विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक श्री अशोक सिंहल ने कहा-
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उत्तर प्रदेश सरकार की संतों द्वारा निकाली जाने वाली 84 कोसी यात्रा पर रोक लगाने संबंधी कार्रवाई की कड़ी भर्त्सना करते हुए विहिप के संरक्षक श्री अशोक सिंहल ने कहा कि यह हिन्दुओं के अधिकारों का हनन है, जिसका लोकतांत्रिक मार्ग से विरोध किया जाएगा। गत 20 अगस्त को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए श्री सिंहल ने संतों और मुलायम सिंह यादव व मुख्यमंत्री अखिलेश के बीच हुई बैठक की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 17 अगस्त, 2013 को श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण सन्त उच्चाधिकार समिति की बैठक के बाद 11 सदस्यीय सन्तों का प्रतिनिधिमण्डल श्री मुलायम सिंह यादव एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश सिंह से मिलने उनके निवास स्थान पर गया था। श्री मुलायम सिंह के साथ दो घण्टे तक वार्ता चली। चीन और पाकिस्तान के आक्रामक रवैयों के कारण सन्तगण यह 84 कोसी यात्रा स्थगित करें, ऐसा श्री मुलायम सिंह ने संकेत दिया। इस पर सन्तों ने कहा कि 84 कोसी यात्रा की तिथियां निश्चित हैं, चैत्र मास में ही यह यात्रा निकलती है और कोई नई परम्परा नहीं डाली जा सकती।
श्री मुलायम सिंह ने प्रतिनिधि मण्डल से कहा कि वे स्थानीय अधिकारियों से सलाह करके यह यात्रा हो सके, इसका प्रयत्न करेंगे। वार्ता में प्रतिनिधिमण्डल को ऐसा कभी भी आभास नहीं हुआ कि वे इस यात्रा के विरुद्घ हैं अथवा इस पर किसी भी प्रकार की रोक लगाई जाएगी। सन्त पूर्ण आश्वस्त थे कि यह यात्रा शान्तिपूर्ण ढंग से निकाली जा सकेगी। किन्तु कल की सरकारी विज्ञप्ति से आश्चर्य हुआ कि ऐसी कौन सी बात आ गई जिससे श्री मुलायम सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के विचार अचानक पलट गए और इस यात्रा को रोकने के लिए जिन-जिन जिलों में 84 कोसी यात्रा के पड़ाव पड़ रहे हैं, उन-उन जिलों में धारा 144 लगा दी गई। श्री सिंहल ने कहा कि सरकार का यह निर्णय न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि मुस्लिम वोट बैंक के मद्देनजर हिन्दू समाज के दमन का है। इसमें कोई शंका नहीं है कि हिन्दू धार्मिक भावनाओं का दमन वे अपनी पार्टी के अन्तर्गत मुस्लिम नेताओं के दबाव के कारण ही कर रहे हैं।
श्री मुलायम सिंहऔर कांग्रेसी नेताओं के द्वारा बार-बार यह कहा जाता रहा है कि अदालत के निर्णय की प्रतीक्षा करनी चाहिए। 60 वर्ष के बाद जब यह निर्णय आ गया है कि ‘जहां आज रामलला विराजमान हैं वही उनका जन्मस्थान है’ तो श्री मुलायम सिंह का यह कर्तव्य बनता था कि मुस्लिम मजहबी नेताओं द्वारा दिए गए वचनों का पालन करवाते जिसमें उन्होंने यह वचन दिया था कि ‘यदि यह सिद्घ हो जाता है कि यह ढांचा हिन्दू मन्दिर को तोड़कर उसके स्थान पर बनाया गया है तो वे अपना दावा वापस ले लेंगे।’ ऐसा न करते हुए श्री मुलायम सिंह का इस यात्रा का विरोध करना हिन्दू समाज के संवैधानिक अधिकारों का हनन ही नहीं है बल्कि हिन्दू समाज के साथ धोखा भी है। अब हिन्दू समाज इसे सहन करने को तैयार नहीं है। यह धार्मिक यात्रा देश के सभी प्रान्तों के सन्तों द्वारा सम्पन्न हो रही है। यह यात्रा यथावत चलेगी क्योंकि यह सन्तों का आदेश है। सन्तों की धार्मिक भावनाओं को सरकारीआदेशों से कुचलने के पहले उन्हें पुन: अपने निर्णय पर विचार करना चाहिए, ऐसा हमारा श्री मुलायम सिंह यादव एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव से अनुरोध है। यदि वे ऐसा नहीं करते तो हिन्दू समाज अपने अधिकारों की रक्षा के लिए शान्तिपूर्ण लोकतांत्रिक मार्ग से संघर्ष के लिए तैयार रहे। ल्ल प्रतिनिधि
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