|
श्रद्धाञ्जलि
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, उत्तर क्षेत्र के प्रचारक प्रमुख डा़ कृष्ण बवेजा का 18 सितम्बर 2013 को हिमाचल प्रदेश में ऊना में मोटर साइकल फिसल जाने से निधन हो गया। उनके पैतृक स्थान सोनीपत (हरियाणा) में उनका अन्तिम संस्कार 19 सितम्बर को किया गया। अनेक सामाजिक-धार्मिक संगठनों के पदाधिकारी और बड़ी संख्या में उपस्थित रा.स्व. संघ के स्वयंसेवकों ने डा़ बवेजा को भावभीनी विदाई दी। श्री प्रेम गोयल (वरिष्ठ प्रचारक), अखिल भारतीय सह सम्पर्क प्रमुख श्रीअरुण कुमार, क्षेत्र संघचालक डा़ बजरंग लाल गुप्त, क्षेत्र कार्यवाह, श्री सीताराम व्यास, क्षेत्र प्रचारक श्री रामेश्वर, सह क्षेत्र प्रचारक श्री प्रेम कुमार, वनवासी कल्याण आश्रम के श्री कृपा प्रसाद सिंह, दिल्ली के प्रांत संघचालक श्री कुलभूषण आहूजा, हरियाणा प्रान्त संघचालक मेजर (से़ नि़) करतार सिंह, दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डा़ हर्षवर्धन, राष्ट्रीय सिख संगत के मार्गदर्शक सरदार चिरंजीव सिंह, श्री अविनाश जायसवाल, राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय सहकार्यवाहिका सुश्री रेखा राजे, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्री उमेश दत्त सहित जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा व दिल्ली के अनेक वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने इस अवसर पर अपनी श्रद्घाञ्जलि अर्पित की। 21 सितम्बर की प्रात: 8 बजे केशव कुञ्ज, झण्डेवाला (नई दिल्ली) में स्व. बवेजा की स्मृति में श्रद्धाञ्जलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अनेक स्वयंसेवकों और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने वरिष्ठ प्रचारक स्व. बवेजा की स्मृति को नमन किया और उनसे जुड़े प्रसंगों की चर्चा की।डा़ कृष्ण बवेजा का जन्म 24 सितम्बर 1949 को हुआ। पिता श्री हिम्मत राम बवेजा व माता श्रीमती भागवंती देवी के संस्कारों का ही परिणाम था कि पूरे परिवार में संघ का वातावरण था। डा़ बवेजा के दो भाई व दो बहनें थीं। भाई-बहनों में आप सबसे बड़े थे।बहुमुखी प्रतिभा के धनी डा़ बवेजा ने गणित विषय में पीएच.डी. उपाधि प्राप्त की थी। प्रचारक जीवन प्रारम्भ करने से पूर्व हिन्दू कालेज, रोहतक में अध्यापन कार्य किया। बाद में भी अनेक वर्ष तक डी.ए.वी. कालेज, चण्डीगढ़ में पढ़ाया। सन् 1980 में आप प्रचारक निकले। हरियाणा, पंजाब व दिल्ली में अनेक दायित्वों को आपने सफलतापूर्वक निभाया। पंजाब प्रांत में बौद्घिक प्रमुख, दिल्ली में सह प्रांत प्रचारक, हरियाणा के प्रांत प्रचारक व अनेक वर्ष तक उत्तर क्षेत्र के बौद्घिक प्रमुख भी रहे। स्वामी विवेकानन्द सार्द्धशती समारोह वर्ष में क्षेत्र के सह संयोजक का दायित्व भी आप निभा रहे थे। श्री गुरुजी की जन्म शताब्दी वर्ष में राष्ट्रीय स्तर पर तैयार हुए साहित्य के प्रकाशन में भी आपकी बड़ी भूमिका रही थी। स्व. डा. कृष्ण बवेजा के प्रति शोक संदेश निम्नलिखित पते पर भेजे जा सकते हैं-श्री राजकुमार बवेजा 1/238 गढ़ी घसीटा, हिन्दू कालेज के पास, सोनीपत (हरियाणा) दूरभाष : 09992 0492अविस्मरणीय बवेजा जीडा. कृष्ण कुमार बवेजा से मेरा सम्बंध 38 वर्ष पूर्व चण्डीगढ़ से बना, जब 1975 में मैं महानगर प्रचारक होकर वहां आया। वे अपने लिए कठोर तथा दूसरों के लिए विनम्रता की प्रतिमूर्ति थे। दिखने में शारीरिक रूप से दुर्बल लेकिन अन्दर से चट्टान जैसे दृढ़ संकल्प के धनी थे। आपातकाल में पुलिस ने गिरफ्तार कर दो दिन, दो रात सोने नहीं दिया। जब भी झपकी आती, पुलिस की मार और सर्दी के मौसम में ठण्डे पानी की बाल्टी उन पर उड़ेल दी जाती, लेकिन सभी प्रकार की यातनाओं के बाद भी, भूमिगत आन्दोलन की एक भी जानकारी पुलिस उनसे नहीं ले पायी। पूरे 19 महीने एमआईएसए में बन्दी रहे।मैं भी खून दूंगा1979 में बवेजा जी पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला में पीएच डी कर रहे थे। एक बार चन्द्रशेखर आजाद की स्मृति में रक्तदान शिविर का आयोजन किया। अनेक प्राध्यापक, छात्र, छात्राओं को रक्तदान के लिए बवेजा जी ने प्रेरित किया। मेडिकल टीम ने जितने यूनिट का लक्ष्य रखा वह पूरा हो गया। वे अपना सामान समेटने लगे, लेकिन श्री बवेजा जी अभी भी रक्तदानियों की मेज पर लेटे थे। रक्तदान के लिए आग्रह कर रहे थे। डाक्टर ने वजन किया तो कहा आपका रक्त नहीं लिया जा सकता, आपका वजन कम है। बवेजा जी ने कहा मैंने इतने बन्धुओं को रक्तदान के लिए कहा है, मैं नहीं दूंगा तो वे क्या कहेंगे, मैं खून दान करूंगा ही और आपको लेना ही होगा। उनकी इस भावनापूर्ण जिद के आगे डाक्टर को भी झुकना पड़ा और उनका रक्त लिया। डाक्टर ने कहा ऐसा पागल पहली बार देख रहा हूं। दिल्ली जैसे महानगर में भी शाखा में दण्ड सहित उपस्थित होने का आग्रह उन्होंने रखा। स्वयं भी स्कूटर पर दण्ड लेकर चलते थे। पूरी दिल्ली का प्रवास करते थे। वे जो कहते थे उसे पहले स्वयं करते थे और फिर दूसरों को ऐसा करने के लिए कहते थे।ऐसे कर्मयोगी डा. कृष्ण कुमार बवेजा को मेरा शत्-शत् प्रणाम।
-रामेश्वरक्षेत्र प्रचारक, उत्तर क्षेत्र, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
टिप्पणियाँ