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Jul 20, 2013, 12:00 am IST
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लेह-लद्दाख में 17वां सिन्धु दर्शन उत्सव

दिंनाक: 20 Jul 2013 12:04:47

धार्मिक, सांस्कृतिक और देशभक्ति के कार्यक्रमों की धूम

हर साल होने वाला सिंधु दर्शन उत्सव इस वर्ष भी लेह-लद्दाख में धूमधाम से मनाया गया। सिंधु दर्शन के इस 17वें उत्सव में देश के अनेक राज्यों से करीब 1200 लोगों ने भाग लिया।

चार दिवसीय उत्सव के शुभारम्भ पर रा.स्व.संघ के अ.भा. कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि सिन्धु दर्शन यात्रा का यह 17वां उत्सव है। उत्सव में पिछले वर्षों से अधिक संख्या का होना इस बात को संकेत है कि यह यात्रा धीरे-धीरे एक जनयात्रा बनती जा रही है। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि सारे आक्रमण हिमालय के रास्ते हुए। देश की रक्षा करते हुए अनेक वीरों का बलिदान हुआ है। इन बलिदानों में लद्दाखी वीरों की बहुत बड़ी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस उत्सव को प्रदेश का राजकीय उत्सव घोषित करे। श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि यहां से कैलास मानसरोवर कुल 600 किलोमीटर है। जोकि बहुत सुगम रास्ता है। इस रास्ते को सरकार प्रयास करके खुलवाए। लेकिन हमें सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं बैठे रहना है। हमें इसके लिए संघर्ष करना होगा।  

अगले दिन मुख्य कार्यक्रम सिन्धु घाट पर था। यात्रियों में सिन्धु दर्शन व सिन्धु स्नान की उत्सुकता व प्रतीक्षा थी। श्रद्धालुओं ने सिन्धु में स्नान करके अपने को धन्य समझा, बच्चों ने भी स्नान का खूब आनन्द लिया। स्नान के बाद पूजा, अर्चना का वक्त था। पूरा सिन्धु क्षेत्र बौद्ध मंत्रों, वेद मंत्रो व आरतियों से गूंज उठा। कोई मां दुर्गा के कवच का पाठ कर रहा था, कोई गणेश वन्दना में रत था, किसी ने शिव को मनाया तो कोई झूलेलाल के गुण गा रहा था। घाट पर ऐसा अद्भुत दृश्य था जहां सभी अपनी-अपनी श्रद्धा व पद्धति के अनुसार भगवान की पूजा कर रहे थे। इसके बाद सिन्धु की आरती की गई जिसमें सभी शामिल हुए।

सिंधु स्नान व पूजा के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का क्रम शुरू हुआ। शुरुआत में श्री गेशे कन्चुक नामग्याल, प्रो. वान्चुक नेगी, श्री इन्द्रेश कुमार आदि ने बुद्ध के चित्र के आगे दीप प्रज्ज्वलित किया व राष्ट्रीय ध्वज फहराकर राष्ट्रगान किया।

इसके बाद गणपति वन्दना से बच्चियों ने गणेश वन्दना की जिसके बाद लरना, स्पाउ, जबरो आदि लद्दाखी नृत्य प्रस्तुत किये गये। इसके बाद 'मैं सिन्धु हूं' नाटिका का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में लद्दाख के प्रसिद्ध गायक फुनचुक लद्दाखी ने 'ओ सिन्धु तेरा निर्मल-निर्मल पानी हम सबका जीवन दानी' गीत गाकर वातावरण में भक्ति व आनन्द का माहौल भर दिया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने यात्रियों का मन खूब मोहा।

उत्सव के समापन कार्यक्रम की शुरुआत मायरूल समूह की लरना मंगल ध्वनि से हुआ। इसके बाद कर्नाटक से आयी यात्री बहनों ने शिव स्तुति के कुछ श्लोक पढ़े। फिर हुआ लद्दाखी स्पाओ नृत्य, राजस्थान का लोक गीत 'रंगीलो म्होरो ढोलना'। नृत्य नाटिका  छतीसगढ़ अकादमी की ओर से प्रस्तुत की गई। पूरा वातावरण संगीतमय प्रस्तुतियों से सराबोर हो उठा। इस तरह यह चार दिवसीय उत्सव यात्रियों के लिए यादगार बन गया।

