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नरेन्द्र मोदी की रैलियों मे उमड़ती भीड़ से कांग्रेस इतनी घबरा गई है कि उसने आनन-फानन में रघुराम राजन समिति का गठन किया और इस समिति ने चंद दिनों में एक ऐसी रपट दी है, जिसमें गुजरात को विकास के मुद्दे पर 12वां स्थान दिया गया है। पूरे देश के विकास से जुड़ी इस रपट को बनाने में वर्षों का समय चाहिए पर कांग्रेसी मानसिकता से जुड़े लोगों ने इस रपट को दो हफ्ते के अन्दर बनाकर यह बताने की कोशिश की कि कांग्रेस शासित राज्य विकास के मामले में बहुत आगे हैं और गैर कांग्रेस शासित राज्य पिछड़ रहे हैं। यहां दिल्ली में हुई मोदी की रैली का समाचार और रघुराम राजन समिति की रपट के मुख्य अंश दिये जा रहे हैं।
पक्षपाती रपट का सच
इसे लोकसभा चुनावों से पहले की छटपटाहट कहा जाए या फिर कांग्रेस सरकार की पक्षपाती राजनीति? जहां एक तरफ केंद्र सरकार की ही कई रपटें विकास के मामले में गुजरात का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ बताती हैं, वहीं डॉ. रघुराम राजन समिति की रपट गुजरात को कांग्रेस शासित राज्यों की बजाए विकास में पीछे बता रही है। रपट में गुजरात को विकसित राज्यों की सूची में 17 वें स्थान पर रखा गया है। ये बात अलग है कि उन्हें रिजर्व बैंक का गर्वनर बने एक महीना भी नहीं हुआ है। महज सप्ताह भर में उनकी समिति ऐसी रपट पेश कर रही है, जबकि कई वर्षों से कालेधन को लेकर सरकार जांच कराने की कवायद में जुटी है। इतने वर्षों में सरकार कालेधन को लेकर कोई पुख्ता जानकारी नहीं जुटा सकी है। वहीं महज सप्ताहभर में रघुराम राजन समिति ने विकास में अगड़े-पिछड़े राज्यों का ब्यौरा तक पेश कर दिया। ये बात अलग है कि गुजरात में बिजली में सुधार की स्थिति को लेकर कांग्रेस सरकार के बिजली मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का बयान और विश्व बैंक का अध्ययन रघुराम राजन समिति की रपट को साफ झटका दे रहा है।
विश्व बैंक के ताजा अध्ययन के अनुसार गुजरात और वर्तमान में कांग्रेस शासित राजस्थान के बिजली मॉडल ने वहां के गांवों में बिजली न आने की समस्या को लगभग खत्म कर दिया है। विश्व बैंक के प्रमुख उर्जा विशेषज्ञ आशीष खन्ना का कहना है कि गुजरात ने वर्ष 2003 में ज्योति ग्राम योजना शुरू की थी। इसके तहत गांवों में अलग-अलग फीडर लगाए गए थे। वहीं भाजपा के शासन काल में वर्ष 2005 में राजस्थान ने फेज के आधार पर घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं के लिए अलग फीडर की व्यवस्था अपनाई थी। इसी का नतीजा है कि जहां पहले दोनों राज्यों में 80 प्रतिशत घरेलू व 50 प्रतिशत कृषि उपभोक्ताओं को बिजली गुल होने की शिकायत रहती थी। वहीं अब ये शिकायतें आधी रह गई हैं। यहां तक कि कांग्रेस सरकार के बिजली मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इस बात का समर्थन करते हैं कि बिजली को लेकर सबसे ज्यादा सुधार गुजरात में हो रहा है।
इसके बाद भी डॉ. राघुराम राजन समिति की रपट में गुजरात को विकसित राज्यों की सूची में 12 वें स्थान पर रखा गया है। रपट में साफ पक्षपात नजर आता है। समिति ने विकास के आधार पर राज्यों की जो सूची तैयार की है, उसमें सात राज्यों को सबसे विकसित श्रेणी में रखा गया है। इनमें से चार में कांग्रेस की सरकार है। विकास की दौड़ में सबसे आगे गोवा है, जबकि कांग्रेस शासित केरल दूसरे स्थान पर है। सात में दो राज्यों में राजग की सरकार है, जबकि तमिलनाडु में गैर-संप्रग, गैर-राजग की सरकार है। इसी तरह से सबसे पिछड़े राज्यों की श्रेणी में दस राज्यों को शामिल किया गया है। इनमें से चार राज्यों में कांग्रेस की सरकार नहीं है। पांचवें स्थान पर रहने वाले झारखंड में हाल में कांग्रेस समर्थित हेमंत सोरेन की सरकार बनी है। केंद्र सरकार ने पिछड़े राज्यों की परिभाषा तय करने के बहाने गुजरात को देश का सबसे विकसित राज्य बताने के दावे की हवा निकालने की भी कोशिश की है। इस रपट में गुजरात को कम विकसित राज्यों की श्रेणी में रखा गया है। रघुराम राजन की रपट में त्रिपुरा और सिक्किम जैसे राज्यों को गुजरात से आगे रखा गया है।
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