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कलकत्ता उच्च न्यायालय का फैसला
गत 2 सितम्बर को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए पश्चिम बंगाल सरकार को राज्य के हजारों इमामों और मुअज्जिनों को माहवार भत्ता देने से मना किया। उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अल्पसंख्यक वोटों को रिझाने के लिए इमामों को भत्ता देने की व्यवस्था बनायी थी। पिछले साल अप्रैल से इस व्यवस्था के तहत ममता बनर्जी की सरकार राज्य के 30 हजार से ज्यादा इमामों को 2500 रु. और 15 हजार से ज्यादा मुअज्जिनों को 1500 रु. प्रतिमाह देती आ रही थी।
कलकत्ता उच्च न्यायालय का यह निर्णय पिछले साल मई में दायर 4 जनहित याचिकाओं के जवाब में आया है। खंडपीठ ने पाया कि राज्य सरकार ने मुअज्जिनों को 1500 रु. प्रतिमाह देने का आदेश तक पारित नहीं किया था। इसलिए खंडपीठ का मानना था कि यह जनता के पैसे का अपव्यय करने जैसा ही है। उच्च न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया करते हुए इमाम बरकती ने कहा कि उच्च न्यायालय पूरे मामले को समझ ही नहीं पाया। उनका दावा था कि यह भत्ता सरकार नहीं, वक्फ बोर्ड दे रहा था। प्रतिनिधि
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