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० गुर्दे का दर्द: गुर्दे में दर्द हो तो अल्ट्रासाउन्ड करवा लेना चाहिए। यदि सुविधा न हो तो दर्द निवारण हेतु मकई के भुट्टे के अन्दर की जुल्फों (सफेद-सफेद बाल) को तोड़कर (15-20 ग्राम) एक गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाये तो छानकर गरम-गरम पी लें। दिन में 2-3 बार सेवन करने से गुर्दा दर्द दूर हो जाता है। अथवा 10-10 ग्राम गोखरू चूर्ण मिश्री मिलाकर सुबह-शाम 5-6 दिन पानी से लें।
० टी.बी.: टीबी के मरीजों को 10ग्राम गाय का मक्खन और 20 ग्राम शहद मिलाकर प्रात:-सायं कुछ दिन लेने से टीबी में बहुत फायदा होता है। रोज सूर्य की रोशनी में बैठकर तेल मालिस करें, स्त्री रमण न करें।
० तिल्ली का बढ़ना : जब तिल्ली बढ़ जाए तो बड़ी हरड़ के छिलके को पीस कर रख लें। 5-5 ग्राम चूरण गुड़ मिलाकर खाकर ऊपर से पानी पी लें। यह नुस्खा प्रात: सायं 3-5 दिन करें तिल्ली ठीक हो जायेगी।
० दमा (अस्थमा) : अस्थमा की परेशानी हो तो दुधी (एक पौधा) का दूध एक-एक चम्मच सुबह-शाम पानी से एक से दो सप्ताह लेने से लाभ होता है। दुधी का पावडर/चूर्ण 10 ग्राम लेकर 2 कप पानी में उबालकर एक कप रहने पर ठंडा करके पीएं। (सुबह-शाम 7-14 दिन)
० दाद : पुरानी से पुरानी दाद हो बारूद के बुरादे को नींबू रस में पीसकर दाद में सुबह-शाम कुछ दिन लगाने से दाद नदारद हो जाती है। या नौशादर को नीबू रस में पीस कर लगाएं
० दिल के रोगी : दिल के रोगियों के लिए एक बहुत असरदार नुस्खा है। अर्जुन की छाल का चूर्ण तथा समभाग गेहूं का सत मिलाकर देशी घी में हल्का सा भून लें (मन्द आंच में) तथा दवा से तीन गुना शुद्ध देशी शहद मिलाकर घोंटकर च्यवनप्राश की तरह अवलेह बना लें। रोज प्रात: सायं 5-10 ग्राम अवलेह खाकर क्रीम रहित दूध पीएं। इससे 3-4 माह में कालेस्ट्राल नियंत्रित हो जायेगा, नाड़ी सुचारू रूप से चलेगी और हृदय रोग ठीक हो जायेगा। आवश्यकतानुसार यह प्रयोग ज्यादा दिन कर सकते हैं।
० पीलिया : कुटकी चूर्ण 3 ग्राम में तीन गुनी मिश्री मिलाकर प्रात:-सायं (इतनी ही खुराक) पानी से 7 दिन लेने से पीलिया ठीक हो जाता है।
० बहरापन : 50 मिली बादाम तेल में 10 मिली तारपीन का तेल मिलाकर हिला लें तथा 4-5 बूंद दवा कान में डालकर रूई लगा लें। यह प्रयोग सुबह तथा रात्रि में सोने से पूर्व करें। कुछ दिन में ठीक सुनाई देने लगेगा।
ल्ल डा. भारत सिंह ह्यभरतह्ण
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