सांसद झूठे या हस्ताक्षर?
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गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को वीजा न दिए जाने के संबंध में अमरीका को लिखे पत्र पर हस्ताक्षर से कई सांसदों का इंकार
पाञ्चजन्य ब्यूरो
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के बढ़ते कद से डरी कांग्रेस उनकी छवि बिगाड़ने के लिए लगातार तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है। लेकिन जो जाल वह नरेन्द्र मोदी को फांसने के लिए फेंकती है उसमें वह खुद ही फंस जाती है। इस बार भी कांग्रेस अपने ही फेंके जाल में फंसती दिख रही है। ताजा मामला 65 सांसदों द्वारा अमरीका को नरेन्द्र मोदी को वीजा न दिए जाने के संबंध में भेजे गए पत्र का है। इन सांसदों में कांग्रेस के अलावा अन्य दलों के सांसद भी हैं। जैसे ही मामले ने तूल पकड़ा इन सांसदों में से अनेकों हस्ताक्षर करने की बात से कन्नी काटते नजर आ रहे हैं। यहां सवाल उठता है, आखिर झूठा है कौन। वह सांसद जिन्होंने पत्र पर हस्ताक्षर किए? या फिर वह हस्ताक्षर? यदि हस्ताक्षर झूठे हैं तो यह बहुत ही गंभीर मामला है। आखिर कैसे किसी ने राजकीय चिह्न लगे 'लैटरहैड' पर सांसदों के फर्जी हस्ताक्षर करके अमरीकी प्रशासन को पत्र भेज दिया। और यदि सांसद झूठ बोल रहे हैं तो वह किस दबाव में झूठ बोल रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी के लोहरदगा (झारखण्ड) से सांसद सुदर्शन भगत ने लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को पत्र लिखकर हस्ताक्षर में फर्जीवाड़े की जांच की मांग की थी। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने जांच के आदेश दे दिए हैं। साथ ही द्रमुक प्रमुख करुणानिधि ने भी कहा है कि यदि उनकी पार्टी के किसी सांसद ने पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं तो उस पर कार्रवाई होगी।
बीते दिनों भारत के 65 सांसदों के हस्ताक्षर वाला पत्र अमरीकी प्रशासन को यह कहते हुए फैक्स किया गया कि नरेन्द्र मोदी को वीजा न दिया जाए। लेकिन जैसे ही मामला गर्माया पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले अनेक सांसद पत्र पर हस्ताक्षर करने की बात से मुकर गए। माकपा के सीताराम येचुरी, भाकपा के अच्युतन, द्रमुक के केपी रामालिंगम, राकांपा की वंदना चह्वाण, संजीव नायक, कांग्रेस के एम राव कोवासे, अनिल लाड और जयंत राव अवाले ने कहा कि उन्होंने ऐसे किसी पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए। कांग्रेस सांसद प्रदीप भट्टाचार्य और जॉय अब्राहम ने कहा कि उन्हें याद नहीं कि उन्होंने पत्र पर हस्ताक्षर किए थे या नहीं।
अनेक सांसदों द्वारा पत्र पर हस्ताक्षर करने की बात से इंकार करने के बावजूद मुहिम के अगुआ मुहम्मद अदीब ने कहा कि सभी सांसदों के हस्ताक्षर सही हैं, लेकिन उनके साथ खड़ा होने वाला कोई नहीं है। मामला गर्माता देख कांग्रेस ने अपने को इस सबसे अलग कर लिया है।
कांग्रेस प्रवक्ता राज बब्बर ने कहा कि कांग्रेस को इससे फर्क नहीं पड़ता कि अमरीका मोदी को वीजा देता है या नहीं। कांग्रेस की ओर से कभी भी ऐसा कोई काम नहीं किया गया है। देश राजनीति से बड़ा है।
भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने आशंका जताई है कि यह कांग्रेस का षड्यंत्र है। वहीं भाजपा की अन्य प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कहा कि अगर कोई सांसदों के हस्ताक्षर का दुरुपयोग करता है तो उस पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। इस संबंध में कानून के जानकारों का कहना है कि फर्जी हस्ताक्षर करना आपराधिक मामला है। घटना के सामने आने के बाद विदेशी मीडिया द्वारा भारत की खिल्ली भी उड़ाई जा रही है।
राज्यसभा में मेरे सामने सीताराम येचुरी ने पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इस मामले में मैं किसी भी जांच का सामना करने के लिए तैयार हूं। अगर कोई समस्या है तो येचुरी को मुझसे संपर्क करना चाहिए था।
–मुहम्मद अदीब, मुहिम के अगुआ
इस बात की कल्पना ही नहीं की जा सकती कि भारतीय सांसद अमरीका से अंदरुनी मसले पर सहयोग करने की अपील करेंगे। ज्यादातर तो इस विचार मात्र से ही भड़क उठेंगे।
–वाशिंगटन पोस्ट (अमरीकी अखबार)
इन्होंने किया हस्ताक्षर करने की बात से इंकार
सीताराम येचुरी, अच्युतन, केपी रामालिंगम, वंदना चह्वाण, संजीव नायक, एम राव कोवासे सहित कुछ सांसदों ने इस बात का खंडन किया कि उन्होंने कभी ऐसे पत्र पर अपने हस्ताक्षर किए थे। जबकि प्रदीप भट्टाचार्य और जॉय अब्राहम ने कहा कि उन्हें याद नहीं कि उन्होंने पत्र पर हस्ताक्षर किए थे या नहीं।
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