लालू को जेल, कांग्रेस का सियासी खेल
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

लालू को जेल, कांग्रेस का सियासी खेल

by
Oct 5, 2013, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 05 Oct 2013 14:46:31

जहां तक कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियों का सवाल है तो बिहार की राजनीति में इनका कोई अर्थ नहीं है, ये सिर्फ वोटकटवा पार्टी हैं और भविष्य में कांग्रेस व कम्युनिस्ट पार्टियां कोई खास चमत्कार  भी तो नहीं कर पायेंगी, क्योंकि इनकी साख है ही नहीं, आम आदमी की बात करने वाली ये राजनीति पार्टियां सही रूप में आम आदमी से कोसों दूर हैं। लालू को जेल की सजा होने के साथ ही साथ राबड़ी देवी और उनके बच्चों ने राजद की कमान थाम ली है। जेल जाने के बाद भी राजद के सुप्रीमो लालू ही हैं।
राजद के वे नेता जो केन्द्र की कांग्रेसी सरकार के सत्ता सुख के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष भागीदार नहीं रहे हैं, कांग्रेस को समर्थन देने के खिलाफ रहे हैं। राजद का हर नेता यह महसूस कर रहा है कि कांग्रेस ने उनके साथ विश्वासघात किया है। कांग्रेसी नेता जोगिन्दर रोहिल्ला सवाल करते हैं कि जब टू जी घोटाले में पी. चिदम्बरम के खिलाफ ठोस और प्रमाणित आरोप होने के बाद भी कांग्रेस अदालत से चिदम्बरम को बरी करा सकती है, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कोयला घोटाले में जेल जाने से बचाने के लिए कोयला आवंटन से जुड़ी फाइलें गायब करायी जा सकती हैं तब लालू को बरी कराने की कोशिश कांग्रेस ने क्यों नहीं की? राजद के नेता यह भी प्रश्न करते हैं कि सजा के बाद भी  लोकसभा-विधान सभा के सदस्यों की सदस्यता को बचाने के लिए लाया गया अध्यादेश वापस करने का अर्थ यह है कि छोटे और प्रादेशिक राजनीतिक दलों पर न केवल दबाव बनाया जायेगा बल्कि उनका सर्वनाश भी कराया जायेगा। मनमोहन सरकार द्वारा अध्यादेश लाने की जगह पिछले संसद सत्र के दौरान ही सदस्यता को संरक्षण देने वाला कानून बना दिया जाना चाहिए था। उल्लेखनीय है कि अध्यादेश की वापसी के बाद लालू प्रसाद यादव सहित अनेक सांसदों और विधायकों की सदस्यता चली जायेगी। इस संकट का शिकार सिर्फ लालू ही नहीं हुए हैं बल्कि भविष्य में अनेक नेता होंगे और होने की राह पर हैं।
सोनिया भक्त लालू
लालू एकमात्र नेता हैं जो सोनिया गांधी के अंधभक्त रहे हैं। सोनिया गांधी के प्रति अंधभक्ति लालू के सिर चढ़कर बोलती थी। याद कीजिये राजग सरकार के दौरान विदेशी मूल का प्रश्न। राजग सरकार के दौरान विदेशी मूल के प्रश्न ने बहुत बड़ा राजनीतिक बखेड़ा खड़ा किया था। हर तरफ से सोनिया गांधी की नागरिकता खारिज करने और सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने से रोकने की मांग हो रही थी। कांग्रेस भी सोनिया गांधी के विदेशी मूल के सवाल पर असहज थी। कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता सोनिया गांधी के विदेशी मूल के प्रश्न पर बोलने से डरते थे। उस दौर में लालू ही सोनिया गांधी के समर्थन में खड़े थे, लालू हमेशा दहाड़कर बोलते थे कि 'देश की प्रधानमंत्री सोनिया गांधी क्यों नहीं होंगी, सोनिया गांधी देश की बहू हैं।' सेकुलरवाद के बहाने लालू हमेशा कांग्रेस के साथ खड़े रहे थे। 2004 में जब एनडीए पराजित हुई तब लालू कांग्रेस के समर्थन में खड़े हो गये। पांच साल तक लालू रेल मंत्री रहे। रेल मंत्री के रूप में लालू ने हमेशा सोनिया गांधी का गुणगान ही किया था, सोनिया गांधी-राहुल गांधी के चुनाव क्षेत्र में  रेल परियोजना भी लगायी गयी थी।
