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माना जा रहा है कि आतंकवादियों को बचाने के लिए सोनिया कांग्रेस का अपना संगठन तंत्र है। सोनिया गांधी ने बहुत ही खतरनाक चाल से इस पूरे तंत्र को इस काम में झोंक दिया है कि किसी भी तरीके से इस्लामी आतंकवाद की चर्चा को हाशिये पर लेकर लाना है और उसके स्थान पर 'हिन्दू आतंकवाद' की काल्पनिक अवधारणा को स्थापित कर, उसे सर्वाधिक चर्चा में भी लाना है। सोनिया कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह इस काम में लगे हैं। वे जब मुम्बई पर पाकिस्तानी इस्लामी आक्रमण, इशरतजहां केस, सोहराबुद्दीन केस, समझौता एक्सप्रेस केस, हैदराबाद का मक्का मस्जिद केस, मालेगांव बम विस्फोट केस, अजमेर दरगाह केस, दिल्ली का बाटला हाउस केस और पुणे के बेस्ट बेकरी केस में इस्लामी आतंकवादियों का बचाव करते हुये, इन सभी आतंकवादी वारदातों में हिन्दुओं के शामिल होने की बात करते हैं, तो यह उनका व्यक्तिगत विचार नहीं होता। यह सोनिया कांग्रेस की इस देश के लिये सोची-समझी और गहरी सुविचारित दूरगामी नीति का अहम हिस्सा होता है। इसी नीति के अन्तर्गत दिग्विजय सिंह ने कुछ दिन पहले बोधगया में हुये बम धमाकों में नरेन्द्र मोदी का नाम जोड़ना शुरू कर दिया। वे जल्दी ही इसे 'हिन्दू आतंकवाद' से भी जोड़ सकते हैं। पुलिस अपनी जांच इस्लामी आतंकवादी संगठनों की ओर न ले जा सके, इसके लिये कांग्रेस के महासचिव तुरन्त बयान जारी करते हैं।
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