भोपाल में भारत प्रकाशन की दो दिवसीय प्रतिनिधि बैठक
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भविष्य की रणनीति और नई संभावनाओं पर मनन
भविष्य की रणनीति और नई संभावनाओं की तलाश के लिए भोपाल में हुए भारत प्रकाशन के प्रतिनिधि सम्मेलन में देशभर से 60 प्रतिनिधि जुटे। यहां इन्होंने प्रसार–विज्ञापन पर मनन करने के साथ ही पाञ्चजन्य और ऑर्गनाइजर की विषयवस्तु पर भी चर्चा की।
राष्ट्रवादी साप्ताहिकों-पाञ्चजन्य और ऑर्गनाइजर की प्रकाशक संस्था भारत प्रकाशन (दिल्ली) लिमिटेड की दो दिवसीय प्रतिनिधि (प्रसार एवं विज्ञापन) बैठक गत 6-7 जुलाई को भोपाल (म.प्र.) में संपन्न हुई। 9 सत्रों में संपन्न हुई बैठक में देशभर के 60 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
बैठक के उद्घाटन सत्र की शुरुआत भारतमाता के चित्र पर पुष्पार्चन और गायत्री मंत्र से हुई। आयोजन के उद्देश्य पर भारत प्रकाशन के महाप्रबंधक श्री जितेन्द्र मेहता ने प्रकाश डाला। इस अवसर पर भारत प्रकाशन के प्रबंध निदेशक श्री विजय कुमार, पाञ्चजन्य के सम्पादक श्री हितेश शंकर, ऑर्गनाइजर के सम्पादक श्री प्रफुल्ल केतकर व प्रबंधन रणनीतिकार श्री मुकेश भाई शाह का परिचय कराया गया।
दूसरे और तीसरे सत्र की रचना कार्य विभाजन के अनुसार की गई। प्रसार एवं विज्ञापन प्रतिनिधियों ने अलग-अलग टोलियों में विचार-विमर्श किया। विज्ञापन से जुड़े विषय एवं नई रणनीति पर भारत प्रकाशन के मार्केटिंग मैनेजर श्री बृजेश शर्मा ने चर्चा की। प्रसार से जुड़े विषयों पर श्री मुकेश भाई शाह ने विशेष रूप से चर्चा की। इस सत्र में श्री प्रदीप चक्रवर्ती तथा श्री रविन्द्र शर्मा ने प्रसार वितरकों को होने वाली दिक्कतों और उन्हें हल करने के उपायों की जानकारी दी। प्रसार की वर्तमान स्थिति का अवलोकन करते हुए नये लक्ष्य तय करने की संभावनाओं और भविष्य की रणनीति पर व्यापक चर्चा इस सत्र में की हुई।
चौथे सत्र में पाञ्चजन्य-ऑर्गनाइजर की विषय वस्तु पर प्रतिनिधियों से पाठकों द्वारा प्राप्त प्रतिक्रियाओं पर चर्चा हुई। सत्र के दूसरे चरण में पत्रों की विषयवस्तु से संबंधित विषयों पर प्रतिनिधियों के सुझाव लिए गए।
पांचवें सत्र में भोपाल की स्थानीय ईकाई ने पाञ्चजन्य के पाठकों का एक सम्मेलन आयोजित किया। इसमें विषय, सामग्री चयन और पाठकों की अपेक्षाओं से जुड़े कई महत्वपूर्ण सुझाव सामने आए।
पाञ्चजन्य के संपादक श्री हितेश शंकर ने पाठकों को जानकारी देते हुए कहा कि किस तरह राष्ट्रवादी विचार को बनाए रखते हुए पाञ्चजन्य बदलाव का सारथी होने जा रहा है और किस तरह वह नए पाठक वर्ग को अपने से जोड़ेगा। ऑर्गनाइजर के संपादक श्री प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि भारतीय विचार और वर्तमान युवा पीढ़ी के मध्य का सेतु अंग्रेजी हो सकती है इसलिए अंग्रेजी के प्रति यदि हिन्दी पट्टी में कोई संकोच है तो उसे छोड़ना होगा, तभी हम अपने विचारों को बड़े फलक पर अंकित कर सकते हैं।
छठा सत्र नए क्षेत्रों में विस्तार और उसके अनुकूल प्रबंधन पर था। इस विषय पर श्री मुकेश भाई शाह ने चर्चा की। सातवां सत्र भी श्री मुकेश भाई शाह ने लिया। इसमें प्रतिनिधियों का वर्गीकरण, कार्य क्षमता, पाञ्चजन्य व ऑर्गेनाइजर के प्रसार के लिए संभावनाएं और भविष्य के संकल्प निर्धारित किए गए।
बैठक का समापन श्री विजय कुमार के उद्बोधन से हुआ। उन्होंने कहा कि एकत्र आना, सफलता की सीढ़ी है। उन्होंने भारत प्रकाशन के समक्ष चुनौतियों, अवसरों व नए संकल्पों को सामने रखा।
इसअवसरपरविज्ञापनऔरप्रसारकीदृष्टिसेअतुलनीयउदाहरणप्रस्तुतकरनेवालेप्रतिनिधियोंकोसम्मानितकियागया।विज्ञापनकेक्षेत्रमेंश्रीनारायणभाईखोलियाऔरश्रीअक्षयठक्करतथाप्रसारकेलिएदिल्लीकेश्रीराकेशअवस्थीकोस्मृतिचिन्हदेकरसम्मानितकियागया।सम्मेलनकासमापनवंदेमातरमकेसाथहुआ।प्रतिनिधि
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