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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व जिला कार्यवाह और भाजपा की राज्य ईकाई के सचिव वी. रमेश की दिनदहाड़े हत्या, पूरे राज्य में आक्रोश और गुस्सा, पिछले 18 महीने में 16 हिन्दू नेताओं–कार्यकर्ताओं की हत्या, भाजपा द्वारा बुलाया गया बंद अभूतपूर्व रूप से सफल, दलों की सीमा तोड़ सभी ने की निंदा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले ने परिजनों को बंधाया ढांढस और कहा– अब बर्दाश्त नहीं
एक बार फिर तमिलनाडु की धरती पर जिहादियों ने उत्पात मचाया और एक वरिष्ठ हिन्दू नेता की निर्मम हत्या कर दी। इस बार जिहादियों के निशाने पर आये भारतीय जनता पार्टी की राज्य ईकाई के सचिव वी. रमेश। पेशे से चार्टेड एकाउंटेंट रमेश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक समर्पित और जुझारू कार्यकर्ता थे। वे तमिलनाडु के सलेम जिले के 1987 से लेकर 1992 तक जिला कार्यवाह भी रहे। भाजपा में शामिल होने के बाद 52 वर्षीय रमेश ने सन् 2011 में सलेम के महापौर पद के लिए चुनाव भी लड़ा था, हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिल पाई थी। पर उनकी लोकप्रियता चारों तरफ दिखाई दी थी। वे एक कर्मठ कार्यकर्ता और समर्पित समाजसेवी के रूप में जाने जाते थे। उनकी किसी से शत्रुता भी नहीं थी। इसके बावजूद जिहादियों ने धारदार हथियारों से उन पर हमला बोल दिया और रमेश जी को मौत की नींद सुला दिया।
एक बार फिर एक हिन्दू नेता की हत्या पर पूरा तमिलनाडु इस समय उबाल पर है। चारों तरफ तीखी प्रतिक्रियाएं हो रही हैं। भारतीय जनता पार्टी की राज्य ईकाई द्वारा 22 जुलाई को तमिलनाडु बंद के आह्वान पर लोगों ने स्वेच्छा से अपनी दुकानें बंद रखी और बंद अभूतपूर्व रूप से सफल रहा। इसी दिन भाजपा कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह पर विरोध प्रदर्शन किए और राज्य सरकार से वी. रमेश की हत्या की जांच किसी निष्पक्ष और समक्ष एजेंसी कराने की मांग की।
यह पहला मौका जब न केवल भाजपा बल्कि अन्य दलों के नेताओं ने भी हत्या पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमती निर्मला सीतारमन ने वी. रमेश की हत्या पर दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि तमिलनाडु में बहुत सोच समझकर और षड्यंत्रपूर्वक राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं पर हमले किए जा रहे हैं। पीएमके के नेता एम. रामदौस ने भी कहा कि इस घटना की गहराई से जांच होनी चाहिए। टीएनसीसी, डीएमडीके, कम्युनिस्ट पार्टी (एम) ने भी वी. रमेश की हत्या कठोर शब्दों में निंदा की।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले भी 22 जुलाई को सलेम पहुंचे और शहीद रमेश के परिवार को ढांढस बंधाया। इसके बाद आयोजित एक पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में हिन्दू कार्यकर्ताओं पर निरन्तर हो रहे हमले चिंताजनक हैं, इसकी तीखी प्रतिक्रिया भी हो सकती है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह जिहादी तत्वों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करे।
