|
पाकिस्तान के कबीलाँई इलाके और तालिबान के गढ़ माने जाने वाले खैबर पख्तूनख्वाह में हालात किस कदर बिगड़ते जा रहे हैं उसे तालिबानियों ने पेशावर के आॅल सेंट्स चर्च पर फिदायीन हमला करके एक बार फिर दुनिया के सामने जता दिया है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों यानी हिन्दू और ईसाइयों पर विशेष रूप से निशाना साधा जा रहा है। यह क्रम पिछले दो सालों में तेजी से बढ़ा है।
22 सितम्बर को पेशावर के इस चर्च में रविवार की प्रार्थना के लिए इकट्ठे हुए ईसाइयों में बड़Þी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल थे। शरीर पर बम बांधे दो फिदायीन दोपहर पौने बारह बजे चर्च के आंगन में 400 से ज्यादा लोगों की भीड़ में जा घुसे और एक के बाद एक, दो धमाके कर दिए। देखते ही देखते चारों तरफ खून सनी लाशें और कटे -फटे अंगों का ढेर लग गया, प्रार्थना की जगह मातम छा गया। धमक इतनी जबरदस्त थी कि उसकी गूंज पूरे पेशावर में देर तक सुनाई दी। बताते हैं, दोनों फिदायीन 12-12 किलो विस्फोटक कमर से बांधकर लाए थे। 72 से ज्यादा महिलाएं, पुरुष और बच्चे मारे गए और 140 से ज्यादा घायल हुए। ध्यान रहे, ये सरकारी आंकड़े हैं, हताहतों की संख्या कहीं ज्यादा बताई जाती है। शहर के अस्पतालों में हाहाकर करते लोग पहुंचने लगे, उधर तालिबान ने बड़ी हेकड़ी के साथ हमले की जिम्मेदारी ली। इस कोहाटी गेट इलाके में तीन चर्च और बहुत से इमामबाड़े हैं और यह इलाका संवेदनशील माना जाता है। चर्च पर उस वक्त महज 3 पुलिसवाले ही तैनात थे।
इस हमले से जहां पहले से ही कट्टरवादियों के आतंक तले जी रहे हिन्दुओं और ईसाइयों में दहशत बढ़ गई वहीं अपनों की लाशें देखकर परिजन आपे से बाहर हो गए। जी़ टी़ रोड, खैबर बाजार और किस्सा ख्वानी बाजार में सड़कें जाम कर दी गईं, हत्यारों के खिलाफ उस सरकार से कार्रवाई की मांग की जाने लगी जिसके हाथ में तालिबानियों की नकेल है ही नहीं, जो खुद मजहबी उन्मादियों के कथित इशारे पर चलती है। तालिबान ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए खुलकर कहा कि तालिबान और अल कायदा पर अमरीकी ड्रोन हमलों का बदला लेने के लिए विदेशियों और गैर मुस्लिमों की जान लेने को उसने जुनूद अल-हिफ्सा नाम का जिहादी गुट बना लिया है। उसके हत्यारे लड़ाके, प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के उस बयान पर जोर से ठहाका मारकर हंसे होंगे जिसमें उन्होंने ‘क्रूर’ हमले पर गहरा दुख जताते हुए कहा था, यह इस्लाम की शिक्षाओं के विरुद्घ है। कहने को उलेमा काउंसिल ने भी चर्च पर हमले के खिलाफ अफसोस जताया। उधर गुस्साए ईसाइयों ने कराची, लाहौर, मुल्तान और दूसरे कई शहरों में धरने-प्रदर्र्शन किए, अपनी जान-माल की सुरक्षा की गारंटी मांगी।
टिप्पणियाँ