अरब लीग की त्योरियां चढ़ीं, सीरिया पर संकट के बादल
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पश्चिमी देशों की अगुआई करने वाले अमरीका ने सीरिया के राष्ट्रपति असद को रासायनिक हमले से सैकड़ों की संख्या में नागरिकों की मौतों का दोषी करार देते हुए मुट्ठियां भींंच ली हैं। आसार ऐसे बन गए हैं कि हमला किसी भी दिन हो सकता है। अमरीकी कांग्रेस की एक कमेटी ने सीरिया पर ‘सीमित’ हमला बोलने का प्रस्ताव भी पारित कर दिया है। राष्ट्रपति ओबामा के फैसले पर ब्रिटेन ने पहले ही मुहर लगाई हुई है। उधर सीरिया के पक्ष में कभी खुलकर बोलने वाला चीन नरम पड़ा है, पर रूस अब भी अमरीका को ठंड रखने की सलाह दे रहा है। इस बीच सीरिया की तरफ दो ‘मिसाइलों’ के दागे जाने की अपुष्ट खबरों ने सनसनी पैदा की हुई है। सीरिया में जिस कथित ‘सारीन’ के जानलेवा हमले की चर्चा है, बताते हैं, वह भारी मात्रा में पाकिस्तान ने भी जमा कर रखा है। एशिया महाद्वीप में इस खबर से चिंता जगनी स्वाभाविक ही है।
उधर अरब लीग ने भी सीरिया शासन द्वारा रासायनिक हथियार इस्तेमाल करने के ‘घिनौने जुर्म’ पर अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की पैरवी की है। 1 अगस्त को इजिप्ट की राजधानी कैयरो में इस संबंध में लीग के विदेश मंत्रियों ने प्रस्ताव पारित किया जो सीधे सीधे फौजी कार्रवाई की बात तो नहीं करता पर ‘कड़ा कदम’ उठाने की वकालत जरूर करता है। वैसे ओबामा की मंशा को लेकर लीगी नेताओं में दुविधा भी है। क्यों कि 31 अगस्त को ओबामा ने सीरिया पर फौजी कार्रवाई का प्रस्ताव रखने से अचानक हाथ पीछे खींच लिए थे। जबकि अरब लीग को फौरन हवाई हमला होने की उम्मीद थी। इससे इतर, सऊदी अरब और फारस की खाड़ी के राजतंत्रों ने तो ओबामा से पहले ही असद सरकार को सत्ता से बाहर करने वाला कोई ‘निर्णायक कदम’ उठाने की अपील की थी। कैयरो बैठक में गए सऊदी विदेश मंत्री युवराज सऊद अल-फैजल ने फौजी कार्रवाई की खिलाफत करने वालों को असद सरकार द्वारा सीरियावासियों की सामूहिक हत्या को शह देने वाले बताया।
अमरीका, अरब लीग और खाड़ी के देशों के तीखे तेवरों को देखते हुए राष्ट्रपति असद ने कहा कि ‘सीरिया आतंकवाद से लड़ रहा है और कोई विदेशी हमला हुआ तो भी इस लड़ाई को रोका नहीं जाएगा।’ उनके मुताबिक, सीरिया किसी भी बाहरी हमले के लिए तैयार है। उधर सीरिया से भारी तादाद में लोगों ने पलायन शुरू कर दिया है। अब तक 20 लाख से ज्यादा सीरियाई तुर्की के सरहदी इलाकों में पहुंच चुके हैं। इस बीच भारत सरकार ने तनाव को देखते हुए अपने नागरिकों से सीरिया न जाने को कहा है। यह सरकारी आदेश सीरिया-इराक सीमा पर बम धमाके में दो भारतीय नागरिकों के मारे जाने के बाद जारी किया गया है।
अफगानिस्तानी संसद में अब एक सीट हिन्दू-सिखों की
अफगानिस्तान में बसे करीब 4000 हिन्दू-सिखों को यह सुनकर थोड़ी राहत मिली कि वहां की संसद में अब एक सीट उनके प्रतिनिधि के लिय तय होने जा रही है। वहां के हिन्दू लंबे अर्से से भेदभाव और शोषण किए जाने की शिकायत करते आ रहे हैं। धुर मुस्लिम मोहल्लों में उन्हें दूसरे दर्जे के नागरिक होने का अहसास कराया जाता है। हिन्दुओं-सिखों की नाराजगी दूर करने के लिहाज से 4 सितम्बर को राष्ट्रपति हामिद करजाई ने एक अध्यादेश पेश किया जिसे संसद अपनी अगली बैठक में पारित करेगी। इसके बाद संसद के निचले सदन की मौजूदा सीटों की संख्या 249 से बढ़कर 250 हो जाएगी। अफगानिस्तान हिन्दू-सिख काउंसिल के उपाध्यक्ष रवैल सिंह ने इसे अच्छा कदम बताया है।
‘काबुलीवालेर बांगाली बोऊ’ की तालिबानियों ने की हत्या
भारतीय लेखिका सुष्मिता से चिढ़े हुए थे तालिबानी
5 सितम्बर को अफगानिस्तान के पाकतिका सूबे में तालिबानियों ने एक अफगानी से शादी करके वहीं बस गईं भारतीय लेखिका सुष्मिता बनर्जी की आखिरकार हत्या कर दी। विडम्बना है कि सुष्मिता ने जिन तालिबानियों के चंगुल से 1995 में बच निकलने की अपनी व्यथा-कथा पर उपन्यास ‘काबुलीवालेर बांगाली बोऊ’ लिखा था उन्हीं हत्यारों ने चिढ़कर सुष्मिता को उनके ही घर में गोलियों से भून दिया। 2003 में सुष्मिता के उसी उपन्यास पर बनी फिल्म ‘एस्केप फ्रॉम तालिबन’ में मनीषा कोइराला ने मुख्य
भूमिका निभाई थी।
पाकिस्तान में खुद को पैगम्बर बताने वाली महिला जेल में
लाहौर की सलमा फातिमा अड़ोसी-पड़ोसियों को मजहबी तावीज-टोटके ही देती रहती तो कुछ नहीं होता, पर एक दिन जाने उसे क्या सूझा, उसने खुद को पैगम्बर बताना शुरू कर दिया। अब पाकिस्तान जैसे कट्टर सुन्नी देश में यह पैगम्बर को कमतर दिखाना नहीं तो क्या था? लिहाजा फातिमा के दरवाजे पर गुस्साए कठमुल्ले जमा होने लगे। देखते ही देखते पुलिस आ गई और ईश-निंदा के आरोप में उसे धर लिया गया।
लाहौर की घनी आबादी वाले गुलबर्ग इलाके की फातिमा ने 2 सितम्बर को मोहल्ले में खुद को ‘खुदा’ बताते हुए पर्चे बांटे थे। पुलिस कहती है, ‘यह खुदा की शान में जुर्म ही तो था।’ पर्चे पढ़कर पड़ोस के लोग तिलमिलाते हुए फातिमा के घर के बाहर मजमा लगाने लगे, पुलिस बुलाई गई। हिंसा पर उतारू लोगों को पुलिस ने काबू किया और उस महिला को धर लिया। पुलिस के आला अफसर मानते हैं कि वह कोई सिरफिरी नहीं है। इतना ही नहीं, फातिमा के शौहर को भी कैद करके पूछताछ की जा रही है। आलोक गोस्वामी
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