कन्याकुमारी नहीं देखा तो क्या देखा
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

कन्याकुमारी नहीं देखा तो क्या देखा

by
Aug 30, 2013, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 30 Aug 2013 16:22:53

इन दिनों स्वामी विवेकानन्द की 150वीं जयन्ती के अवसर पर देश-विदेश में अनेक कार्यक्रम हो रहे हैं। 11 सितम्बर (इसी दिन 1893  में स्वामी जी ने अमरीका में विश्व धर्म संसद को सम्बोधित किया था) को तो अमरीका से लेकर श्रीलंका तक अनेक कार्यक्रम हो रहे हैं। यदि आप चाहते हैं कि घूमना भी हो जाए और स्वामी विवेकानन्द से जुड़े किसी कार्यक्रम में भाग भी ले लें तो  आप दक्षिण भारत स्थित कन्याकुमारी जा सकते हैं। यहां  तीन सागरों के संगम स्थल पर समुद्र के भीतर स्थित एक विशाल शिलाखंड पर निर्मित स्वामी विवेकानंद शिला स्मारक को देखकर आप दांतों तले अंगुली दबा लेंगे। समुद्र तट से पचास फुट ऊंचाई पर निर्मित यह स्मारक  विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अपना नाम दर्ज करा चुका है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों लोग आते हैं। यह स्मारक  लगभग 73 हजार विशाल प्रस्तर खंडों से बना है। इस स्मारक के निर्माण में लगभग 650 कारीगरों ने 2081 दिनों तक रात-दिन श्रमदान किया था।
आगे बढ़ने से पहले इस स्मारक की पृष्ठभूमि को जान लेते हैं। उल्लेखनीय है कि 1886 में अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस के निधन के बाद स्वामी विवेकानन्द ने चार वर्ष तक अपने गुरु भाइयों का  नेतृत्व किया। अपने गुरु भाइयों को संन्यास पथ पर अडिग करके 1890 में विवेकानन्द भारत भ्रमण के लिए निकल गए। अपने देश वासियों की हालत देखकर वे तड़प उठे। यात्रा के अंत में वे कन्याकुमारी पहुंचे। कहा जाता है कि कोई शक्ति उन्हें समुद्र में  तैराकर शिला पर ले गयी। वहां वे तीन दिन तक ध्यान में जमे रहे। वहीं उनके मन में भारत तथा भारत के माध्यम से पूरी मानव जाति का उद्घार करने की एक योजना उभरी। उस योजना के अन्तर्गत ही आज भी रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन काम कर रहे हैं।
1963 में स्वामी विवेकानन्द के जन्म शताब्दी वर्ष में इस शिला पर स्मारक बनाने का विचार आया। इस निमित्त अखिल भारतीय विवेकानंद शिला स्मारक समिति का गठन किया गया। इस स्मारक के निर्माण का दायित्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता एकनाथ जी को जुलाई 1963 में दिया गया। एकनाथ जी ने सभी विरोधों और अवरोधों को समाप्त करके शिला स्मारक के मार्ग को साफ किया। एकनाथ जी ने अनुभव किया कि स्मारक निर्माण के लिए तमिलनाडु सरकार की अनुमति पाने से पहले केन्द्र सरकार की सहमति प्राप्त करना आवश्यक है। इसके बाद उन्होंने इस दिशा में काम करना शुरू किया और उन्हें सफलता मिल गई। सरकारी अड़चनों के बाद सबसे बड़ी समस्या थी इस स्मारक के लिए पैसा इकट्ठा करना। किन्तु एकनाथ जी का व्यक्तित्व ही ऐसा था कि इस काम के लिए उन्हें सभी वगोंर् के लोगों और सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का सहयोग मिला।
 एकनाथ जी ने प्रत्येक राज्य सरकार को इस स्मारक के लिए न्यूनतम एक लाख रुपये की राशि देने के लिए मना लिया। नागालैण्ड, सिक्किम जैसे छोटे राज्यों और जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला से भी उन्होंने यह राशि प्राप्त की। इसके अलावा आम लोगों से भी इस स्मारक के लिए सहयोग मांगा गया। लोगों ने भी दिल खोल कर मदद की। इस तरह स्मारक के लिए एक करोड़ पैंतीस लाख रुपए इकट्ठे हुए।  इसके बाद युद्घ स्तर पर स्मारक का निर्माण कार्य शुरू हुआ। करीब छह साल में यह स्मारक बना और 2 सितम्बर, 1970 को इसका औपचारिक उद्घाटन हुआ।
कन्याकुमारी  तमिलनाडु राज्य में समुद्र के तट स्थित एक मनोरम स्थल है। यहां हिन्द महासागर, बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर का संगम स्थल है। ये सागर अपने विभिन्न रंगों से मनोरम छटा बिखेरते हैं। भारत के सबसे दक्षिण छोर पर बसा कन्याकुमारी वर्षो से कला, संस्कृति, सभ्यता का प्रतीक रहा है। भारत के पर्यटक स्थल के रूप में भी इस स्थान का अपना ही महत्च है। दूर-दूर फैले समुद्र के विशाल लहरों के बीच यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा बेहद आकर्षक लगता हैं। कन्याकुमारी में अनेक मन्दिर भी हैं।
दिल्ली सहित अनेक जगहों से कन्याकुमारी तक रेलगाड़ी जाती है। कन्याकुमारी के लिए निकटतम हवाई अड्डा है त्रिवेन्द्रम। त्रिवेन्द्रम से मात्र डेढ़ घंटे में आप सड़क मार्ग या रेल मार्ग से कन्याकुमारी जा सकते हैं।
 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies