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नई दिल्ली में '2020 का भारत और भविष्य की चुनौतियां' पर गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा
गत 24 अगस्त को नई दिल्ली में डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध अधिष्ठान द्वारा '2020 का भारत और भविष्य की चुनौतियां' विषय पर एक गोष्ठी आयोजित की गई। इसके मुख्य वक्ता थे राज्य सभा में विपक्ष के नेता और शोध अधिष्ठान के अध्यक्ष श्री अरुण जेटली। गोष्ठी के शुरू में अधिष्ठान के सचिव एवं उड़ीसा भाजपा के सह प्रभारी श्री अरुण सिंह ने अधिष्ठान के कार्यक्रमों की जानकारी दी। इसके बाद भाजपा के महासचिव श्री रामलाल ने अपनी प्रस्तावना में डा. कलाम के 'विजन 2020' को शामिल करते हुए कहा कि 19वीं एवं 20वीं सदी किसी की भी रही हो लेकिन 21वीं सदी भारत की ही होगी। एक समय में भारत विश्व गुरु और सोने की चिडि़या था। यह उपलब्धि उसे हथियारों के आधार पर नहीं बल्कि ज्ञान के आधार पर प्राप्त हुई थी और आगे भी ऐसा ही होगा।
श्री अरुण जेटली ने कहा कि डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने राष्ट्र सेवा के लिए अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया था । उनका व्यतित्व ऐसा था कि अगर वे राजनीतिक और सामाजिक जीवन में नहीं भी आते तो भी वे प्रतिष्ठित होते। उन्होंने छोटे जीवन में बड़ा प्रभाव छोड़ा था।
श्री जेटली ने महिलाओं के प्रति अत्याचार पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जब इस सदी की शुरुआत हुई तो कल्पना कि गयी कि हम आगे 20 वषोंर् की यात्रा कैसे पार करेंगे। भारत ने इस सदी की शुरुआत अच्छी की और ऐसा सोचा गया था कि ब्रिक्स संगठन, जिसका सदस्य भारत भी है, 2050 तक यूरोपियन यूनियन और अमरीका का वर्चस्व तोड़ देगा। लेकिन ऐसा नहीं लगता। उन्होंने कहा कि पिछले 9 वषोंर् की भारत की यात्रा व्यर्थ ही रही है। भष्टाचार, महंगाई, आंतरिक सुरक्षा, विदेश नीति, हर मोर्चे पर पिछले 9 सालों में हम विफल हुए हैं, जिसके कारण आने वाले वषोंर् में हमारी चुनौतियां बढ़ गयी हैं। श्री जेटली ने वर्तमान परिप्रेक्ष्य का हवाला देते हुए कहा, पिछले 9 वषोंर् में नीति निर्माण के कायोंर् को लकवा मार गया है, जिसके परिणामस्वरूप रोजगार, बुनियादी ढांचे, आर्थिक, सामाजिक, निवेश सभी का कार्य ठप्प पड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा कि विगत वषोंर् में हुए भ्रष्टाचार से नुकसान की कीमत देश की जनता ने चुकाई है। उन्होंने रुपए के गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार की नीतियों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि आज देश की अर्थव्यवस्था में कोई आकर्षण नहीं है, जिससे देशी एवं विदेशी निवेश प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि आज सरकार की कार्यशैली ने निवेशक और जनमत दोनों का भरोसा तोड़ दिया है। इस सरकार से लोगों का विश्वास भी उठ गया है। जब-जब इसे देश को संवारने की जिम्मेदारी दी गई तो इसने घपला किया। उन घपलों के सबूत मिटाकर अपराध किया, न्यायपालिका को गुमराह किया और संसदीय जवाबदेही की उपेक्षा की।
श्री जेटली ने अपने भाषण में दो क्षेत्रों, वनवासी और पूर्वी भारत का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज भी संसाधनों का लाभ वनवासी लोगों को नहीं मिला है। साथ ही पूर्वी भारत आज तक राजमार्ग और रेल दोनों से वंचित रहा है। आगे उन्होंने जम्मू-कश्मीर का जिक्र करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद की सोच से अलग सोच रखने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। जिन्होंने खुद को इस सोच से दूर रखा है ऐसे लोगों के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के बारे में नेहरू और डॉ. मुखर्जी की नीतियों की विवेचना करते हुए कहा कि इतिहासकारों को इन दोनों की नीतियों पर विचार करना चाहिए।
श्री जेटली ने संप्रग सरकार की आंतरिक और विदेश, दोनों नीतियों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने माओवाद के फैलते आकार पर चिंता जताई और कहा कि माओवादी कोई समाज सुधारक नहीं हैं और इनको परास्त करने के लिए कड़े कानून की जरूरत है। विदेश नीति पर उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान और चीन के संदर्भ में हमारी विदेश नीतियां विफल हुई हैं वह चिंतनीय है। उन्होंने चीन के संदर्भ में कहा कि कोई जीवित राष्ट्र अपनी भूमि के साथ समझौता नहीं कर सकता। चीन ने दूसरे देशों के साथ तो सीमा विवाद हल कर लिया है। श्री अटल बिजारी वाजपेयी ने बीजिंग में सीमा विवाद के हल को लेकर एक समझौता किया था, लेकिन वर्तमान सरकार ने इस समझौते को अधर में लटका दिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और भारत के आपसी संबंधों को बिगाड़ने वाली ताकतें भारत में मौजूद न होकर पाकिस्तान में मौजूद हैं। उन्होंने जिहादी ताकतों की चर्चा करते हुए कहा कि पिछले दिनों किश्तवाड़ में घटी घटना वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित थी।
इस अवसर पर डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध प्रतिष्ठान के निदेशक डा. अनिर्बन गांगुली सहित अनेक प्रमुख लोग उपस्थित थे। प्रतिनिधि
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