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भारत के महान वैज्ञानिकों ने अग्नि-5 का दूसरा सफल परीक्षण करके सभी भारतीयों का गर्व से सीना चौड़ा कर दिया है। इस सरकार की तुष्टीकरण वाली सोच के चलते पिछले लम्बे समय से देश में जो निराशा का माहौल बना था, उसके बीच अग्नि-5 की खबर ने सुखद अहसास कराया। यह परीक्षण भारतीय वैज्ञानिकों की कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। चीन और यूरोप का एक बड़ा हिस्सा इसकी जद में है। इस अंतर महाद्वीपीय बालिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) की मारक क्षमता जरूरत पड़ने पर दस हजार किमी. तक बढ़ाई जा सकती है। अभी यह मिसाइल सतह से सतह पर 5 हजार किमी. तक छोटे से छोटे लक्ष्य पर अपना अचूक निशाना साध सकती है। आगे इसे पनडुब्बी से भी छोड़े जाने हेतु परीक्षण शुरू कर दिए जाएंगे! अगले दो साल में इसे सेना को सौंपा जा सकता है, ऐसा डीआरडीओ के वैज्ञानिकों का दावा है। वास्तव में जब इसकी क्षमता 10 हजार किमी. होगी तो अमरीका भी इसकी जद में होगा। अभी 1000 टन नाभिकीय विस्फोटक के साथ अग्नि-5 पांच हजार किमी. तक अपने लक्ष्य को भेद सकती है। इस परीक्षण में वैज्ञानिकों ने इस मिसाइल के कई पहलुओं की जांच की, जैसे वायुमंडल से बाहर जाने और फिर लौटकर वायुमंडल में आने पर उत्पन्न होने वाले असीम ताप को सहने की बाहरी परत की क्षमता और अचूक लक्ष्य भेदने की क्षमता आदि।
अग्नि-5 की प्रमुख विशेषताएं
ङ्म यह 20 मिनट में 5 हजार किमी की दूरी तय कर लेगी तथा डेढ़ मीटर के छोटे लक्ष्य को भेद देगी।
ङ्म भारत अग्नि-5 से अंतरमहाद्वीपीयमिसाइल (आईसीबीएम) बनाने वाले देशों के समूह में शामिल हो जाएगा, अभी अमरीका, रूस, फ्रांस और चीन के पास यह क्षमता है।
ङ्म यह गोली से भी तेज गति से 1000 किलो तक वजनी नाभिकीय हथियार ले जा सकेगी।
ङ्म अग्नि-5 की एक मिसाइल से कई ‘न्यूक्लियर वॉरहेड’ छोड़े जा सकते हैं। अग्नि-5 मिसाइल से छोटे उपग्रह छोड़ने में मदद मिलेगी।
ङ्म यह दुश्मनों के उपग्रह को नष्ट करने में भी इस्तेमाल हो सकेगी।
ङ्म इसे ‘वेपन आॅफ पीस’ कहा गया है जो प्रधानमंत्री के आदेश पर छोड़ा जा सकता है।
ङ्म यह 17.5 मीटर लम्बी, 6.6 फुट व्यास की मिसाइल है।
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