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कालीकट विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में आतंकी की कविता
कालीकट विश्वविद्यालय में बीए के पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाने वाली किताब को लेकर इन दिनों केरल में भारी आक्रोश देखने में आया है। इसको लेकर एक बड़ा विवाद उठ खड़ा हुआ कि आखिर अलकायदा से जुड़े एक बड़े आतंकी की लिखी कविता विश्वविद्यालय की पाठ्यपुस्तकों में जगह कैसे पा गई? पिछले काफी समय से यह कविता पढ़ाई जाती रही है, लेकिन हाल ही में लोगों का ध्यान इस ओर गया। ऊपरी तौर पर यह कविता सामान्य कविताओं जैसी ही दिखायी देती थी। लेकिन इसका सारा रहस्य इसके लेखक के नाम में छिपा था। इसका लेखक था इब्राहिम अल-रुबाइश उर्फ इब्राहिम सुलेमान मोहम्मद अरबाइश। यह आदमी सऊदी नागरिक है और इस पर आतंकवाद के गंभीर आरोप लगे हुए हैं।
इस कविता की असलियत जैसे ही उजागर हुई तो हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों जैसे- रा.स्व.संघ, विहिप, अभाविप और विद्या भाषा संरक्षण समिति ने इसके विरुद्ध आवाज मुखर की। अभाविप ने विश्वविद्यालय से जुड़े तमाम कालेजों में धरने प्रदर्शन किये। आन्दोलन तेज होता देख विश्वविद्यालय के कुलपति डा. अब्दुल सलाम ने कार्यकर्ताओं को जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई करने का भरोसा दिया। आखिरकार, जबरदस्त दबाव के आगे विश्वविद्यालय को झुकना पड़ा और कविता को पाठ्यक्रम से हटाया गया। जांच समिति का अध्यक्ष बनाया गया था भाषा और साहित्य संकाय के डीन एम.एम. बशीर को। उनकी जांच में पाया गया कि ह्यलेखक की पृष्ठभूमि विवादित और डिग्री के पाठ्यक्रम में यह कविता नैतिक मूल्यों के विरुद्ध है। अत: इस कविता को किताब में से निकालना बेहतर होगाह्ण।
ऐसे राज्य में जहां तथाकथित सेकुलर दलों की ज्यादा सुनी जाती है, इसे मुसलमानों को बरगलाने का मौका जानकर माकपा और मुस्लिम लीग ने कुछ मानवाधिकारवादी तत्वों के साथ मिलकर कविता को हटाये जाने में ह्यहिन्दू फासीवादियों का हाथह्ण देखा। उनके अनुसार, ह्यमहत्वपूर्ण थी कविता न कि उसका लेखक। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकताह्ण।
कविता का लेखक इब्राहिम अल-रुबाइश उर्फ इब्राहिम सुलेमान मोहम्मद अरबाइश अलकायदा का आतंकी बताया जाता है जो अरब में अब भी सक्रिय है। अन्तरराष्ट्रीय मीडिया में रुबाइश को सऊदी अरब में अलकायदा का ह्यमजहबी विचारकह्ण बताया जाता है। उसे 2001 में अमरीकी सेना ने पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा से पकड़कर 5 साल तक ग्वाटेनामो बे जेल में कैद रखा था। वह दुनियाभर में आतंक फैलाने के आरोप में पकड़े गये 85 आतंकियों में से एक था। 2006 में उसे सऊदी अरब जेल में भेज दिया गया था जहां से वह 2009 में भाग निकला था।
किताब में छपी कविता, बताते हैं, रुबाइश ने अपनी ग्वाटेनामो बे जेल में कैद के दौरान लिखी थी, जिसे अमरीकी सरकार के दिये उसके वकील उसे बाहर लाये थे। फिलहाल वह अलकायदा के अड्डे में रहता है और जरूरत पड़ने पर अभियानों की अगुआयी करता है।
इस मामले के संदर्भ में भाजपा नेता श्रीधरन पिल्लई पूछते हैं कि क्या बिन लादेन की लिखी किसी कविता को भी विश्वविद्यालय अपनी किताब में छाप देगा? समझ नहीं आता यह कविता पाठ्यक्रम का हिस्सा कैसे बन गयी।
यह हैरानी की बात नहीं कि कविता के पक्ष में बोलते हुए माकपा और मुस्लिम लीग ने कुलपति पर हमले बोले। कुछ साल पहले स्कूल की किताबों में शामिल सम्मानित मलयालम कवि महाकवि अक्कितम की कविता की काट-छांट इन्हीं तत्वों द्वारा इस्लामी साम्प्रदायिक तत्वों को खुश करने के लिए की गयी थी। पिछले साल एक किताब को पाठ्यक्रम से महज इसलिए हटा दिया गया था क्योंकि इसमें मालाबार पर टीपू सुल्तान के हमलों की जानकारी दी गयी थी। टीपू सुल्तान ने कितने ही मंदिर तोड़े और लूटे थे और केरल में इस्लामीकरण किया था। तिरुअनंतपुरम से प्रदीप कृष्णन
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