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गुप्तचर ब्यूरो (आई.बी.) द्वारा केन्द्र सरकार को मुजफ्फरनगर- शामली दंगों के विषय में भेजी रपट ने जनता की ओर से लगातार व्यक्त की गयी इस आशंका की पुष्टि कर दी है कि राज्य सरकार ने ही स्थानीय पुलिस-प्रशासन को समुदाय विशेष के दंगाइयों के विरुद्ध कार्रवाई से रोककर उसके हाथ बांध दिए थे। आई.बी.की रपट बताती है कि जॉली गंगनहर पुल पर दंगाइयों ने 'बहू-बेटी सम्मान बचाओ महापंचायत' से लौट रहे निहत्थे लोगों पर हमला कर बड़ी संख्या में उनको हताहत किया। आई.बी. रपट कहती है कि पुलिस ने उस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की थी। यही नहीं, कवाल में गौरव-सचिन के हत्यारों को भी पकड़ कर छोड़ दिया गया। इस सबके पीछे सपा के ह्यएक कद्दावर मंत्रीह्ण के पुलिस को दिए कथित निर्देश थे। रपट में मीनाक्षी चौक, खालापार, शहीद चौक व बसीकलां जैसे मुस्लिम-बहुल इलाकों में भी दंगाइयों के विरुद्ध कार्रवाई रोके जाने का जिक्र है। पुलिस पर नकेल की बात तो अब जगजाहिर है ही उत्तर प्रदेश के एडीजी अरुण कुमार ने भी केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए अर्जी लगा दी है।आई.बी. की रपट की हूबहू पुष्टि चैनल 'आज तक' के स्टिंग आपरेशन ने की है। इसमें जानसठ के एस.डी.एम. आर.सी. त्रिपाठी और सर्किल ऑफिसर जे.आर.जोशी यह बोलते दिखाये गए कि कवाल, जहां गौरव-सचिन की बर्बर हत्या हुई, को तत्काल घेर कर उस समय की एस.एस.पी. मंजिल सैनी और जिलाधिकारी ने सात हत्यारोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। पर बाद में आजम खान के कहने पर उन्हें छोड़ दिया गया, एस.एस.पी.और डी.एम. का तत्काल तबादला किया गया और एफ.आई.आर. बदली गयी। आजम खान ने बाद में भी दंगाइयों की रिहाई करायी। फुगाना के थानेदार आर.एस.भगौर, भोपा के थानेदार समरपाल सिंह, शाहपुर के थानेदार सत्य प्रताप सिंह, मीरापुर थाने के अनिरुद्ध गौतम और बुढ़ाना के थानेदार ऋषिपाल सिंह बार-बार इस विषय में बोलते दिखाई दिए। आजम खान का कई बार स्पष्ट नाम लिया गया। एस.पी. (अपराध) कल्पना सक्सेना ने कहा कि हिन्दुओं में यह भावना घर करने दी गयी कि मुस्लिमों का तुष्टीकरण हो रहा है। तमाम पुलिस और प्रशासन से जुड़े लोग आजम खान को कसूरवार ठहरा रहे हैं। आई.बी.की रपट भी यही कहती है। साफ है कि दागी आजम खान की गिरफ्तारी के बिना दंगों के मृतकों को न्याय नहीं मिलेगा।मुआवजे की बंदरबांटसपा सरकार कैसे मुआवजे की राशि लुटा रही है, इसका एक उदाहरण सामने आया है। एक स्थानीय अखबार के अनुसार दंगे से अलग स्वाभाविक मृत्यु का ग्रास बने एक मुस्लिम व्यक्ति के परिवार को सपा सरकार में राज्यमंत्री राजेन्द्र राणा ने 10 लाख का चेक पकड़ा दिया। सहारनपुर जिले के देवबंद क्षेत्र में गुनारसा और रणखंडी ग्रामों के बीच दिलशाद नामक व्यक्ति का शव मिला था। यह फौलादपुर का निवासी था तथा रेहड़ी लगाता था। इस क्षेत्र में साम्प्रदायिक हिंसा की कोई वारदात नहीं हुई थी। फिर भी बिना किसी जांच के ही आनन-फानन में मृतक के परिवार को मुआवजे की घोषणा कर दी गयी। दो दिन में ही 10 लाख का चेक दिलशाद की पत्नी के हाथ थमा राज्यमंत्री राजेन्द्र राणा ने अपनी पीठ थपथपा ली। उत्तर प्रदेश का राजकोष साम्प्रदायिक तुष्टीकरण की भेंट चढ़ाया जा रहा है।