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शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो अपने जीवन को सफल न बनाना चाहता हो, इसलिए लोग सफलता पाने के सूत्र खोजते रहते हैं। ऐसे लोगों के लिए 'गढ़ें अपना जीवन पुस्तक' बड़ी उपयोगी सिद्ध हो सकती है। इस पुस्तक में जीवन को सार्थक बनाने के अनेक मंत्र दिए गए हैं। इसकी प्रस्तावना में स्वामी गोविन्द देव गिरि लिखते हैं, 'महाभारत, चाणक्य नीति, दास बोध अथवा जीवन प्रबंधन के आधुनिक ग्रंथ- इन सभी का अध्ययन आप यथावकाश कीजिएगा। उससे पहले श्री मुकुल कानिटकर की इस पुस्तक को अवश्य पढ़ लीजिए, ताकि इन महान ग्रंथों की शिक्षा का द्वार आपके जीवन में खुल जाए।' इस पुस्तक में लेखक ने अनेक ग्रंथों के अध्ययन के साथ-साथ उनके समाज समर्पित जीवन के अनुभवों का भी प्रचुर उपयोग किया है। इस कारण पुस्तक पढ़ते समय किसी से बातचीत करने का-सा अनुभव होता है। लेखक का कहना है कि कुछ करने से पहले अपने आपसे यह पूछो कि मैं कौन हूं? जब इसका उत्तर मिल जाएगा तो समझो कि तुमने अपना जीवन गढ़ लिया। लेखक की शिकायत है कि अनेक लोग सारी जिंदगी अपने आपसे यह प्रश्न ही नहीं पूछते हैं कि मैं कौन हूं? किसलिए पैदा हुआ हूं? मानवीय जीवन की यात्रा में जिस तरह से विकास एवं विस्तार होना अनिवार्य है, उसका उदाहरण सहित किया हुआ विश्लेषण मन को सचमुच भाता है। सुन्दर और सरल विवेचन करते हुए लेखक ने जीवन के बहुत सारे सूत्र बताए हैं। जैसे-जीवन का उद्देश्य बाहर से थोपा नहीं जा सकता है, पहला कदम अपनी यात्रा की दिशा तय करता है, इतना भी दूर न जाना कि लौट ही न सको, प्रत्येक व्यक्ति अपने आप में अद्वितीय है, सतर्क मन में अधिक कुतर्क आते हैं, साहस का यह अर्थ यह नहीं कि मनमानी करें, वैराग्य का अर्थ है मन का विस्तार, शैक्षिक उपाधि मूल्य से साक्षात्कार से आन्तरिक मूल्य अधिक श्रेष्ठ है।
इन विचारों से मिलने वाला अमृतपान निश्चित रूप से हमारे जीवन का सुयोग्य मार्ग प्रशस्त कर है। जीवन का सुगठन करना हो, उसको सही मार्ग पर चलाना हो, तो अनेक मार्गदर्शक व्यक्तियों और पुस्तकों को आवश्यकता होती है, उनका चयन कैसे करें, यह भी यह पुस्तक बताती है।
़पुस्तक का नाम – गढ़ें अपना जीवन
लेखक – मुकुल कानिटकर
प्रकाशक – प्रभात प्रकाशन
4/19, आसफ अली रोड
नई दिल्ली-110002
मूल्य – 100 रुपए
पृष्ठ – 128
ईमेल – prabhatbooks@gmail_com
ºÉ¨{ÉEÇò – (011) 23289555, 23289666
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