एक प्रण… स्वाधीनता, स्वाभिमान, समता की शपथें- दुहराने का क्षण! मातृभूमि पर तिल-तिल मिट जाने का क्षण! अमर शहीदों की पावन स्मृतियां दुलराने का क्षण! सीमा पर प्रति पल सजग सैनिकों को दलराने का क्षण! सूनी मांग, रिक्त गोद, सिसकती राखी सबको बहलाने का क्षण! देवभूमि के उजड़े चमन को लहलहाने का क्षण! मासूम कलियों, निर्दोष फूलों के ओठों की लुटी खुशी के मुसकाने का क्षण! नष्ट नीड़ों में सहमी- सहमी चिड़ियों को चहकाने का क्षण! भयाकुल नूपुरों के रुनझुनाने का क्षण! मन्दिरों में चुप-चुप घण्टियों के टिनटिनाने का क्षण! वन्देमातरण का महामंत्र गुनगुनाने का क्षण! देश की सीमाओं पर जगने-जगाने, भैरवी गाने मशाल सुलगाने का क्षण! यह क्षण स्वाधीनता, स्वाभिमान, समता की शपथें दुहराने का क्षण!
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