एक बहुत बड़ा तबका उन भारतद्रोही आतंकी गिरोहों के अघोषित संरक्षक बने रहे। जिसकी गाज, सन् 1990 के सफल जन आन्दोलन के बाद स्थापित संसदीय बहुदलीय प्रजातांत्रिक प्रणाली की सरकार पर भी गिरे बिना नहीं रही। नेपाल में पाकिस्तानी सहयोग से भारतीय के विमान का अपहरण हुआ। इसलिए पाकिस्तान चाहे लाख बार अपने को पाक-साफ बताने की कोशिश करे पर वह अपने को मासूम साबित नहीं कर सकता है।
भारतीय सीमा से कुछ ही दूरी पर स्थित बौद्घ उपासना पद्घति के संस्थापक तथा राजा शुद्घोधन के पुत्र सिद्घार्थ का जन्मस्थल ह्यलुम्बिनीह्ण, चीनी खुफिया गतिविधियों का केन्द्र बनता जा रहा है जिसका नेतृत्व खुद ह्यप्रचण्डह्ण कर रहे हैं।
सीमा भी गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। लश्कर-ए-तोयबा के आतंकी अब्दुल करीम टुण्डा और आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के यासीन भटकल की नेपाल-भारत सीमा क्षेत्र से हुई गिरफ्तारी ने यह साबित कर दिया है कि नेपाल-भारत सीमा किसी भी हालत में सुरक्षित नहीं है। यह गिरफ्तारी नेपाली सीमा में हुई या भारतीय सीमा में, यह महत्वपूर्ण सवाल नहीं है। महत्व तो इस बात का है कि ये आतंकवादी, नेपाल-भारत सीमा क्षेत्र की चाक-चौबन्द सुरक्षा व्यवस्था को सीधे चुनौती दे रहे हैं। दूसरी ओर नेपाल के कुछ ह्यतथाकथित राष्ट्रवादी मीडियाकर्मीह्ण तथा ह्यकठमुल्ले राष्ट्रवादी नेताह्ण इन गिरफ्तारियों पर सवाल उठा रहे हैं।
काठमांडू स्थित त्रिभुवन विमानस्थल के रास्ते पाकिस्तान, ढाका, बैंकाक, दुबई, यूएई आदि अरब राष्ट्रों से भी नकली भारतीय नोटों की तस्करी हुआ करती है। इन खबरों से पता चलता है कि इस्लामिक आतंकवादियों ने नेपाल और भारत की खुली सीमा का बार-बार दुरुपयोग किया है। पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था आईएसआई के अधिकारी काठमांडू से वीरगंज, पोखरा, सुनौली, नेपालगंज, विराटनगर पहुंचकर भारत विरोधी गतिविधियों को प्रोत्साहित करते हैं। ऐसे में महत्वपूर्ण है कि नेपाल और भारत के बीच अपराधियों को सुपुर्द करने के लिए दोनों ही देशों को एक सन्धि हो। एक देश में अपराध कर दूसरे देश में छिपने में अपराधकर्मी दो देशों की खुली सीमा का अच्छा-खासा उपयोग कर रहे हैं। नयी संधि दोनों ही देशों में छिपे अपराधियों से निबटने के लिए एक रास्ता दे सकती है। भारत में आतंकवाद और जिहाद के प्रति नेपाल को भी पूरी तरह सतर्क होकर जिम्मेदार पड़ोसी की भूमिका में आना होगा। काठमाण्डू से रामाशीष
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