मौत पर जोगिया जश्न
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अपने नेताओं की मौत पर घड़ियाली आंसू और फिर भजिया पार्टी-कांग्रेसी नेता और सोनिया के चहेते अजित जोगी का असली चेहरा एक बार फिर सामने आ गया है। दरभा में नक्सली हमले के दौरान मारे गए प्रदेश के अनेक वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं की मौत के बाद से ही कहा जा रहा है कि इसमें जोगी का भी हाथ हो सकता है।
भाजपा ही नहीं, कांग्रेस के लोग भी ऐसा ही मान रहे हैं। एन.आइ.ए. को शुरूआती जांच में जिस स्थानीय कांग्रेसी विधायक के नक्सलियों से जुड़े होने के सुबूत मिले, उसे भी जोगी खेमे का माना जाता है। पर दरभा मामले की जाँच ठंडी क्यों पड़ रही है? अब तक पूरा सच सामने क्यों नहीं आया? बताते हैं कि जोगी ने दिखावे के लिए रूठी मैडम सोनिया को अब मना लिया है। तभी तो दरभा हमले में मारे गए कांग्रेस के नेताओं को जिस दिन विधानसभा में श्रद्धांजलि दी गयी उसी दिन शाम को अजित जोगी के घर भजिया पार्टी हुई। इस भजिया पार्टी में प्रदेश के कई कांग्रेसी नेता, विधायक और कुछ पत्रकार भी शामिल हुए। जमकर शराब परोसी गई और मांस-मुर्गा, नाच-गाना हुआ। यह खबर दिल्ली तक भी आ गई। अब फिर दिखावा, आलाकमान कह रहा है कि किसने मनाया जश्न, जांच चल रही है।
जबसे पिंजरे में बंद तोता बाबू (सीबीआई) को न्यायालय का लकड़ी वाला हथौड़ा दिखने लगा है, वह पिंजरा (सरकारी बंधन) तोड़ बाहर आने को बेचैन दिखने की कोशिश कर रहा है। सरकार ने सीबीआई को स्वायत्तता देने का जो खाका न्यायालय में प्रस्तुत किया था, उसके उलट 16 जुलाई को दाखिल अपने शपथपत्र में सीबीआई का कहना है कि अगर स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच का पक्का भरोसा चाहिए तो उसे और अधिक अधिकार दिए जाएं। निदेशक का कार्यकाल 3 वर्ष कर दिया जाए। उसके साथ ही यदि सीबीआई निदेशक को किसी मामले में गृहमंत्री से मिलना हो तो वह सीधे उनसे मिले, बीच के कार्मिक अधिकारियों की भूमिका खत्म हो। सीबीआई को स्वतंत्र कराने की ये सब कवायद भले न्यायालय के दखल के बाद हो रही हो, पर सच तो यह है कि न सरकार पिंजरा खोलने को तैयार है और न ही तोता स्वतंत्र होकर उड़ना चाहता है।
वापस आएंगे येदियुरप्पा
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने विधानसभा में मान लिया कि हमसे भूल हो गई, वरना आप (कांग्रेसी) सत्ता में न आते। विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष के.आर.रमेश कुमार द्वारा भाजपा कार्यकाल के कामकाज पर लगाए गए सवालिया निशान पर भड़के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने 16 जुलाई को विधानसभा में कहा कि 'हमारी गलती की वजह से आपको सत्ता मिल गयी, जबकि राज्य की जनता मन से ऐसा नहीं चाहती थी। अब हमने सबक सीख लिया है। आगामी लोकसभा चुनावों में हम राज्य में 28 में से कांग्रेस को 7-8 सीटों पर समेट देंगे।'
इससे पहले भी 11 जुलाई को येदियुरप्पा ने संकेत दिए थे कि वे और उनकी पार्टी कर्नाटक जनता पक्ष वापस अपनी मूल पार्टी भाजपा में जा सकते हैं। इस संबंध में पिछले काफी समय से भाजपा नेतृत्व की ओर से प्रयास भी चल रहे थे। अब विधानसभा में एकजुटता दिखाते हुए येदियुरप्पा ने साफ कर दिया कि शीघ्र ही उनकी और उनकी पार्टी की 'घर वापसी' हो सकती है।
उर्जा और अंधेरे में चांडी
केरल में इन दिनों सौर ऊर्जा पैनल के घोटाले को लेकर खासा हंगामा मचा हुआ है और निशाने पर हैं मुख्यमंत्री ओमेन चांडी। अब तक बेदाग छवि के लिए जाने जा रहे चांडी के दामन पर पक्का वाला दाग लग गया है।
'सोलर पैनल' बेचने के नाम पर हजारों लोगों को ठगने वाली सरिता एस.नायर पर चांडी और उनकी कैबिनेट के कई सदस्य खासे मेहरबान रहे हैं। जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गईं सरिता कांग्रेसी नेताओं और संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (एल.डी.एफ.) सरकार की मेहरबानियों के चलते मात्र 2 साल में 20 करोड़ रुपए की मालकिन बन गयी।
ऐसे में एक तरफ वाममोर्चा मुख्यमंत्री चांडी से इस मामले में स्थिति स्पष्ट करने या फिर मुख्यमंत्री से इस्तीफा देने की मांग कर रहा है। दूसरी ओर चांडी सोनिया दरबार में सफाई देने के बावजूद सकते में हैं, क्योंकि वे सरिता नायर की 'काबिलियत' देखने के बाद उन्हें दिल्ली में अपना राजनीतिक दूत नियुक्त करने वाले थे।
न्यायालय बताएगा, सज्जन हैं या…
सिर्फ नाम के सज्जन को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने टका-सा जवाब दे दिया और कहा कि 1984 में जो दुर्जनता उन्होंने दिखायी थी, उस पर निचली अदालत में मुकदमा चलता रहेगा। 16 जुलाई को दिए अपने फैसले में न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने निचली अदालत में मुकदमा चलाने के विरुद्ध सज्जन की याचिका को खारिज कर दिया।
उल्लेखनीय है कि 1984 में सिख विरोधी दंगों के समय कांग्रेसी नेता जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार की बहुत कुख्यात भूमिका रही थी। पर लम्बी कानूनी प्रक्रिया और सबूतों-साक्ष्यों-चश्मदीद गवाहों को प्रभावित कर ये दोनों कांग्रेसी नेता अनेक मामलों में बरी हो चुके हैं। ऐसे ही एक मामले में सज्जन भी बरी हो चुके हैं लेकिन सुल्तानपुरी में 6 लोगों की हत्या का मामला सज्जन कुमार और उनके तीन साथियों (वेदप्रकाश और ब्रह्मानंद गुप्ता आदि) पर अभी भी लंबित हैं, जो अब चलता रहेगा।
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