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बंगलादेश में युद्ध अपराधों की तहकीकात करने वाली अदालत ने 17 जुलाई को जमाते इस्लामी के महासचिव अली अहसान मोहम्मद मोहाजिद को 42 साल पहले बंगलादेशी बुद्धिजीवियों और पत्रकारों के अपहरण और हत्या के आरोपों में फांसी की सजा सुनाई। उस पर 7 में से 5 आरोप साबित हुए थे। मोहाजिद पहले वाली खालिदा सरकार में मंत्री रह चुका है।
इससे पहले 15 जुलाई को मुल्क के सबसे बड़े वाले इस्लामी नेता 90 साल के गुलाम आजम को 90 साल की जेल की सजा क्या सुनाई गई, वहां लोग सड़कों पर उतर आए और गुलाम को इतनी 'नरम सजा' दिए जाने का विरोध करने लगे। लोगों की मांग थी कि उसे फांसी ही दी जानी चाहिए। गुलाम को '71 की लड़ाई में मुल्क से गद्दारी का दोषी पाया गया था। उस पर '71 में बंगलादेशियों पर ढाए गए जुल्मों की साजिश रचने के आरोप थे।
अदालत ने गुलाम की तुलना नाजी तानाशाह अडोल्फ हिटलर से की। बंगलादेश सरकार की मानें तो, '71 की लड़ाई में वहां 30 लाख लोगों का कत्लेआम हुआ था। गुलाम जैसों ने उस कहर को बरपाने में हाथ बंटाया था। उस वक्त गुलाम इस्लामी पार्टी जमाते इस्लामी का सदर यानी अध्यक्ष था जबकि आज उसे मजहबी नेता का दर्जा दिया जाता है। एक सरकारी वकील की मानें तो, गुलाम की उम्र और गिरती सेहत को देखते हुए उसे फांसी की सजा की बजाय 90 साल की जेल दी गई है। हालांकि अदालत का मानना था कि वह सजाए मौत का ही हकदार था।
उधर गुलाम की सजा के खिलाफ विपक्ष की अहम पार्टी जमाते इस्लामी ने देशभर में हड़ताल की घोषणा की। इससे पहले पुलिस के साथ हिंसक झड़पों में दो लोगों की मौत हो गई, कई घायल हुए। बोगरा, कोमिला और राजशाही इलाकों में मजहबी उन्मादियों ने तोड़फोड़, आगजनी की, पुलिस पर देशी बम फेंके। 90 फीसदी इस्लामी आबादी वाले बंगलादेश की युद्ध अपराध अदालत इससे पहले जमात के चार बड़े वाले नेताओं में से तीन को सजाए मौत और एक को उम्र कैद की सजा सुना चुकी ½èþ
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