|
अगस्त का महीना शुरू होते ही आसमान पर रंग-विरंगी पतंगें दिखने लगती हैं। स्वंत्रता दिवस के दिन तो इतनी पतंगें उड़ाई जाती हैं कि पूरा आसमान रंगों का सरोवर-सा लगने लगता है। क्या पुरुष, क्या महिलाएं, क्या बच्चे सभी पतंग उड़ाने में मशगूल हो जाते हैं। बच्चे तो पतंग उड़ाने के लिए इतने आतुर रहते हैं कि वे इन दिनों सब कुछ भूलकर छत पर पहुंच जाते हैं। उन बच्चों को न तो खाने की सुध रहती है और न ही पीने की। बस उनकी एक ही चाहत रहती है पेंच लगाकर किसी की पतंग को काट गिराना। इसमें वे इतने डूब जाते हैं कि उन्हें यह ख्याल ही नहीं रहता है कि वे छत पर खड़े होकर पतंग उड़ा रहे हैं। इस कारण कई दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं। ऐसी हालत में माताएं अपने बच्चों का ध्यान रख सकती हैं। बच्चों को खुली छत पर बिल्कुल न जाने दें। वैसी ही छत पर बच्चों को पतंग उड़ाने दें जिसकी 'रेलिंग' की ऊंचाई बच्चों की ऊंचाई से अधिक हो। अच्छा तो यह होगा कि किसी बड़े की मौजूदगी में बच्चे पतंग उड़ायें। बच्चे दिन भर धूप में पतंग उड़ाते हैं और जोर की प्यास लगने पर फ्रीज से पानी की ठंडी बोतल निकालकर पानी पी लेते हैं। इस कारण सर्द-गर्म का असर होता है और बच्चे बीमार हो जाते हैं। इसलिए बच्चों को ऐसा न करने दें। जब शरीर का पसीना सूख जाए तभी पानी पीएं। माना जाता है कि पतंग का अविष्कार आज से करीब 2400 वर्ष पूर्व चीन में हुआ था। चीन, कोरिया, थाईलैंड होते हुए पतंग भारत पहुंची है। देश के कई राज्यों में पतंग महोत्सव होता है। द
टिप्पणियाँ