|
प्यारी-प्यारी मेरी बहना,
माना करती सबका कहना।
घर में मां का हाथ बंटाए,
पापा पर बलिहारी जाए।
भइया के वह लाड लड़ाती, घड़ी-घड़ी दिखती मुस्काती।
जमकर अपनी करे पढ़ाई,
पास न लाती कभी बुराई।
कपड़े पहने ढीले-ढाले,
बोल बोलती मधुर-निराले।
शिक्षक उसको बहुत चाहते,
सभी पड़ोसी भी सराहते।
मेलजोल में सदा रहे रत,
मेलजोल जीवन की दौलत।
घमंडीलाल अग्रवाल
टिप्पणियाँ