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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने को सेकुलर सिद्ध करने के लिए बोध गया मन्दिर के सन्दर्भ में अंग्रेजों के जमाने से चल रहे कानून को भी बदल दिया है। उल्लेखनीय है कि अब तक गया का हिन्दू जिलाधिकारी बोधगया मन्दिर प्रबंधन समिति का अध्यक्ष होता था। यदि जिलाधिकारी हिन्दू नहीं होता था तो सरकार जिलाधिकारी के समकक्ष किसी अन्य हिन्दू अधिकारी की नियुक्ति अध्यक्ष पद के लिए करती थी। किन्तु 30 जुलाई को बिहार विधान सभा ने बोधगया मन्दिर प्रबंधन विधेयक को पारित कर दिया है। मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने इस विधेयक का विरोध किया। अब चाहे गया का जिलाधिकारी किसी भी समुदाय का हो वही मन्दिर प्रबंधन समिति का अध्यक्ष होगा। बोधगया प्रबंधन समिति में अध्यक्ष के अलावा आठ सदस्य होते हैं। इनमें से चार हिन्दू और चार बौद्ध होते हैं। नीतीश कुमार ने इस संशोधन को सही बताते हुए कहा है कि जिलाधिकारी सरकारी पद होता है उसका किसी मजहब से कोई नाता नहीं होता है। किन्तु आमलोगों का मानना है कि नीतीश कुमार ने यह संशोधन अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए किया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि इसी तरह के संशोधन किसी अन्य मजहब से जुड़े कानूनों में क्यों नहीं किये जाते हैं? कानून सिर्फ शांतिप्रिय हिन्दुओं और बौद्धों के लिए ही क्यों बनाए
जा रहे हैं? प्रतिनिधि
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