मासूम आतंकवादियों के पैरोकार
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आतंकवादी को मासूम बताने की होड़ में जांच एजेंसियों को कांग्रेसी सरकार ने इस कदर उलझा दिया है कि उससे स्वयं न निगलते बन रहा है न उगलते। 'मासूम आतंकवादियों' के संरक्षक कांग्रेसी महासचिव दिग्विजय सिंह पिछले दिनों पहुंच गए केन्द्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के पास, और मांग की कि मुम्बई पर हमले के षड्यंत्रकारी डेविड कोलमैन हेडली ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को पूछताछ के दौरान इशरत को आतंकवादी कहा था या नहीं, यह सार्वजनिक करो।
इधर गृह मंत्रालय के पूर्व सचिव मणि ने आरोप जड़ दिया है कि सीबीआई के अधिकारी लगातार उन पर दबाव डाल रहे हैं कि वे अपने कुछ उच्चाधिकारियों का नाम ले दें कि उन्होंने ही न्यायालय में पहले हलफनामा (शपथ पत्र) दिलवाया कि इशरत मामले में सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है। सीबीआई की ओर से कहा जा रहा है कि मणि बताएं कि किसके कहने पर और किन सबूतों के आधार पर उन्होंने यह शपथ पत्र दिया था।
इस बीच आईबी ने भी अपनी ओर इशरत के साथ मारे गए पाकिस्तानी आतंकवादी जीशान और उसके इस्लामाबाद में बैठे आका मुजम्मिल के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत को 'लीक' कर दिया है। पूर्व गृह सचिव पिल्लै ने भी माना कि इशरत का फोटो लश्कर की वेबसाइट पर था, जिसे बाद में हटा लिया गया। उनके अनुसार आतंकवादी इशरत को सुरक्षा कवच की तरह इस्तेमाल कर रहे थे। ऐसे में डेविड कोलमैन हेडली की उस स्वीकारोक्ति के सार्वजनिक हो जाने से पूरा ठप्पा लग जाता कि इशरत लश्कर की ही सदस्य थी। लेकिन केन्द्रीय गृहमंत्री शिंदे ने इस सच से पर्दा उठाने से फिलहाल इनकार कर दिया है। 16 जुलाई को उन्होंने कहा कि हेडली से एनआईए द्वारा की गई पूछताछ सार्वजनिक नहीं की जा सकती, क्योंकि वह अमरीका से हुए करार का उल्लंघन होगा। अमरीका की आड़ लेकर इशरत को मासूम या आतंकवादी बताने का संशय चुनावों तक चलाए रखने की सरकारी मंशा को इससे स्पष्ट उदाहरण और क्या होगा?
देशभर में सैकड़ों लड़कियों की जिंदगी बर्बाद कर चुके तेजाब की खुली बिक्री पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद रोक लग गई है। न्यायालय ने यह निर्णय गत 18 जुलाई को तेजाब हमले की पीड़िताओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। साथ ही न्यायालय ने सरकार से कहा है कि वह तेजाब पीड़िताओं को तीन-तीन लाख रुपए की मुआवजा राशि दे। न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि जिन खुदरा विक्रेताओं के पास तेजाब बेचने का लाइसेंस है, उन्हें स्टॉक रजिस्टर रखना होगा। ऐसा नहीं करने पर उन पर पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। उन सभी राज्यों, जहां तेजाब की बिक्री को नियंत्रित करने के नियम हैं, उन्हें इसे क्रियान्वित करना होगा। जिन राज्यों में नियम नहीं हैं, उन्हें केंद्र सरकार के अनुरूप नियम बनाने होंगे। अगर अब कोई विक्रेता बिना लाइसेंस के तेजाब बेचता है, तो उस पर 'प्वाइजन एक्ट' के तहत मामला चलेगा।
विगत 9 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को यह कहकर फटकार लगाई थी कि 'तेजाब से लोग रोज मर रहे हैं, आपको चिंता ही नहीं है'। न्यायालय ने सरकार को 16 जुलाई तक इस मामले में नीति बनाने का निर्देश दिया था। इसके बाद सरकार ने 16 जुलाई को न्यायालय में हलफनामा दायर कर तेजाब की खुली बिक्री के लिए नियम तय ÊEòB*
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