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अमरीकी सुरक्षा तंत्र की पोल खोलने वाला स्नोडन 23 जून को हांगकांग से आकर रूस के हवाई अड्डे पर अटका राष्ट्रपति पुतिन के लिए गले की फांस बनता जा रहा है। एक तरफ तो पुतिन स्नोडन को रूस-अमरीका रिश्तों में आड़े न आने देने की कसमें खा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उसे मास्को के हवाई अड्डे पर जमे रहने की इजाजत दे रहे हैं। 16 जुलाई को दिया उनका बयान तो स्नोडन मामले में एक नया आयाम जोड़ गया। उन्होंने स्नोडन का ठीकरा अमरीका पर ही फोड़ते हुए कहा कि उसे तो अमरीका ने ही रूस में अटकाया हुआ है। यानी स्नोडन को रूस में जमाए रखने में अमरीका की ही कोई चाल है। पुतिन उसकी राजनीतिक पनाह की तमाम अपीलें दरकिनार कर चुके हैं और कहते हैं कि वह पहली फुर्सत में रूस से रवाना कर दिया जाएगा। रूस के राष्ट्रपति दरअसल दुविधा में हैं। वे दुनिया की बिरादरी में स्नोडन के पाले में खड़े नहीं दिखना चाहते। दूसरे, अमरीका से छत्तीस के आंकड़े भी नहीं चाहते।
भारत सहित तमाम देशों द्वारा स्नोडन की पनाह देने की अपीलें ठुकरा दिए जाने के बाद उसका रूस में लबे वक्त तक जमे रहना अमरीका के तमाम 'नाटो' साथियों को तो खटक ही रहा है, यह आने वाले सितम्बर में अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा के रूस दौरे के दौरान खटास पैदा करने के संकेत भी दे रहा है। कहीं अंतरराष्ट्रीय बिरादरी पुतिन को स्नोडन के लिए नरमदिल न माने ले, शायद इस गरज से पुतिन ने स्नोडन के रूस में अटकाव के लिए अमरीका पर ही दोष मढ़ना शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा कि अमरीका ने ही उसके रूस से किसी और देश में जाने के रास्ते बंद किए हैं।
+ɱÉÉäEò गोस्वामी
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