उल्लेखनीय है कि अभी पिछले ही महीने हिन्दू मुन्नानी के कार्यकर्ता वेलियप्पन की जिहादियों ने वेल्लोर में हत्या कर दी थी। इसके विरुद्ध भी पूरे राज्य में तीखा आक्रोश देखने को मिला था। बावजूद इसके जिहादियों पर लगाम लगाने की कोशिश नहीं की गई। परिणाम रमेश जी की दिनदहाड़े निर्मम हत्या हो गई। तलिमनाडु में जिहादी तत्वों के हौसले इतने बढ़ गए हैं कि जब 22 जुलाई को भाजपा का बंद सफल रहा तब भी 23 जुलाई को रामनाथपुरम जिले में जिहादियों ने हिन्दू मुन्नानी के दो कार्यकर्ताओं- वीरामनी और मेनाचीसुंदर पर हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया।
ये सारी घटनाएं इस बात की सूचक हैं कि तमिलनाडु में मुस्लिम उन्माद लगातार बढ़ता जा रहा है और वोट बैंक की राजनीति के चलते उन पर लगाम लगाने के कोई उपाय नहीं किए जा रहे हैं। कोयंबटूर, जहां मुस्लिम बहुसंख्या में हैं, वहां सैकड़ों ऐसे मामले सामने आए जब हिन्दुओं को मंदिर जाने या पूजा करने से रोका गया। कोट्टाइमेडू, उक्कादम, अल अमीन कालोनी, सेलवापुरम, कुनियामुत्तूर, अत्तुपालम ऐसे क्षेत्र हैं जहां हिन्दु-मुस्लिम समुदायों के बीच संघर्ष की खबरें निरन्तर आती रहती हैं। सन् 2010 में गणेश चतुर्थी उत्सव के दिन भी मुस्लिम उन्मादियों की भीड़ ने अनेक स्थानों पर गणपति प्रतिमा को क्षति पहुंचाने के प्रयास किए और संघर्ष हुआ। इस दौरान हिन्दू मुन्नानी का एक कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हो गया।
पिछली द्रमुक सरकार के समय तो राष्ट्रवादियों को वैसे भी करुणानिधि से कोई अपेक्षा नहीं थी, लेकिन अब सत्ता परिवर्तन के बाद जब से अन्नाद्रमुक की प्रमुख सुश्री जयललिता ने राज्य की कमान संभाली है, लोगों को अपेक्षा थी कि वे राष्ट्रवादियों की रक्षा करने में कुछ हद तक सफल होंगी। पर अभी ऐसा कुछ होता दिख नहीं रहा है। इसीलिए भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री एम. वेंकैया नायडू के नेतृत्व में भाजपा नेताओं के एक दल ने मुख्यमंत्री सुश्री जयललिता से मिलकर अपनी बात रखी और जिहादियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की मांग दोहराई। इसके बाद मुख्यमंत्री ने भाजपा कार्यकर्ता श्री वी. रमेश और हिन्दू मुन्नानी के कार्यकार्ता वेलियप्पन की हत्या के मामले में जांच विशेष शाखा को सौंप दी है।
थम नहीं रहा सिलसिला
n 30 अगस्त, 1989 – हिन्दू मुन्नानी के कोयंबटूर सचिव वीरा गणेश की हत्या।
n 5 सितंबर, 1991 – हिन्दू मुन्नानी के कोयंबटूर के सचिव शिवकुमार की दिन दहाड़े हत्या।
n 15 अप्रैल, 1995 – कोयंबटूर की भाजपा जिला ईकाई के नेता की हत्या।
n 31 दिसंबर, 1995 – मेत्तुपलायम (कोयंबटूर) में हिन्दू मुन्नानी कार्यकर्ता कार्तिकेयन की हत्या।
n 31 जनवरी, 1997 – पलानी बाबा की हत्या की प्रतिक्रिया में आटो चालक रघुपति की हत्या।
n 3 फरवरी, 1997 – एक मिल के बाहर एक सेवानिवृत्त शिक्षक की जिहादियों ने सिर्फ इसलिए हत्या कर दी कि वह माथे पर कुमकुम और विभूति लगाए हुए था।
n 1 सिंतबर, 1997 – कोयंबटूर के विभिन्न स्थानों पर हुए संघर्ष में एक ही दिन में महेन्द्रन, अरुणाचलम, रमेश और रजनी की हत्या।
n 2 सितंबर, 1997 – त्रिकमारा राम, मूर्ति और मुरुगन की हत्या।
n 1997 में हिन्दुओं की निर्मम हत्या का विरोध करने वाले कोट्टाई अमीर की जिहादियों ने हत्या कर दी। उनकी स्मृति में अब राज्य सरकार कोट्टाइ अमीर सांप्रदायिक सद्भाव सम्मान प्रदान करती है।
n 1997 में ही कोयंबटूर जेल के अधीक्षक बोपानन की हत्या कर दी गई।
