नई दिल्ली में 'जीवन दीप जले' लोकार्पित
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नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में गत 5 जुलाई को विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक श्री अशोक सिंहल ने 'जीवन दीप जले' पुस्तक का लोकार्पण किया। संजीवनी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक के लेखक श्री विजय कुमार हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिवंगत कार्यकर्ताओं की जीवन गाथा पर आधारित पुस्तक में 186 संघव्रती कार्यकर्ताओं की जीवन गाथा संक्षिप्त रूप में दी गई है।
रा.स्व.संघ के ऐसे कार्यकर्ता जिन्होंने तिल–तिल अपना जीवन जलाकर समाज को प्रकाशवान बनाया, के संक्षिप्त जीवन परिचय का संकलन श्री विजय कुमार ने 'जीवन दीप जले' पुस्तक में किया है। इसमें 186 संघव्रती कार्यकर्ताओं की जीवनगाथा है।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र के क्षेत्र संघचालक डा. बजरंग लाल गुप्त ने कहा कि जैसे दीपक दूसरों को प्रकाश देने के लिए जलता है, उसी तरह रा.स्व.संघ के अनेक कार्यकर्ताओं ने तिल-तिल अपना जीवन जलाकर समाज को प्रकाशवान बनाया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजकुमार भाटिया ने की। मंच पर हिन्दुस्थान समाचार संवाद समिति के संरक्षक श्री लक्ष्मी नारायण भाला, समारोह के संयोजक श्री जगदीश राय गुप्ता, सह संयोजक श्री सुरेश खण्डेलवाल एवं संजीवनी प्रकाशन के श्री दीनदयाल अग्रवाल भी आसीन थे। कार्यक्रम में रा.स्व.संघ के अ.भा. कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री मधुभाई कुलकर्णी एवं वरिष्ठ भाजपा नेता श्री भगत सिंह कोश्यारी विशेष रूप से उपस्थित थे।
नईदिल्लीमें 'जयतुभारतम्' लोकार्पित
प्राचीनवैज्ञानिकपरम्पराकादर्पण
भारत हिन्दू राष्ट्र है, हमें इसकी पुन: प्रतिष्ठा के लिए काम करने की जरूरत है। राम जन्मभूमि पर भगवान श्रीराम के भव्य मन्दिर का निर्माण होगा तो राम की पुन: प्रतिष्ठा होगी और राम की प्रतिष्ठा से ही हिन्दू राष्ट्र की पुन: प्रतिष्ठा होगी। -अशोक सिंहल
विज्ञानऔरतकनीकीमेंभारतबहुतआगेथा।कुतुबमीनारमेंलगालौहस्तंभ 2 हजारसालपुरानाहै।ऐसीबातोंकोसामनेलानेकीआवश्यकताहैताकियुवापीढ़ीइनसेप्रेरणालेकरऔरतीव्रगतिसेआगेबढ़े। –डा. मुरलीमनोहरजोशी
वश्व हिन्दी साहित्य परिषद द्वारा प्रकाशित एवं श्री तिलकराज कटारिया द्वारा लिखित 'जयतु भारतम्' पुस्तक का लोकार्पण गत 7 जुलाई को नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टीटयूशन क्लब में किया गया। भारत की प्राचीन वैज्ञानिक परम्परा पर आधारित पुस्तक का लोकार्पण विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक श्री अशोक सिंहल ने किया। समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री डा. मुरली मनोहर जोशी थे, जबकि रा.स्व.संघ के उत्तर क्षेत्र के क्षेत्र संघचालक डा. बजरंग लाल गुप्त का सानिध्य प्राप्त हुआ। कार्यक्रम का संचालन विश्व हिन्दी साहित्य परिषद के अध्यक्ष श्री आशीष कंधवे एवं श्रीमती संगीता सचदेव ने संयुक्त रूप से किया।
डा. मुरली मनोहर जोशी ने पुस्तक को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह तो सिर्फ 'ट्रेलर' है, देश की वैज्ञानिक परम्परा का सम्पूर्ण चित्र अभी बाकी है। उन्होंने कहा कि विज्ञान और तकनीकी में भारत बहुत आगे था। आज विकसित देश का पैमाना यह है कि किस देश के पास कितना इस्पात है। भारत में लौहे की तकनीक बहुत विकसित थी। कुतुब मीनार में लगा लौह स्तंभ 2 हजार साल पुराना है। ताजमहल को तो हम आश्चर्य कहते हैं लेकिन इस लौह स्तंभ को हम आश्चर्य क्यों नहीं कहते? उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में भारत की तकनीक बहुत आगे थी। इन सब बातों को सामने लाने की आवश्यकता है ताकि युवा पीढ़ी इस सबसे प्रेरणा लेकर और तीव्र गति से आगे बढ़े।
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