भटकल पकड़ा गया
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भारत में कई आतंकी हमलों और बम धमकों का मुख्य आरोपी जिहादी यासीन भटकल आखिरकार बिहार-नेपाल सीमा से गिरफ्तार कर लिया गया। केन्द्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने पुष्टि की है कि हैदराबाद और मुम्बई बम धमाकों के मुख्य आरोपी मोहम्मद अहमद उर्फ यासीन भटकल को 28 अगस्त की रात पकड़ा गया था। भारत की गुप्तचर एजेंसियों को कर्नाटक के तटीय शहर भटकल के रहने वाले 30 साल के इस कुख्यात आतंकी की एक लंबे अर्से से तलाश थी। यह वही आतंकी है जिसने इंडियन मुजाहिदीन नाम के आतंकी गुट को खड़ा किया हैं। अपने चचेरे भाइयों, रियाज और इकबाल के साथ मिलकर वह भारत में आतंकी हमलों को अंजाम देता आ रहा था।
भटकल को इंडियन मुजाहिदीन के एक और आतंकी असदुल्ला अख्तर के साथ पकड़ा गया है। बताया जाता है कि 2011 के मुम्बई बम हमलों का जिम्मेदार एक अन्य आतंकी वक्कास भी पकड़ा गया है। भटकल काफी समय से सउदी अरब अमीरात में छुपा था। माना जाता है कि पिछले दिनों पकड़े गए लश्करे तोइबा के आतंकी टुंडा से पूछताछ में भटकल का ठिकाना पता चला था। वह अपने पास पाकिस्तानी पासपोर्ट रखता था।
यह भटकल ही है जिसने आजमगढ़ और दरभंगा में इंडियन मुजाहिदीन के अड्डे जमाए थे, गुजरात से लेकर महाराष्ट्र तक में हुए आतंकी हमलों का प्रशिक्षण दिया था और सामान जुटाया था। दिल्ली में हुए धमाकों में भी उसी का हाथ होने का शक है। 2008 में उसे जाली मुद्रा के मामले में कोलकाता में पकड़ा गया था लेकिन तालमेल की कमी के चलते कोलकाता पुलिस उसकी ठीक से शिनाख्त नहीं कर पाई और जब तक दिल्ली पुलिस पहुंचती वह चकमा देकर भाग निकलने में कामयाब हो गया था। उसके बाद वह बंगलादेश होते हुए कराची जा पहुंचा था। राष्ट्रीय गुप्तचर एजेंसी का मानना है कि 2010 में उसी ने पुणे में बेस्ट बेकरी पर बम लगाया था जिसके धमाके में 17 लोगों की जान गई थी। 13 जुलाई 2011 को भटकल ने अपने तीन आतंकी साथियों की मदद से मुम्बई में आॅपेरा हाउस, जवेरी बाजार और दादर में बम धमाके किए थे जिनमें 27 लोग मारे गए थे और 130 घायल हुए थे। भटकल से दिल्ली में पूछताछ के बाद और कई आतंकी कार्रवाइयों की कलई खुलने की उम्मीद है।
उधर 28 अगस्त को ही हैदराबाद की एक अदालत ने अगस्त 2007 में हुए दो बम विस्फोटों के लिए इंडियन मुजाहिदीन के चार आरोपियों-शफीक सैयद, अंसार अहमद, मोहम्मद सादिक और इस्माइल चौधरी-के खिलाफ मामले तय कर दिए। इस धमाकों में 42 मासूमों की जान गई थी।
मणिपुर में घुस आए म्यांमारी सैनिक
पाकिस्तान और चीन की तरफ से सीमा अतिक्रमण की लगातार होती घटनाओं की बीच, पता चला है कि मणिपुर में म्यांमार के सैनिक आ गए थे और उन्होंने वहां आधार शिविर बनाने की कोशिश की थी। सैनिकों की यह घुसपैठ चंदेल जिले के मोरे पुलिसथाने से करीब 5 किमी़ दूर हुई थी। बताया जाता है कि म्यांमार सेना की 87 लाइट इंफ्रेंट्री के कुछ सैनिक सीमांत गांव होलेंफाई में आधार शिविर जमाने की तैयारी कर रहे थे। यह गांव राज्य की राजधानी इंफाल से 100 किमी दूर है। म्यांमार सैनिकों की इस घुसपैठ को सबसे पहले गांव के मुखिया लालखोलुन हॉकिप ने तब देखा जब वे पिछले हफ्ते अपने इलाके का मुआयना कर रहे थे। म्यांमारियों का कहना था कि जहां वे काम कर रहे हैं वह उनका इलाका है और उन्हें ऊपर से आदेश हैं यहां आधार शिविर बनाने के। 26 अगस्त को गांव के पास भारत और म्यांमार के सैन्य अधिकारियों की इस बाबत बात हुई और भारत की पूर्वी कमान की मानें तो म्यांमारियों ने वहां जंगल काटने वगैरह का काम रोक दिया है।
लेकिन कुल मिलाकर इसमें म्यांमार की शरारत झलकती है, क्योंकि वहां के सैनिकों ने जो नक्शा दिखाया था उसमें वह गांव उनके इलाके में दिखाया गया था। लिहाजा, इस इलाके में म्यांमार की घुसपैठ की घटनाएं बढ़ सकती हैं।
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