नई दिल्ली में 'हिन्दू धर्म आचार्य सभा' की कार्यशाला

मन्दिरों में सरकारी हस्तक्षेप अस्वीकार

हिन्दू धर्म आचार्य सभा को धार्मिक संस्थानों पर ट्रस्ट के रूप में सरकार का प्रशासनिक हस्तक्षेप अस्वीकार है। इसके लिए सभा देशभर में जनजागरण करेगी। गत 14 जुलाई को नई दिल्ली में संपन्न हुई हिन्दू धर्म आचार्य सभा की एक दिवसीय कार्यशाला में 'मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण: संवैधानिक मुद्दे' विषय पर लंबी चर्चा हुई। कार्यशाला को संबोधित करते हुए स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा कि केवल हिंदू धार्मिक संस्थानों के साथ भेदभाव किया जाता है। स्वामी परमात्मानंद सरस्वती ने कहा कि उनके पास वर्तमान व्यवस्था के बजाय दूसरी व्यवस्था लागू करने का पूरा प्रारूप तैयार है। कार्यशाला में न्यायमूर्ति (से.नि.) रामा जायस, न्यायमूर्ति (से.नि.) वीएस कोकजे एवं डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

नई दिल्ली में 'विवेकानन्द के सपनों का भारत' लोकार्पित

स्वामी विवेकानंद के स्वप्न और व्यक्तित्व का दर्पण

 

प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित तथा डा. बजरंग लाल गुप्त व श्री लक्ष्मी नारायण भाला द्वारा लिखित 'विवेकानन्द के सपनों का भारत' पुस्तक का लोकार्पण गत 10 जुलाई को नई दिल्ली में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्रीमती सुषमा स्वराज ने किया। पुस्तक का प्रकाशन स्वामी विवेकानन्द की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में किया गया है। समारोह में रामकृष्ण मिशन, दिल्ली के सचिव स्वामी शांतात्मानन्द भी मंचासीन थे। 

पुस्तक लोकार्पित करते हुए श्रीमती सुषमा स्वराज ने कहा कि स्वामी विवेकानंद भारत को स्वाभिमानी, शक्तिशाली, स्वावलम्बी, संस्कारित और संगठित बनते देखना चाहते थे। इस उद्देश्य से उन्होंने देश को जानने के लिए सम्पूर्ण भारत का भ्रमण किया। स्वामीजी ने युवाओं को देशभक्ति के लिए तीन बातें बताईं। दूसरों के कष्टों को हृदय से अनुभव करो, स्वयं यथार्थ रूप से कर्तव्य पथ पर अग्रसर हो जाओ और दृढ़ता से उस मार्ग पर चलते रहो।

पुस्तक के संबंध में श्रीमती स्वराज ने कहा कि उद्धृत और उल्लेख किए जाने वाले वाक्य पुस्तक के अंदर हैं। स्वामीजी के व्यक्तित्व और उनके स्वप्न का अच्छी प्रकार से पुस्तक में वर्णन है। उन्होंने कहा कि विवेकानंद के सपनों के भारत का निर्माण न असंभव है, न कठिन। इसके लिए दृढ़ इच्छा शक्ति और संगठित शक्ति की जरूरत है।

श्री लक्ष्मी नारायण भाला ने कहा कि भारत के पास वह चीज है जो दूसरों के पास नहीं हैं, वह है 'वसुधैव कुटुम्बकम' का विचार। स्वामीजी ने जो कार्य किया उसे हम आज भी याद करते हैं। स्वामी विवेकानंद के सपनों का भारत निर्माण करने का दायित्व वर्तमान पीढ़ी पर है। स्वामी शांतात्मानन्द ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने आध्यात्मिकता के साथ-साथ देश के बारे में भी बहुत विचार किया। स्वामीजी की वाणी से हम जगे तो लेकिन फिर सो गए। आज भारत के पुन: जागरण की जरूरत है। कार्यक्रम का संचालन श्री प्रभात कुमार ने किया।  इस अवसर पर बड़ी संख्या में दिल्ली के गणमान्यजन उपस्थित थे।

गोंडा में विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक अशोक सिंहल ने कहा–

मंदिर निर्माण हेतु संघर्ष के लिए तैयार रहें

विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक श्री अशोक सिंहल ने कहा कि आगामी 18 अक्तूबर, 2013 को अयोध्या में देशभर से करीब 20 लाख हिंदू एकत्रित होंगे और केंद्र सरकार से मांग करेंगे कि श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए कानून बने। श्री सिंहल गत 14 जुलाई को उत्तर प्रदेश के गोंडा में विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, दुर्गावाहिनी के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। श्री सिंहल ने कहा कि संतों के आदेश पर ही श्रीराम जन्मभूमि से ढांचा गिराया गया था, अब उन्हीं के आदेश पर मंदिर का निर्माण शुरू होगा। इसके लिए एक बार फिर कार्यकर्ता बलिदान देने के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा कि अयोध्या की शास्त्रीय सीमा में अब कोई नई मस्जिद नहीं बनने दी जाएगी। अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए 25 अगस्त से देशभर के संतों की पदयात्रा शुरू होगी। इसमें देशभर से सैकड़ों संत भाग लेंगे। 13 सितंबर तक चलने वाली इस पद यात्रा में दक्षिण भारत के संत भी शामिल होंगे।   |ÉÊiÉÊxÉÊvÉ

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