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सीरिया से छनकर आईं ताजा खबरें बताती हैं कि अमरीकी गुप्तचर एजेंसी सीआईए द्वारा सीरिया के विद्रोहियों को भेजी हथियारों की खेप पहुंचने वाली है। जैसा कि विश्लेषकों को अंदेशा था, अमरीका अपनी योजना के तहत असद सत्ता के खिलाफ लड़ रहे सशस्त्र गुटों के हाथ मजबूत कर रहा है। पिछले दो हफ्तों से इन हथियारों का सीरिया पहंुचना जारी है। वाशिंगटन पोस्ट की मानें तो, सीरिया में अमरीका अपनी दखल बढ़ाने में जुटा हुआ है। शुरुआती खेप में विद्रोहियों के लिए गाडि़यां और दूसरा फौजी साजो-सामान है। साफ है कि यह सीरिया में तनाव बढ़ाने की ही कोशिश है। विद्रोहियों को भेजे जाने वाले अमरीकी हथियारों में फिलहाल हल्के-फुल्के हथियार, उनका गोला-बारूद और संचार उपकरण हैं। अमरीकी अधिकारियों को लगता है इससे विद्रोहियों का पाला कमजोर नहीं पड़ेगा और वे असद सत्ता के खिलाफ जूझते रहेंगे। पता यह भी चला है कि विद्रोहियों को भेजा गया यह फौजी साजो-सामान अमरीका का बना नहीं है, पर उसका इंतजाम और उसके लिए पैसा सीआईए ने खर्च किया है।इस बीच रूस के राष्ट्रपति पुतिन की बात अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा के गले उतरती दिख रही है। ओबामा को पुतिन की वह बात जंच गई दिखती है जिसमें पुतिन ने सीरिया को अपने रासायनिक हथियार सबके सामने रख देने की सलाह दी थी और सीरिया इसके लिए राजी हो गया था। शायद यही वजह है कि ओबामा ने फौजी कार्रवाई के लिए संसद की हामी पाने से कदम पीछे खींच लिए हैं। लेकिन बताया यह भी जाता है कि कई अमरीकी सांसद पहले से ही फौजी कार्रवाई के विरोध में थे। लेकिन शंकालु ओबामा ने यह जता दिया है कि कूटनीति से नतीजा नहीं निकला तो सीरिया पर चढ़ाई कर दी जाएगी। उधर पुतिन ने फिर से चेताया है कि संयुक्त राष्ट्र की सहमति के बिना अमरीका कोई फौजी कार्रवाई न करे।इमरान चाहते हैं पाकिस्तानी बच्चे जिहादी सबक पढ़ें!पाकिस्तान में पिछले दिनों हुए आम चुनावों में यह बात जोर-शोर से उठी थी कि क्रिकेटर से राजनीतिक नेता बने इमरान खान की तहरीके इंसाफ पार्टी को तालिबानी तत्वों का समर्थन प्राप्त है। बताते हैं, इसी वजह से वे पाकिस्तान के कबीलाई इलाकों में चुनावी प्रचार करने से नहीं हिचके। उन चुनावों में उनकी पार्टी बुरी तरह हारी थी। अब मीडिया में आईं खबरों के अनुसार, उन्हीं इमरान ने खैबर पख्तूनख्वाह के स्कूलों की किताबों में उन उग्र जिहादी सबकों को बहाल करने का बीड़ा उठाया है जिन्हें हटा लिया गया था। यह वही इलाका है जहां का चप्पा चप्पा जिहाद से पीडि़त है और जिहादी जहां बेखौफ घूमते हैं।2008 मे वहांं जब सेकुलर मानी जाने वाली अवामी नेशनल पार्टी की सरकार बनी थी उस वक्त वहां स्कूली किताबों में से कुरान की उन आयतों को हटा दिया गया था जो जिहाद की पैरवी करती थीं, हथियारों या हिंसा को दर्शाने वाले रेखाचित्रों को हटा दिया गया था। जिहाद के वे सबक पब्लिक स्कूलों की पहली से बारहवीं कक्षा तक की किताबों में भरे पड़े थे। उन्हें जब हटाया गया था तब कट्टर मजहबियों की भौहें तिरछी हुई थीं। हटाए गए जिहादी मसाले वाले सबकों की जगह डाले गए स्थानीय पख्तूनी शायरों पर लिखे सबक। लेकिन आज खैबर पख्तूनख्वाह में इमरान की पार्टी और कट्टरवादी जमाते इस्लामी का राज है। जाहिर है कठमुल्लाओं के दबाव के आगे उन्हें झुकना ही पड़ा और कहना पड़ा कि स्कूलों की किताबों में जिहादी सबक लौटाए जाएंगे। पिछली सरकार की ह्यभूलों और खामियोंह्ण को तहरीक की सरकार सुधार देगी। ऐसा वहां के सूचना मंत्री शाह फरमान का फरमान है। उनकी नजर में ह्यअगर इस्लामी सबक, जिहाद और मुल्क के आदर्श लोगों की जानकारी स्कूली किताबों से हटा दी जाए तो फिर ये कैसी आजादी?ह्ण फरमान ने कहा कि उन किताबों में ह्यखामीह्ण का एक उदाहरण यह है कि ह्यजम्मू-कश्मीर को विवादित क्षेत्र बताया गया है।ह्ण इमरान की पार्टी के इस फैसले को गलत बताने वाले भी हैं। इलाके की स्कूली किताबों को छापने और उनमें सुधार करने वाली परिषद के अध्यक्ष फजल रहीम कहते हैं, सरकार के इस फैसले से मजहबी उन्माद को हवा मिलेगी और छात्रों के दिमागों में जहर भरेगा।पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए सड़क पर उतरे अमरीकी हिन्दूपिछले दिनों अमरीका और ब्रिटेन के कई हिन्दू संगठनों ने अपने अपने देशों में सड़क पर मोर्चे निकालकर पाकिस्तान में हिन्दुओं पर जारी दमन के खिलाफ आवाज उठाई। इन विरोध प्रदर्शनों में उन उन देशों में बसे आम हिन्दू नागरिकों ने भी भारी संख्या में भाग लिया। वाशिंगटन और न्यूयार्क स्थित पाकिस्तानी कोंसुलेट पर हुए प्रदर्शन में कई हिन्दू संगठनों, जैसे विश्व हिन्दू परिषद, भाजपा के सागरपारीय मित्र, ब्रुकलिन के प्रवासी, मिशिगन जस्टिस फॉर हिन्दूज, ह्यूमन राइट्स कोएलीशन अगेंस्ट रेडिकल इस्लाम, फ्रेंड्स ऑफ इंडिया सोसायटी इंटरनेशनल, वर्ल्ड हिन्दू काउंसिल ऑफ अमेरिका आदि ने भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति ओबामा से अपील की कि वे पाकिस्तान सरकार को वहां के अल्पसंख्यकों का दमन रोकने को कहें, अल्पसंख्यकों को ससम्मान जीने का हक दिलाएं। उधर लंदन में पाकिस्तान उच्चायोग के सामने 200 से ज्यादा लोगों ने प्रदर्शन में भाग लिया। उच्चायोग को एक ज्ञापन सौंपकर पाकिस्तान सरकार से पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओं की हिफाजत के लिए जल्दी से जल्दी कदम उठाने की मांग की गई। आलोक गोस्वामी
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