|
पक्षाघात होने का मुख्य कारण है मस्तिष्क में रक्त ले जाने वाली नलिकाओं में रुकावट। इस रुकावट के कई कारण हैं
l उच्च रक्तचाप l मधुमेह l धूम्रपान l रक्त में बढ़ी हुई वसा/चर्बी l हृदय रोग l कोकेइन इत्यादि मादक पदार्थों का सेवन l संघर्षयुक्त जीवनशैली l अत्यधिक आरामदायक जीवन व व्यायाम की कमी l खान–पान में विटामीन की कमी l मोटापा l वंशानुगत टी.बी.या अन्य संक्रमित रोगों का अनुचित या अधूरा उपचार।
पक्षाघात से बचाव का तरीका सहज नियमित रूप ये दवा का सेवन कर रक्तचाप पर नियंत्रण रखना चाहिए। वजन पर नियंत्रण रखने से, नियमित व्यायाम से, भोजन मंे नमक व चर्बी के परहेज से व नियमित जीवन-शैली से भी उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण रखा जा सकता है परन्तु दवा का सेवन नियमपूर्वक करना चाहिए। बहुत से लोग दवा तभी लेते हैं जब उन्हें लगता है कि रक्तचाप बढ़ गया है- यह सर्वथा अनुचित है। रक्तचाप बढ़ने के अधिकतर लोगों में कोई लक्षण नहीं होते- इसीलिए जिसे भी उच्च रक्तचाप का रोग हो उसे प्रतिदिन दवा का सेवन करना चाहिए। आजकल बहुत से योगी जन साधारण में यह प्रचार करते हैं कि योग से उच्च रक्तचाप सहित सभी रोगों का पूर्ण उपचार संभव है। योग करना निश्चय ही शरीर व मन दोनों के लिए हितकर है परन्तु साथ-साथ नियमित रूप से रक्तचाप-ब्लड प्रेशर की जांच कराते रहना चाहिए और यदि दवा छोड़ने के लंबे अंतराल के उपरांत भी रक्तचाप नहीं बढ़ता तो ही स्वयं को पूर्णतया रोग-मुक्त मानना चाहिए। सामान्यत: योग के नियमित अभ्यास से रक्तचाप कुछ तो कम होता है अपितु इसके साथ-साथ दवा का नियमित सेवन भी करते रहने होता है। बहुत से लोग योगाभ्यास प्रारंभ करते ही सब दवाएं बंद कर देते हैं व कहते हैं कि 'जब हमें कोई लक्षण नहीं तो रक्तचाप की जांच क्यों कराएं?' यह व्यवहार निश्चित तौर पर अवांछनीय है व इससे स्वयं को ही हानि होती है।
उच्च रक्तचाप के अलावा मधुमेह/शुगर की बीमारी से भी हृदय-रोग व पक्षाघात होने की संभावना बढ़ जाती है। शुगर की नियमित जांच, दवाओं के नियंत्रित सेवन व भोजन में उचित परहेज से मधुमेह को नियंत्रण में रखा जा सकता है। जितना अच्छा नियंत्रण होगा, उतनी ही कम संभावना होगी पक्षाघात होने की। मीठे के परहेज के साथ-साथ तली हुई चीजों- मक्खन, मलाई, घी आदि पदार्थों का सेवन भी कम करना चाहिए। भोजन में पत्तेदार व हरी सब्जियां, फल व पानी की मात्रा पर्याप्त होनी चाहिए। नियमित व्यायाम व अत्यधिक आरामदायक जीवनशैली के परित्याग से भी मधुमेह व उच्च रक्तचाप के रोगी स्वस्थ रह सकते हैं। दिनचर्या में नियम व धैर्य से भी शरीर व मन चिंतामुक्त रहता है व पक्षाघात की संभावना को कम किया जा सकता है।
जिन्हें पहले पक्षाघात/हृदय रोग हो चुका हो, उन्हें तो उपरोक्त दिये हुए सुझावों को कुंजी मान कर चलना चाहिए व साथ ही नियमित रूप से दवाओं का सेवन करना चाहिए। इनमें मुख्यत: रक्त को पतला करने की दवा-एस्प्रिन के अलावा रक्तचाप व रक्त की चर्बी नियंत्रित करने वाली दवाइयां। जिन्हें टी.बी. या अन्य संक्रमित रोग हो उन्हें नियमित रूप से उचित दवा का सेवन करना चाहिए।
कई रोगियों में पक्षाघात अचानक होता है परन्तु अन्य लोगों में पक्षाघात से कुछ दिन/हफ्ते पहले कुछ चेतावनी के चिन्ह आने लगते हैं। इन चेतावनी-चिन्हों में कुछ मिनट/घंटे के लिए व्यक्ति के शरीर का एक हिस्सा/अंग कमजोर/सुन्न पड़ जाता है, या बोलने में रुकावट आने लगती है या कुछ कम दिखाई देने लगता है या चक्कर-उल्टी-चलने में लड़खड़ाहट के लक्षण होने लगते हैं। ऐसे लक्षण होते हैं जब मस्तिष्क की नलिका पूर्ण रूप से अवरुद्ध रहे। ये रुकावट स्वयं ही दूर हो जाती है व लक्षण ठीक हो जाते हैं। ये चिन्ह इस बात की चेतावनी देते हैं कि भविष्य में वही नलिका पूर्ण-रूप से बंद हो सकती है व समय रहते उचित चिकित्सा से ऐसा होने से रोका जा सकता है।
अतएव सही जानकारी, उचित जीवन शैली व नियमित जांच-उपचार से पक्षाघात व उसके दुष्परिणामों से बचा जा
सकता है। द डॉ. विभोर पारदासानी
टिप्पणियाँ