2009 के लोकसभा चुनाव में लालू की राजनीतिक शक्ति कमजोर हो गयी और उनकी पार्टी सिर्फ चार लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज कर सकी थी। इसके बावजूद लालू को उम्मीद थी कि कांग्रेस उन्हें मंत्री बनायेगी। लालू की उम्मीद नाउम्मीदी में बदली और कांग्रेस ने लालू को केन्द्र में मंत्री बनाये जाने लायक ही नहीं समझा। फिर भी लालू की कांग्रेस और सोनिया गांधी की अंधभक्ति कमजोर नहीं हुई थी और न ही छूटी थी।
लालू खुशफहमी में थे कि कांग्रेस ने जिस तरह से वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम को टू जी घोटाले से बरी कराया और प्रधानमंत्री को कोयला घोटाले में जेल जाने से बचाने के लिए सीबीआई रिपोर्ट बदलवायी थी, कोयला आवंटन से जुड़ी हुई फाइलें गायब करायी थीं उसी प्रकार से चारा घोटाले में कांग्रेस उनको बचा लेगी और सदस्यता जाने वाले न्यायिक फैसले को संसद में कानून बना कर संरक्षण देगी।
कांग्रेस के रणनीतिकार यह समझ बैठे हैं कि लालू जैसे राजनीतिज्ञ और राजद जैसी पार्टियों का सफाया होने के बाद ही कांग्रेस अखिल भारतीय स्तर पर जनाधार बना पायेगी। इसलिए कि कांग्रेस और राजद, सपा, बसपा और द्रमुक पार्टियों का एक ही जनाधार है। इसलिए सीबीआई, न्यायालय और अन्य नियामकों के माध्यम से राजद, बसपा, सपा और द्रमुक जैसी पार्टियों और इनके नेताओं की छवि और विश्वसनीयता समाप्त करानी है, जिस पर कांग्रेस सफलतापूर्वक चल रही है। दुर्भाग्य यह है कि बसपा, सपा, द्रमुक और राजद जैसी राजनीतिक पार्टियों के सुप्रीमो को कांग्रेस की चाल समझ में आ नहीं रही है, वे कांग्रेस की गोद से उठने के लिए तैयार भी नहीं हैं। आज न कल सभी का हश्र लालू की तरह ही हो, तभी कांग्रेस का एकछत्र राज का सपना साकार होगा?
जहां तक बिहार की राजनीति में परिवर्तन का सवाल है या फिर राजद के भविष्य का सवाल है तो तुरंत किसी निश्कर्ष तक पहुंचना न्यायोचित नहीं हो सकता है। लालू पहले भी जेल जा चुके हैं। राबड़ी देवी पहले भी राजद और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ चुकी हैं। पहले राबड़ी देवी राजनीति से अनजान थीं। आज के समय में राबड़ी देवी को सोनिया गांधी से अच्छी राजनीतिक समझ है और वह कागजों पर लिखे गये भाषणों के सहारे नहीं बल्कि सीधे तौर पर भाषण भी दे सकती हैं। नीतीश कुमार भी अलोकप्रियता के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में भाजपा से बिहार के लोगों की उम्मीदें बढ़ना स्वाभाविक ही है।  विष्णुगुप्त 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

fenugreek water benefits

सुबह खाली पेट मेथी का पानी पीने से दूर रहती हैं ये बीमारियां

Pakistan UNSC Open debate

पाकिस्तान की UNSC में खुली बहस: कश्मीर से दूरी, भारत की कूटनीतिक जीत

Karnataka Sanatan Dharma Russian women

सनातन धर्म की खोज: रूसी महिला की कर्नाटक की गुफा में भगवान रूद्र के साथ जिंदगी

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

fenugreek water benefits

सुबह खाली पेट मेथी का पानी पीने से दूर रहती हैं ये बीमारियां

Pakistan UNSC Open debate

पाकिस्तान की UNSC में खुली बहस: कश्मीर से दूरी, भारत की कूटनीतिक जीत

Karnataka Sanatan Dharma Russian women

सनातन धर्म की खोज: रूसी महिला की कर्नाटक की गुफा में भगवान रूद्र के साथ जिंदगी

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies