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सम्पादकीय 'खुली कहानी कालिख की' अच्छा लगा। परत दर परत कांग्रेस पार्टी के लोगों की भ्रष्टाचार में लिप्त होने की बातें सामने आ रही हैं। कुछ जेल यात्रा करके आ चुके हैं और कुछ जाने की तैयारी में हैं। मौनी बाबा के सामने देश लुटता रहा और वे (मनमोहन सिंह) चुपचाप सब कुछ देखते रहे। जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने थे तो लोगों को लगा था कि एक ईमानदार व्यक्ति के नेतृत्व में देश प्रगति करेगा। किन्तु इन्होंने तो पूरी दुनिया में देश को बदनाम कर दिया है।
–वीरेन्द्र सिंह जरयाल
28-ए, शिवपुरी विस्तार
कृष्ण नगर, दिल्ली-110051
q सर्वोच्च न्यायालय के कारण कोयले की काली कहानी बाहर आ रही है। कांग्रेस के सांसद नवीन जिंदल की पोल खुल गई और लोगों ने उन्हें पहचान लिया। यही जिंदल राष्ट्रभक्ति दिखाने के लिए जगह-जगह तिरंगा फहराते रहते हैं। ये कैसे देशभक्त हैं जो देश को ही लूट रहे हैं? नवीन जिंदल जैसे और लोगों को बेनकाब करना ही होगा।
–गणेश कुमार
कंकड़बाग, पटना (बिहार)
q सोनिया-मनमोहन की यह सरकार राष्ट्र को खोखला करने वाली सबसे बड़ी खलनायक सरकार सिद्ध हुई है। पहले तो इस सरकार ने कोयला घोटाले पर 'कैग' की रपट को खारिज किया था। जब सर्वोच्च न्यायालय की दखल से इसकी जांच शुरू हुई तो उसमें भी टांग अड़ाने में पीछे नहीं रही। अभी भी जांच को प्रभावित करने में लगी है।
–हरिओम जोशी
चतुर्वेदी नगर, भिण्ड (म.प्र.)
q कोयला खदानों का आवंटन उस समय हुआ था जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ही कोयला मंत्रालय का काम देखते थे। इस आधार पर तो वही कोयला घोटाले के लिए पूरी तरह जिम्मेदार हैं। किन्तु बड़ी हेठी के साथ वे कहते हैं कि घोटाले की तो कोई बात ही नहीं है। विश्वास नहीं होता कि ये वही मनमोहन हैं जिनकी छवि एक ईमानदार व्यक्ति की थी। प्रधानमंत्री बनते ही इनकी ईमानदारी गायब हो गई है।
–प्रमोद वालसंगकर
1-10-81, रोड न 8बी, द्वारकापुरम
दिलसुख नगर, हैदराबाद-500060 (आं.प्र.)
q चाहे कोयले के खदानों का आवंटन हो या 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी इन सब में कांग्रेस पार्टी के बड़े लोगों का हाथ है। हजारों करोड़ रुपए की बड़ी राशि एक-दो लोग दबा नहीं सकते हैं। इन घोटालों से जो राशि मिली है उसका एक बहुत बड़ा हिस्सा कांग्रेस के पास भी गया होगा। लोग तो यहां तक कहने लगे हैं कि अंग्रेजों से ज्यादा इस सरकार ने लूटा।
–ब्रजेश कुमार
गली सं-5,आर्य समाज रोड, मोतीहारी
जिला–पूर्वी चम्पारण-845401 (बिहार)
q जिस प्रधानमंत्री के कार्यकाल में इतने घोटाले हुए हों उस प्रधानमंत्री का इस्तीफा न देना यह साबित करता है कि प्रधानमंत्री को न ही कुछ दिखाई देता है, न कुछ वह सुन सकते हैं, न ही बोल सकते हैं। अर्थात् प्रधानमंत्री कठपुतली की भूमिका में हैं। इस कठपुतली की डोरी यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी व कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के हाथ में है। यह सरकार घोटालों की जननी है।
–निमित जायसवाल
ग 39, ई.डब्लू.एस., रामगंगा विहार फेस प्रथम, मुरादाबाद-244001 (उ.प्र.)
q भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमन के विचारों से सहमत हुआ जा सकता है। वास्तव में कोयला घोटाले में प्रधानमंत्री की भूमिका को कटघरे में खड़ा करना चाहिए था। यह पद की गरिमा का सवाल है। यह नैतिक पतन का भी प्रश्न है। अगर प्रधानमंत्री में थोड़ी सी भी नैतिकता होती तो वे अब तक पद छोड़ चुके होते।
–रामावतार
कालकाजी, नई दिल्ली
एकजुटता दिखाएं
मंथन में 'भाजपा, गोवा और मीडिया' शीर्षक से लेख पढ़ा। भाजपा में जो हो रहा है वह उसका आन्तरिक मामला है। किन्तु देश में ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो यह चाहते हैं कि एक बार भारत में भाजपा की एक मजबूत सरकार बने। ऐसे लोगों को उस समय बड़ा दु:ख होता है है जब वे भाजपा के आन्तरिक कलहों के बारे में सुनते या पढ़ते हैं। इसलिए भाजपा वाले सभी मतभेदों को भुलाकर एकजुट होकर काम करें।
–विकास कुमार
शिवाजी नगर, वडा, जिला–थाणे (महाराष्ट्र)
q गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को भाजपा चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाना नीतीश कुमार को ठीक नहीं लगा और उन्होंने सेकुलरवाद के नाम पर भाजपा से 17 साल पुराने अपने संबंधों को तोड़ लिया। यह दौर छद्म सेकुलरवाद का है। सेकुलर मीडिया इस सेकुलरवाद को हवा दे रहा है। मंथन में सही कहा गया है कि सेकुलर मीडिया को रस उस बात में ज्यादा आता है, जिसमें कोई रस ही नहीं होता है।
–ठाकुर सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा
कांडरवासा
जिला-रतलाम-457222 (म.प्र.)
चेलों ने ही उन्हें भुलाया
इतिहास दृष्टि में गांवों और गांववासियों की हालत का अच्छा विश्लेषण हुआ है। लेखक ने पाठकों के समक्ष तथ्य प्रस्तुत किए हैं। गांधी जी के चेलों ने सभी काम उनके विचारों के विरुद्ध किए। यही कारण है कि आज राम राज्य की जगह रावण राज्य वाली व्यवस्था हावी हो गई है। शहरों जैसी सुविधाएं गांवों में भी की जातीं तो आज लोग गांवों से शहरों की ओर पलायन नहीं करते। बहुत हद तक नक्सलवाद भी नहीं बढ़ता। गांधी जी और दीनदयाल जी गांवों को सशक्त बनाना चाहते थे, किन्तु ऐसा हुआ नहीं।
–लक्ष्मी चन्द
गांव–बांध, डाक–भावगड़ी
जिला–सोलन (हि.प्र.)
प्रेरणादायक रानी
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर एक प्रेरक लेख पढ़ने को मिला। झांसी की रानी सचमुच में भारत की रत्न थीं। उनके जीवन से भारत की हर पीढ़ी प्रेरणा प्राप्त कर सकती है। रानी ने अपनी माटी और अपनी प्रजा के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया। इन्हीं बलिदानियों की वजह से आज हम स्वतंत्रता की खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं। ऐसे बलिदानियों की गाथा जितनी प्रचारित हो उतना ही अच्छा होगा।
–देशबन्धु
आर जेड-127,प्रथम तल, सन्तोष पार्क
उत्तम नगर,नई दिल्ली-110059
षड्यंत्रकारी पटकथा
पिछले कुछ अंकों में नक्सली हिंसा पर कई रपटें पढ़ीं। नक्सली हिंसा लोकतांत्रिक मूल्यों पर आक्रमण है। यदि लोकतांत्रिक मूल्य ही नहीं रहेंगे तो फिर भारत के पास शेष क्या बचेगा? विदेशी सहयोग से चलने वाला यह नक्सली आन्दोलन सशक्त भारत को जर्जर करने का एक षड्यंत्रकारी पटकथा लेकर चल रहा है। इस रक्त-रंजित खेल को खत्म करना बहुत जरूरी है। भारत चाओ-माओ जैसा जनतंत्र विरोधी देश नहीं है, बल्कि यह ऋषियों-मुनियों की साधना-स्थली है। इसलिए भारतवर्ष में माओवाद नहीं चलेगा।
–डा. प्रभात कुमार
वार्ड न-3,बीच बाजार,पत्रा–सोह सराय
जिला–नालन्दा-803118 (बिहार)
…कर इसलिए माफ होता है
पिछले अंक की इस रपट 'वोडाफोन पर सिब्बल मेहरबान' से पता चला कि केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के पुत्र अमित सिब्बल वोडाफोन में काम करते हैं। शायद इसलिए कपिल सिब्बल उस पर मेहरबान हो गए और उन्होंने इस कम्पनी के 20 हजार करोड़ रुपए माफ कर दिए। यह पैसा कर के रूप में भारत सरकार को मिलता। जब भारत पर अरबों रुपये का कर्ज है, कई योजनाएं तो विदेशी मदद पर चलती हैं,फिर इतनी बड़ी राशि माफ करने की जरूरत क्या थी? ऐसी उदारता क्यों? वोडाफोन ब्रिटिश कम्पनी है। उसका कारोबार कई देशों में है। फिर भी उसके कर माफ कर दिए गए। वहीं इस देश के आम लोगों का कर माफ नहीं किया जाता है। इस महंगाई में आम लोगों के पास बचत नाम की कोई चीज नहीं रह गई है,फिर भी लोगों को कर देना पड़ रहा है। आम आदमी का कर शायद इसलिए माफ नहीं होता है कि इससे नेताओं को कोई लाभ नहीं होता है। बड़ी कम्पनियों का कर शायद इसलिए माफ हो जाता है कि इससे नेताओं की जेब गर्म होती है।
–गणेश पाण्डेय
उत्तम नगर, दिल्ली
मन में दु:ख, तन में गुस्सा
पाकिस्तानी हिन्दुओं की स्थिति बहुत ही भयावह है। इन हिन्दुओं की दुर्दशा के बारे में पाञ्चजन्य में जितना पढ़ने को मिलता है उतना और कहीं नहीं। कुछ अंक पहले यह पढ़ा था कि दिल्ली के बिजवासन में एक सज्जन हैं नाहर सिंह और इन्होंने अपने घर में ही 100 से अधिक पाकिस्तानी हिन्दुओं को शरण दे रखी है। उसी रपट में पाकिस्तानी हिन्दुओं की पीड़ा से परिचित हुआ था। उस रपट को हमारे घर के सभी लोगों और पड़ोसियों ने भी पढ़ी थी। यह पढ़कर बहुत दु:ख हुआ कि पाकिस्तानी हिन्दू मां-बाप अपने बच्चों की जान बचाने के लिए उन्हें किसी पड़ोसी के साथ भारत भेज रहे हैं। मां-बाप इसलिए नहीं आ पा रहे हैं कि उनके पास अपने बच्चों को ही भारत भेजने लायक पैसे थे। पाकिस्तान में हिन्दुओं को न तो कोई त्योहार मनाने दिया जाता है, न ही सरकारी नौकरियों में रखा जाता है। हिन्दू बच्चों को पढ़ने भी नहीं दिया जाता है। वहां के हिन्दू गुलाम की जिन्दगी जी रहे हैं। हम सब पाकिस्तानी हिन्दुओं की स्थिति से बहुत दुखी हैं। नाहर सिंह की सेवा-भावना से दु:ख थोड़ा कम जरूर हो जाता है पर मन हमेशा हिन्दुओं की दुर्दशा से खिन्न रहता है। पाकिस्तान पूरी तरह कट्टरवादियों के हाथ में नाच रहा है। वहां गैर-मुस्लिमों को देखना भी पसन्द नहीं किया जा रहा है। दूसरी ओर भारत में हिन्दुओं को छोड़कर गैर-हिन्दुओं को सर पर बैठाया जा रहा है। जो भी किया जा रहा है उन्हीं के लिए किया जा रहा है। इसलिए अपनी सरकार पर गुस्सा भी आता है।
–अजीत कुमार शर्मा
माथलाबेरा, गुलाबबाड़ी
अजमेर-305001 (राजस्थान)
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