n 29 सितंबर, 1997 – उक्कादम में कुछ मुस्लिम उन्मादि युवकों ने ट्रैफिक पुलिस इंस्पेक्टर सेल्वाराज की सिर्फ इसलिए हत्या दी क्योंकि वह नियम पालन करने को कह रहा था।
n 28 मार्च, 2002 – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक मुरुगेशन की संघ कार्यालय के निकट हत्या।
इससे पहले भी 1982 में भाजपा की एक सार्वजनिक सभा के दौरान जिहादियों ने हमला बोल दिया था। इस सभा में भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री जनाकृष्णमूर्ति, नारायण राव, टी. सुंदरम और डीआर गोपालनन की हत्या करने का षड्यंत्र था जो कि सौभाग्य से बाल-बाल बच गए।
n 18 जुलाई, 1984 को भी हिन्दू मुन्नानी के संस्थापक श्री राम गोपालन पर मुस्लिम हिंसक दल अल-उम्मा के लोगों ने हमला बोला, पर सौभाग्य से वे बच गए।
n 1988 में नारायणन, शक्ति दासन, स्वामीनाथनन पर कोयंबटूर के त्यागी कुमारन मार्केट में हमला बोला गया, इसमें ये सब गंभीर रूप से घायल हुए लेकिन बच गए।
n 31 दिसंबर, 1995 को हिन्दू मुन्नानी समर्थक डा. हिरियन पर मेत्तुपलायम में उनकी क्लीनिक के सामने हमला किया गया, गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी उनका जीवन बच गया।
n 14 फरवरी, 1998 को कोयंबटूर में हुए श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों में श्री लालकृष्ण आडवाणी बाल-बाल बच गए, हालांकि उस दिन वहां 46 निर्दोष हिन्दुओं सहित कुल 60 लोग मारे गए जिसमें अनेक सुरक्षाकर्मी भी थे।
इनके अलावा भाजपा के पूर्व पार्षद मुरुगन की परमाकुड़ी में हत्या कर दी गई थी। एच. राजा पर हमला हुआ। हाल ही में श्री लालकृष्ण आडवाणी की मदुरई यात्रा के दौरान बम लगाए गए थे, जो कि सुरक्षा बलों द्वारा समय रहते हुए निष्क्रिय कर दिए गए। रामनाथपुरम के नगर ईकाई के भाजपा अध्यक्ष सूर्यप्रकाश मंडम पर भी बम से हमला किया गया, पर वे बच गए। वेेल्लोर के जिला कार्यवाह की एक दुर्घटना में मृत्यु हुई, पर अब यह सामने आ रहा है कि वह हत्या थी। मदुरई में हिन्दू मुन्नानी के राज्यशाखा के अध्यक्ष राजगोपल जी और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता परमेश्वरन जी हत्या की गई। पम्बन में हिन्दू मुन्नानी के राज्य स्तर के नेता मुनियासामी पर बम से हमला किया गया।
मुंबई में भी भाजपा कार्यकर्ता की हत्या
सूचना के अधिकार का प्रयोग करने वाला एक और 'व्हिसल ब्लोअर' आखिरकार हिंसक भ्रष्टाचारियों के हाथों मारा गया और कहीं कोई चर्चा नहीं। मुंबई के 55 वर्षीय बसंत पाटिल की पहचान 'आरटीआई एक्टीविस्ट' के रूप में होने लगी थी। वे उत्तर-पूर्व मुंबई के भांडुप के रहने वाले थे और वहां वे उस वार्ड की भाजपा ईकाई के अध्यक्ष भी थे। 21-22 जुलाई की भोर में उनके घर में घुसकर कुछ अज्ञात लोगों ने उन पर कातिलाना हमला किया, जिससे उनकी मौत हो गई। हत्यारे इतने बर्बर और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से भरे हुए थे कि बसंत पाटिल के शरीर को उन्होंने चाकुओं से बींध दिया। उनके शरीर पर 28 गहरे घाव मिले। बसंत पाटिल की हत्या के सिलसिले में पुलिस ने कांग्रेस के स्थानीय नेता तुकाराम खोपड़े को गिरफ्तार कर लिया है, अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बसंत पाटिल वन भूमि संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत थे। इस कारण कुछ भू-माफिया भी उनकी जान के दुश्मन बने हुए थे।
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