पैसे उगाहने को बने शरणार्थीसमुदाय विशेष के बीच यह आम चर्चा रही है कि दंगा पीडि़त का तमगा लगा अपना घर छोड़कर शरणार्थी बन जाने पर सरकार से कुछ मुआवजा झटका जा सकता है। इसलिए जिन स्थानों पर दंगे की आंच बिल्कुल भी नहीं पहुंची, वहां से भी समुदाय विशेष के लोग अपने घरों पर ताले मारकर शरणार्थी शिविरों की संख्या बढ़ा रहे हैं। साम्प्रदायिक हिंसा 32 ग्रामों में हुई, पर शरणार्थी 147 ग्रामों के हैं। ऐसा भी बताया जाता है कि बहुत से लोगों को, जो ह्यशरणह्ण लेने पड़ोस के जिले मेरठ चले गये, मुजफ्फरनगर प्रशासन से लापता घोषित कराने के प्रयास हो रहे हैं। बताया जाता है कि इनमें कई व्यक्ति अपने हिन्दू पड़ोसियों के कर्जदार थे। दंगे के बहाने उस कर्ज से पिंड छुड़ाने की इच्छा जागी, सो शिविरों का रुख किया-शायद कुछ मुआवजा हाथ लगे। ग्राम बट्टावड़ी, करकड़ा, खदड़ आदि से भी मुआवजे के लालच में पलायन हुए हैं। अब ये शरणार्थी भयभीत होने का नाटक कर सरकार से अपने लिए शहरी क्षेत्र में निवास चाहते हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश के दौरे के समय यह मांग इन लोगों ने जोरदारी से रखी।खुद लगाई मस्जिद में आगबासौली ग्राम में रहमुद्दीन नाम के शख्स ने उस मस्जिद के दरवाजे पर मिट्टी का तेल स्वयं छिड़ककर आग लगा दी जिसमें वह खुद इबादत करता रहा है। पर उसका भेद खुल गया। उसने माना कि मुआवजे के लालच में यह किया गया। पुलिस ने उस पर मुकदमा दर्ज किया है।हिन्दू युवकों पर झूठे मुकदमेमुजफ्फरनगर-शामली, दोनों जिलों में 18 से 28 वर्ष की आयु के हजारों हिन्दू नवयुवकों के खिलाफ दंगों की बिल्कुल झूठी प्राथमिकियां दर्ज की गयी हैं। खरड़ के ग्राम प्रधान विजेन्द्र सिंह के अनुसार मतदाता सूची लेकर अनाप-शनाप नामजदगियां की गयी हैं। फुगाना, सिसौली तथा निकटवर्ती ग्रामों में भी यही हाल है। पुलिस दबिश दे रही है। बर्बरता कर रही है। हिन्दू दर-दर भटक रहे हैं। काली वर्दी वाले गिरोहग्रामीण इलाकों में समुदाय विशेष के अपराधी गिरोह काली वर्दी में आतंक फैलाते घूम रहे हैं। कोई किसान खेत में काम करने या चारा लेने जाता है, उस पर हमला होता है। सैकड़ों ट्यूब वैल बेकार कर दिये गये हैं। गोलीबारी की घटनायें हो रही हैं। कृषि कार्य ठप्प है। प्रशासन सो रहा है। लापता लोगों की तलाश 7 सितम्बर को दोपहर बाद नंगला मंदौड़ में ह्यबहू-बेटी सम्मान बचाओ महापंचायतह्ण से लौट रहे लोगों पर जॉली गंग नहर पुल पर सैकड़ों सशस्त्र दंगाइयों ने हमला किया था। हत्या कर शव नहर में फैंके गये। दर्जनों वाहन जला कर नहर में डाले गए। अब तक यहां से 6 शव, 8 ट्रेक्टर ट्रॉली और कई मोटरसाइकिलें निकाली जा चुकी हैं। अखबारों द्वारा व्यक्त आशंकाओं के अनुसार लोग अब भी लापता हैं। दैनिक जनवाणी (8 सितम्बर) ने तो 250 लोगों के लापता होने का समाचार दिया था। तमाम छोटे-मोटे बहानों पर नहर रोक देने वाली सरकार ने अभी तक नहर सुखाकर शवों की खोज-बीन की चेष्टा नहीं की है। मेरठ के एक एडवोकेट राहुल गोयल ने फेसबुक के माध्यम से लापता लोगों की खोज का बीड़ा उठाया है। facebook.com/advrahul.org पर संपर्क कर उन्हें अपने लापता परिचितों के बारे में जानकारी भेजी जा सकती है।असली अपराधियों तक पहुंचना मुश्किलह्यआज तकह्ण के स्टिंग आपरेशन भाग-2 में भोपा थाने के दीवान ब्रह्मसिंह, जो 7 सितम्बर के दुर्भाग्यपूर्ण दिन जॉली गंगनहर पुल पर थे, ने बताया कि पुलिस और पीएसी की मौजूदगी में दंगाइयों ने महापंचायत से ट्रेक्टर और दुपहिया आदि पर लौट रहे लोगों पर कातिलाना हमले कर उन्हें मारकर नहर में फेंका। पुलिस-पीएसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस ह्यस्टिंगह्ण में एसपी (दंगा ड्यूटी) राम अभिलाष त्रिपाठी कहते हुए दिखाये गए हैं कि दंगाइयों को आज तक पुलिस छू भी नहीं सकी है। मुजफ्फरनगर शहर कोतवाल सतपाल सिंह ने स्वीकार किया कि धारा 144 के बावजूद खालापार में लोगों को माइक लगाकर भड़काऊ भाषण देने दिये गये और वहां जाकर नये डीएम ने ज्ञापन स्वीकार किया। उल्लेखनीय है कि उक्त सभा में जहरीले भाषणों के लिए बसपा सांसद कादिर राणा, कांग्रेस नेता सईदुज्जमा आदि पर मुकदमे दायर किये गये हैं, पर सपा के राष्ट्रीय सचिव राशिद सिद्दीकी को बचा लिया गया है। अजय मित्तल
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